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Saturday, 11 January, 2025
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हिंदी थोपे जाने के खिलाफ 20 सितंबर को डीएमके का प्रदर्शन, राहुल बोले भाषाओं की बहुलता कमजोरी नहीं

डीएमके शाह के दृष्टकोण के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन का एलान किया वहीं राहुल गांधी ने बयान की निंदा करते हुए कहा कि भाषाओं की बहुलता भारत की कमजोरी नहीं है.

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नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा हिंदी दिवस के अवसर पर 14 सितंबर को ‘एक राष्ट्र, एक भाषा’ की वकालत किए जाने और लोगों से हिंदी का अधिक इस्तेमाल करने के लिए कहे जाने की बात तूल पकड़ती जा रही है. एक ओर विपक्षी दल जहां इसका जम कर विरोध कर रहे हैं वहीं तमिलनाडु की प्रमुख विपक्षी पार्टी डीएमके शाह के दृष्टकोण के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन का एलान किया है.

वहीं कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी शाह के बयान की निंदा करते हुए कहा कि भाषाओं की बहुलता भारत की कमजोरी नहीं है. राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘उड़िया, मराठी, कन्नड़, हिंदी, तमिल, अंग्रेजी, गुजराती, बांग्ला, उर्दू, पंजाबी, कोंकणी, मलयालम, तेलुगू, असमी, बोडो, डोगरी, मैथिली, नेपाली, संस्कृत, कश्मीरी, सिंधी, संथाली, मणिपुरी..भारत की कई सारी भाषाएं उसकी कमजोरी नहीं हैं.’

वहीं डीएमके पार्टी ने शाह के खिलाफ अभियान चलाने जा रही है. पार्टी 20 सितंबर को सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है. पार्टी ने केंद्र सरकार से यह भी आग्रह किया कि वह आर्थिक वृद्धि के लिए रचनात्मक कदम उठाने पर ध्यान दे और हिंदी थोपने के अपने कदम को त्याग दे.

हिंदी दिवस के अवर पर गृहमंत्री अमित शाह ने अपने ट्वीट में लिखा था,’ भारत अलग-अलग भाषाओं का देश है, और प्रत्येक भाषा का अपना महत्व है. लेकिन पूरे देश की एक भाषा होना जरूरी है, जो दुनिया में भारत की पहचान बने. आज यदि कोई भाषा देश को एकजुट कर सकती है तो वह हिंदी है, जो सबसे ज्यादा बोली जाती है.’

जम्मू एवं कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद भाजपा का ध्यान अब ‘एक राष्ट्र, एक भाषा’ के अपने वादे पर है.

(आईएएनएस के इनपुट्स के साथ)

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