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Friday, 29 March, 2024
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हिमाचल में 67 दिनों बाद सुलझा अडाणी सीमेंट और ट्रक यूनियन के बीच का विवाद, CM सुक्खू ने किया ऐलान

सीएम सुक्खू ने कहा कि ट्रक ऑपरेटर्स और कंपनी के विवेक के कारण ही कोई फैसला हो पाया है. उन्होंने कहा, "ट्रक ऑपरेटर्स अपने हितों और अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे थे और इसी के साथ आज ये विवाद खत्म हो गया."

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नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश के दाड़लाघाट और बरमाणा में ट्रक ऑपरेटर्स और अडाणी सीमेंट कंपनी के बीच माल भाड़े को लेकर चल रहा विवाद 67 दिनों के बाद सोमवार को खत्म हो गया. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि मंगलवार से दोनों सीमेंट प्लांट्स में काम शुरू हो जाएगा.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के हस्तक्षेप के बाद सीमेंट कंपनी के मैनेजमेंट और ट्रक ऑपरेटर्स के बीच सिंगल एक्सल के लिए 10.30 रुपए प्रति किमी प्रति टन और मल्टी एक्सल के लिए 9.30 रुपए प्रति किमी प्रति टन पर बात बनी है.

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री दफ्तर ने ट्वीट कर कहा, “आज ट्रक ऑपरेटरों और अडाणी सीमेंट कंपनी के साथ तीसरे दौर की वार्ता की. हिमाचल प्रदेश में 67 दिन से चल रहे सीमेंट फैक्ट्री विवाद को आपसी सहमति से सुलझाया. ट्रक ऑपरेटर्स ने प्रस्ताव पर अपनी सहमति जताई है.”

सुक्खू ने सोमवार को शिमला में प्रेस कांफ्रेंस में कहा, “जब मैं मुख्यमंत्री बना तो ट्रक ऑपरेट्र्स 16 दिसंबर से हड़ताल पर चले गए.पहले ट्रक ऑपरेटर्स 11.41 और 10.58 रुपए प्रति किमी प्रति टन के हिसाब से किराया लेते थे. जब अडाणी ने कंपनी का जिम्मा संभाला तो विवाद शुरू हो गया.”

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उन्होंने कहा, “मैंने इस मामले में व्यक्तिगत रुचि ली और कई दौर की बातचीत की. हमने किसी तरह का नोटिफिकेशन जारी नहीं किया जो ट्रक ऑपरेटर्स के हितों के खिलाफ हो. साथ ही हम चाहते हैं कि राज्य में इंडस्ट्रीज भी बनी रहे.”

मुख्यमंत्री ने कहा, “जब अहम टकराता है तो मामला सुलझाने में वक्त लग जाता है. अडाणी ग्रुप रेट को लेकर अड़ा हुआ था. मैंने खुद सीईओ से मुलाकात की.” साथ ही उन्होंने कहा कि अगर भविष्य में ट्रक ऑपरेटर्स और सीमेंट प्लांट्स के बीच कोई छोटा मुद्दा उभरेगा तो उसका समाधान जिला प्रशासन करेगी.

सीएम सुक्खू ने आगे कहा, “ट्रक ऑपरेटर्स और कंपनी के विवेक के कारण ही कोई फैसला हो पाया है.” उन्होंने कहा, “ट्रक ऑपरेटर्स अपने हितों और अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे थे और इसी के साथ आज ये विवाद खत्म हो गया.”

दाड़लाघाट में अंबुजा सीमेंट प्लांट | फोटो: कृष्ण मुरारी | दिप्रिंट

बता दें कि इससे पहले मुख्यमंत्री सुक्खू और ट्रक आपरेटर्स के बीच विवाद सुलझाने के लिए बैठक हुई थी लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया था. दोनों सीमेंट प्लांट्स के बंद होने के कारण हर दिन राज्य सरकार को एक करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो रहा था.

पिछले हफ्ते केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने शिमला में ट्रक ऑपरेट्र्स से मुलाकात की थी और इस मुद्दे को सुलझाने के लिए सीएम सुक्खू से भी बात की थी. उन्होंने कहा था, “दाड़लाघाट के सभी ट्रक ऑपरेटर्स पिछले 2 महीने से हड़ताल पर हैं. हमने माल भाड़े को लेकर इनसे गहन चर्चा की. दोनों पक्षों को सकारात्मक रवैये के साथ समाधान निकालना चाहिए.”


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कब शुरू हुआ था विवाद

पिछले साल दिसंबर में जब हिमाचल में कांग्रेस की सरकार बनी तो उसके तीन दिन बाद ही यानी 14 दिसंबर को अडाणी ग्रुप ने दाड़लाघाट और बिलासपुर स्थित अपने दो सीमेंट प्लांट्स बंद कर दिए.

प्लांट्स के बंद होने के हफ्ते भर के बाद ही सरकार ने एक सब-कमिटी बनाई जिसके जिम्मेदारी इस मामले को देखने की है, जिसके बाद हिमाचल कंसलटेंसी ऑर्गेनाइजेशन (हिमकॉन) जो कि राज्य की एजेंसी है, उसे हाई कोर्ट द्वारा प्रस्तावित फॉर्मूला के आधार पर माल भाड़ा तय करने की जिम्मेदारी दी गई थी. हिमकॉन ने अपनी सिफारिशें सरकार को भेज दी थी लेकिन सरकार ने कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया.

सब-कमिटी के सदस्य और हिमाचल प्रदेश परिवहन के निदेशक अनुपम कश्यप ने दिप्रिंट से कहा था, ‘हम चाहते हैं कि यह मामला जल्द से जल्द सुलझ जाए लेकिन हम इसे सिर्फ एक कमरे में बैठकर नहीं सुलझा सकते.’

हिमाचल के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने दिप्रिंट से बीते महीने कहा था, ‘मुख्यमंत्री खुद इस मामले को देख रहे हैं, लेकिन सरकार केवल मध्यस्थ की ही भूमिका निभा सकती है.’ साथ ही उन्होंने कहा कि वे इंडस्ट्रीज़ की जीएसटी से संबंधित समस्या को सुलझाने का वादा करते हैं.’

सोलन के दाड़लाघाट के रौड़ी गांव में अंबुजा सीमेंट प्लांट। 14 दिसंबर को अडाणी ने इस प्लांट बंद कर दिया | फोटो: कृष्ण मुरारी | दिप्रिंट

दिप्रिंट ने जब पिछले महीने दाड़लाघाट का दौरा किया था तब वहां हजारों की संख्या में सड़क किनारे ट्रक खड़े थे. स्थानीय लोगों का कहना था कि प्लांट के बंद होने के कारण वे ट्रक की किस्त नहीं भर पा रहे हैं. बता दें कि दाड़लाघाट और बिलासपुर के बरमाणा की सारी अर्थव्यवस्था सीमेंट प्लांट्स पर टिकी हुई है. प्लांट्स बंद होने के कारण लोगों की आजीविका पर संकट खड़ा हो गया था.

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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