नई दिल्लीः उत्तराखंड के चमोली जिले में कर्णप्रयाग नगर पालिका के बहुगुणा नगर में जोशीमठ क्षेत्र में ज़मीन धंसने की आशंका के बीच कुछ घरों में ताज़ा दरारें देखी गईं.
इस बीच, अधिकारी आज जोशीमठ में उन होटलों और घरों को गिराना शुरू करेंगे, जिनमें भूस्खलन और धंसने के कारण दरारें आ गई थीं.
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने जोशीमठ में ज़मीन धंसने की घटनाओं पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा ‘जो कुछ भी महत्वपूर्ण है उसे शीर्ष अदालत में लेकर आने की जरूरत नहीं है.’
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहe, ‘इस पर लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित संस्थाएं काम कर रही हैं.’
अदालत ने जोशीमठ शंकराचार्य की याचिका पर सुनवाई की तारीख 16 जनवरी तय की है.
सोमवार को सितारगंज विधायक सौरभ बहुगुणा ने कहा था कि जोशीमठ के आसपास के अन्य गांवों में भी ऐसी ही स्थिति है.
उन्होंने कहा, ‘जोशीमठ में प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. हम जोशीमठ के लोगों की सुरक्षा का आश्वासन देते हैं. आसपास के गांवों के लोग भी ऐसी ही स्थिति से जूझ रहे हैं. मुख्यमंत्री को जल्द इस बारे में जानकारी दी जाएगी.’
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‘हमारे घरों को नष्ट किया’
अधिकारियों ने बताया कि होटल मलारी इन और माउंट व्यू में अधिक दरारें आ गई हैं, जिन्हें मंगलवार को गिरा दिया जाएगा.
स्थानीय निवासी मनमोहन सिंह रावत ने कहा, ‘वे अभी भी यहां रह रहे 15-20 परिवारों की सुरक्षा के लिए इन होटलों को तोड़ रहे हैं. हमारे घरों को नष्ट कर दिया गया है.’
ऐसा माना जा रहा है कि जमीन के नीचे पानी जहां जमा हुआ है वह इलाका जोशीमठ में है लेकिन अभी पानी के स्रोत का पता नहीं चल पाया है.
अधिकारियों के केंद्रीय दल ने कहा कि प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए पहचाने गए क्षेत्रों का भी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण किया जाना चाहिए.
चमोली के डीएम ने कहा, ‘असुरक्षित जोन के तहत चिह्नित इमारतों को खाली करा दिया गया है और इसके आसपास के बफर जोन को भी खाली कराया जा रहा है. आज सीबीआरआई, रुड़की से एक टीम यहां आएगी और वे उन इमारतों की पहचान करेगी जिन्हें गिराने की जरूरत है और उनके मार्गदर्शन में आगे की कार्रवाई की जाएगी.’
उन्होंने कहा कि सभी निवासियों को ‘असुरक्षित क्षेत्रों’ से सुरक्षित निकाल लिया गया है.
केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई), रुड़की के विशेषज्ञों की एक टीम की देखरेख में इमारतों को गिराने का काम शुरू किया जाएगा.
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की एक टीम जरूरत पड़ने पर इमारतों को गिराने में जिला प्रशासन की सहायता के लिए तैयार है.
एनडीआरएफ ने कहा, ‘विशेषज्ञ ग्राऊंड पर मुस्तैद हैं और प्रशासन उनके निर्देश और सलाह पर कार्रवाई करेगा.’
मौके पर एसडीआरएफ को तैनात किया गया है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए लाउडस्पीकर से अनाउंसमेंट की जा रही है.
एसडीआरएफ कमांडेंट, मणिकांत मिश्रा ने कहा, ‘दो होटलों में से मलारी इन को आज चरणबद्ध तरीके से तोड़ा जाएगा. सबसे पहले ऊपर के हिस्से को तोड़ा जाएगा. ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि दरारों के कारण दोनों होटल झुक गए हैं और एक-दूसरे के बेहद करीब आ गए हैं.’
मिश्रा ने कहा, ‘उन्हें गिराना जरूरी है क्योंकि आसपास कई घर और होटल हैं, अगर ये दोनों और डूब गए तो वे गिर सकते हैं. इसलिए, विशेषज्ञों ने उन्हें गिराने करने का फैसला किया. सीबीआरआई विशेषज्ञ आ रहे हैं, उन्होंने आज एक सर्वेक्षण किया और अब वे उसी पर अधिक तकनीकी जानकारी देंगे.’
होटल मलारी इन के मालिक ने कहा, ‘मुझे नोटिस दिया जाना चाहिए था’.
होटल मालिक, ठाकुर सिंह राणा ने कहा, ‘अगर इसे जनहित में गिराया जा रहा है तो मैं सरकार और प्रशासन के साथ हूं. भले ही मेरे होटल में आंशिक दरारें ही क्यों न हों, लेकिन मुझे नोटिस दिया जाना चाहिए था और मूल्यांकन किया जाना चाहिए था. मैं इवेल्यूएशन के लिए आग्रह करता हूं, मैं फिर चला जाऊंगा.’
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अधिकारियों ने की सीएम धामी से मुलाकात
सोमवार को जल शक्ति मंत्रालय की एक टीम भी जोशीमठ पहुंची थी.
जिन इलाकों में इमारतें गिराई जाएंगी, उन्हें प्रशासन ने ‘असुरक्षित क्षेत्र’ घोषित कर खाली करा दिया है.
गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों ने जोशीमठ की स्थिति के बारे में जानने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की.
इस दौरान, ‘सब्सिडेंस जोन’ (प्रभावित क्षेत्र) में भूमिगत जल जमाव के स्थान का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया गया.
आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने सोमवार को बताया कि इस मुद्दे को हल करने के लिए संबंधित सभी संस्थानों के वैज्ञानिकों की मदद ली जाएगी और राज्य सरकार को केंद्र की ओर से हर संभव सहायता दी जाएगी.
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय टीम से कहा कि जोशीमठ सांस्कृतिक, धार्मिक और सामरिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण शहर है और इसके जीर्णोद्धार के लिए एकीकृत प्रयासों की जरूरत होगी.
उन्होंने कहा कि इलाके को बचाने और प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं.
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