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Friday, 8 November, 2024
होमदेशछत्तीसगढ़ का कठघोरा बना कोविड-19 'हॉटस्पॉट', पर प्रशासन जिसे 'सुपर स्प्रेडर' बता रहा वह संक्रमित नहीं

छत्तीसगढ़ का कठघोरा बना कोविड-19 ‘हॉटस्पॉट’, पर प्रशासन जिसे ‘सुपर स्प्रेडर’ बता रहा वह संक्रमित नहीं

दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार नाबालिग, जिसे स्थानीय मीडिया ने तबलीगी जामाती होने का दावा किया था, स्थानीय अधिकारियों के अनुसार निज़ामुद्दीन मरकज़ से सीधे तौर पर कुछ लेना देना नही था.

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रायपुर: महाराष्ट्र के कामटी का रहने वाला 16 वर्षीय नाबालिग जहां कठघोरा में महामारी के संक्रमण की मुख्य कड़ी बना, वहीं निज़ामुद्दीन से लौटने वाला अभी तक कोविड-19 नेगेटिव चल रहा उसका एक साथी, सुपर स्प्रेडर बनकर सामने आया है. प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार इस नेगेटिव व्यक्ति से स्वस्थ हो चुका नाबालिग पहले संक्रमित हुआ और फिर उसने यह सिलसिला ऐसा चलाया कि 10-15 हजार के घनी आबादी वाले कस्बे से 22 कोविड-19 पॉजिटिव मिल चुके हैं.

छत्तीसगढ़ की उद्योग नगरी कोरबा शहर के नज़दीक कटघोरा तहसील जिसका नाम राज्य के बाहर शायद ही कोई जानता होगा, आज कोविड-19 संक्रमण उसकी पहचान बन चुका है. वर्तमान में एम्स रायपुर में इलाजरत सभी 16 मरीज कटघोरा के रहने वाले हैं. कामटी महाराष्ट्र का रहने वाला 16 वर्षीय नाबालिग जिसे कठघोरा कस्बे में कोविड-19 संक्रमण का सूत्रधार माना जा रहा है स्वास्थ्य विभाग ने उसके खिलाफ अपने बारे में प्रशासन को सही जानकारी न देने के कारण एफआईआर दर्ज कराई है.

स्वास्थ्य विभाग का आरोप है कि नाबालिग ने स्थानीय नयी जामा मस्जिद में अपने ठहरने की सही जानकारी शासन को नही दी. स्थानीय ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (बीएमओ) की शिकायत पर उसके खिलाफ कटघोरा थाने में एफआईआर दर्ज की गई है.


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17 स्वस्थ होकर डिस्चार्ज, 16 मरीजों का एम्स में इलाज जारी

छत्तीसगढ़ में अब तक 33 कोरोना पॉजिटिव केस सामने आए हैं जिसमें 17 मरीज स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं. इन 33 मरीजों में 22 कठघोरा से मिले हैं. राज्य में पिछले दो दिनों के दौरान कोरोनावायरस से संक्रमित 7 मरीज पूर्णतः स्वस्थ होकर वापस जा चुके हैं. सभी सातों मरीजों का इलाज एम्स रायपुर में हुआ. राज्य में अभी कोरोना के 16 संक्रमित मरीज हैं जो कठघोरा कस्बे से आते हैं. इनका इलाज एम्स रायपुर में चल रहा है.

छत्तीसगढ़ में 15 अप्रैल तक कोरोनावायरस के कुल 5122 संभावित व्यक्तियों की पहचान कर सैंपल जांच किया गया. अभी तक 4878 के परिणाम नेगेटिव प्राप्त हुए हैं तथा 211 सैंपल की जांच जारी है.

जानकारी के अनुसार नाबालिग पहले स्वयं बिना किसी लक्षण के ही कोरोना पॉजिटिव पाया गया. इसके बाद उसे एम्स रायपुर में भर्ती कराया गया और चंद दिनों में वह स्वस्थ हो गया. एम्स के सूत्रों के अनुसार हॉस्पिटल में भर्ती होने के दौरान भी उसमें कोरोना के कोई लक्षण नजर नहीं आए. एम्स से डिस्चार्ज होने पर राज्य सरकार ने लॉकडाउन के दौरान ही उसे कामटी वापस जाने की अनुमति दे दी.

दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार नाबालिग, जिसे स्थानीय मीडिया ने तबलीग़ी जामात का होने का दावा किया था, स्थानीय अधिकारियों के अनुसार निज़ामुद्दीन मरकज़ से सीधे तौर पर कुछ लेना-देना नही था. वहीं दूसरी तरफ कामटी से आये 15 अन्य व्यक्तियो में एक ऐसा शख्स भी था जो निज़ामुद्दीन मरकज़ में भाग लेकर अपने गृह क्षेत्र कामटी लौटा और फिर वहां से कटघोरा आकर मस्जिद में रह रहा था. इस व्यक्ति के साथ कामटी से आये 15 अन्य लोगों को भी क्वारंटाइन में एक दूसरे मस्जिद में रखा गया है.

जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक अब तक मरकज़ में भाग लेने वाले शख्स और उसके साथ क्वारंटाइन में रखे गए अन्य व्यक्तियों की जांच रिपोर्ट नेगेटिव ही आयी है लेकिन तबलीग़ी जामात के इस सदस्य को कोविड-19 को लेकर चलने के रूप में देखा जा रहा है.

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मरकज़ से लौटे इसी शख्स से संभवतः नाबालिग भी संक्रमित हुआ था. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इस व्यक्ति को राज्य और केंद्र सरकार द्वारा जारी प्रोटोकाल एवं गाइडलाइन के अनुरूप एहतियातन क्वारंटाइन में रखा गया है क्योंकि प्रदेश में ही कुछ ऐसे मामले आये हैं जिनमें कोरोना के लक्षण 40 दिनों बाद दिखे हैं और फिर रिपोर्ट पॉजिटिव आई.

कटघोरा में कोरोना संक्रमण का जनक, अभी तक सिर्फ अनुमान

दिप्रिंट द्वारा की गयी पड़ताल में पता चला है की छत्तीसगढ़ में कोरोना का हॉटस्पॉट बन चुके कटघोरा कस्बे में इस माहमारी के फैलने का पुख्ता कारण अभी तक नही पता चल पाया है, यद्यपि स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग का अनुमान है कि इसकी शुरुआत नाबालिग से हुई जिसकी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव तो आई लेकिन उसके अंदर बीमारी के लक्षण कभी नहीं दिखे. वह कुछ दिनों तक एम्स रायपुर में भर्ती रहा और फिर उसे डिस्चार्ज कर दिया गया.

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कटघोरा में कोरोना संक्रमण इसी नाबालिग के माध्यम से ही फैला होगा लेकिन अभी तक सरकार के स्तर पर यह मात्र एक कयास ही है.

दिप्रिंट से बात करते हुए कटघोरा के एसडीएम सूर्यकिरण तिवारी ने बताया, ’16 वर्षीय नाबालिग और 15 अन्य लोगों का सैम्पल जांच के लिए दिल्ली में हुए तबलीग़ी जामात के मरकज़ मामलों के खुलासे के बाद 2 अप्रैल को लिया गया था. जांच रिपोर्ट में नाबालिग को छोड़ बाकी सभी लोग नेगेटिव पाये गए थे. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार लिए गए सैम्पलों की जांच रिपोर्ट में 21 और लोग रहमानिया नगर से ही पॉजिटिव पाए गए.’

तिवारी के अनुसार नाबालिग निज़ामुद्दीन तबलीग़ी मरकज़ में शामिल नहीं था. ज्ञात हो कि वह कठघोरा से पहला कोरोना पॉजिटिव मरीज था. उस वक्त उसे तबलीग़ी जामात के मरकज़ से संबंधित बताया गया था.

दिप्रिंट द्वारा जब पूछा गया कि नाबालिग के संक्रमण का माध्यम क्या था तो राज्य कंट्रोल एंड कमांड सेंटर, कोविड-19 के मीडिया प्रभारी डॉक्टर अखिलेश तिवारी का कहना था कि, उसके बारे में जानकारी हमे उस वक्त मिली जब 31 मार्च के बाद प्रशासन द्वारा मरकज़ में शामिल हुए 107 लोगों की पड़ताल चालू की गयी. वह लड़का स्वयं मरकज़ में शामिल नहीं हुआ था लेकिन वह उन लोगों के संपर्क में आया जिन्होंने मरकज़ में भाग लिया था. उसे संक्रमण भी संभवतः उस व्यक्ति से हुआ है जो मरकज़ से वापस आया था लेकिन उसकी जांच रिपोर्ट अभी तक नेगेटिव ही आई है. अभी उसे क्वारंटाइन में रखा गया है क्योंकि कुछ ऐसे मामले सामने आये हैं जिनमें रिपोर्ट पॉजिटिव 40 दिनों बाद भी आई है. कई मामले सेकेंडरी कांटेक्ट ट्रेसिंग के दौरान सामने आये हैं.’

यह पूछने पर कि यदि मरकज़ से लौटे व्यक्ति की जांच रिपोर्ट पॉजिटव नहीं आई तो फिर कटघोरा में महामारी के फैलने का कारण क्या हो सकता है, डॉक्टर अखिलेश तिवारी का कहना था कि ‘ऐसी स्थिती में हमें नाबालिग के संक्रमित होने का कारण उसके गृह क्षेत्र कामटी में मरकज़ से वापस आए तबलीग़ी जामात के सदस्यों के रिकॉर्ड की जानकारी हासिल करना होगा.’

नाबालिग ने छुपाई जानकारी, एफआईआर दर्ज

कामटी महाराष्ट्र से कटघोरा आये नाबालिग के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग की शिकायत पर पुलिस ने अपने स्थानीय नयी जामा मस्जिद में रहने की सही जानकारी छुपाने के मामले में एफआईआर दर्ज कर लिया है. एसडीएम तिवारी ने हमें बताया कि उसने अपने कटघोरा प्रवास की सही जानकारी स्थानीय प्रशासन को नहीं दी जिसकी वहज से उसके खिलाफ कटघोरा पुलिस ने एफआई आर दर्ज कर लिया है.

तिवारी कहते हैं, ‘राज्य सरकार के आदेश के बाद दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों की जानकारी एकत्रित करने के लिए पहले दौर का सर्वे 23-24 मार्च से शुरू किया था. इस दौरान जब सर्वे टीम नयी जामा मस्जिद पहुंची तो नाबालिग और अन्य लोगों के वहां रहने की जानकारी मिली. सर्वे टीम द्वारा पूछे जाने पर कि वे लोग कहां से आए और मस्जिद में कब से रह रहें हैं उन्होंने बताया कि वे वहां 2 मार्च से रह रहें हैं. परन्तु निज़ामुद्दीन में तबलीग़ी जामात मरकज़ के खुलासे के बाद दूसरे दौर के सर्वे के दौरान पुलिस द्वारा पूछे जाने पर इन्होंने अपने यहां आने की तारीख 14 मार्च बताई. भ्रामक जानकारी देने के कारण पुलिस ने कटघोरा के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (बीएमओ) की शिकायत पर नाबालिग के खिलाफ एफआआर दर्ज की है.’


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विपक्ष ने साधा निशाना

कोविड-19 संक्रमित नाबालिग के स्वस्थ होने के बाद उसे राज्य सरकार द्वारा घर जाने की इजाजत दिए जाने पर विपक्ष ने सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है. दिप्रिंट से बात करते हुए विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने आरोप लगाया कि लॉकडाउन के दौरान पहले तो किसी भी व्यक्ति को राज्य से बाहर जाने की इजाजत सरकार कैसे दे सकती है. कौशिक ने कहा, ‘यद्यपि वह व्यक्ति स्वस्थ होकर एम्स द्वारा डिस्चार्ज कर दिया गया था लेकिन उसे बाहर जाने की इजाजत देना गलत था. यह कार्य सरकार के इजाजत के बिना नहीं हो सकता था. सरकार इस बात की जांच कराए कि लॉकडाउन के दौरान किस अधिकारी ने उसे बाहर जाने की अनुमति दी और अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की जाए.’

कौशिक ने यह भी आरोप लगाया की कठघोरा जैसे कस्बे में इतनी बड़ी संख्या में कोरोना पॉजिटिव मरीजों का मिलना स्थानीय प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है. भाजपा नेता ने कहा की अधिकारियों को सारी जानकारी थी, इसके बावजूद भी समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए. कौशिक के अनुसार प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग स्थानीय लोगों द्वारा शिकायत किये जाने के बाद ही अपनी नींद से जागा.

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