शिमला: कांग्रेस पार्टी ने 2022 में हिमाचल प्रदेश में सत्ता में आने से पहले उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली की संख्या बढ़ाकर 300 करने का वादा किया था, लेकिन गंभीर वित्तीय संकट ने कांग्रेस नीत सरकार को टैक्स भरने वाले उपभोक्ताओं को बाहर करके मौजूदा सब्सिडी योजना — 125 यूनिट मुफ्त बिजली देने — को तर्कसंगत बनाने के लिए मजबूर कर दिया है.
अब सब्सिडी ‘एक परिवार एक मीटर’ तक सीमित रहेगी और बिजली कनेक्शन राशन कार्ड या आधार कार्ड से जुड़े होंगे.
हिमाचल सरकार ने मुख्यमंत्री/पूर्व मुख्यमंत्रियों, स्पीकर, डिप्टी स्पीकर, मंत्रियों/पूर्व मंत्रियों, सांसदों/पूर्व सांसदों, विधायकों/पूर्व विधायकों, बोर्डों के अध्यक्षों/सलाहकारों, विशेष कार्य अधिकारियों, सरकार/निगमों/बोर्डों के सभी वर्ग-1 और वर्ग-2 कर्मचारियों – जिनमें भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, हिमाचल प्रदेश पुलिस सेवा और हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और वन अधिकारी, न्यायिक अधिकारी — सभी सरकारी वर्ग ए और वर्ग बी ठेकेदारों और सभी आयकर दाताओं के लिए सब्सिडी वापस लेने का फैसला किया है.
यह फैसला शुक्रवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया, जब भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार 125 मुफ्त यूनिट की मौजूदा सब्सिडी को वापस लेने की योजना बना रही है.
पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम साल 2022 में राज्य में बिजली सब्सिडी योजना शुरू की थी. जनवरी 2022 में सरकार ने 60 यूनिट मुफ्त बिजली देने का फैसला किया था. बाद में अगस्त 2022 में सभी 14 लाख घरेलू उपभोक्ताओं के लिए यह संख्या बढ़ाकर 125 यूनिट कर दी गई.
सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद इस योजना को जारी रखने का फैसला किया था. हालांकि, 300 यूनिट के वादे पर उन्होंने कहा था कि राज्य को पहले आत्मनिर्भर बनना होगा.
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने मीडिया को बताया कि सरकार ने यह फैसला यह सुनिश्चित करने के लिए लिया है कि ज़रूरतमंद लोगों को मुफ्त बिजली योजना का लाभ मिलता रहे. उन्होंने कहा, “भाजपा सरकार ने अभी योजना शुरू की है, जबकि इसका बोझ कांग्रेस सरकार ने उठाया है. 2022-23 में इस योजना पर 900 करोड़ रुपये खर्च किए गए. यह 2023-24 में बढ़कर 1,000 करोड़ रुपये हो गया.”
उन्होंने कहा, “इस योजना के कारण हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड की हालत खराब है. इसलिए, हमने उच्च आय वाले उपभोक्ताओं को बाहर निकालने का फैसला किया. उन्हें बिजली बिलों पर सब्सिडी की क्या ज़रूरत है?”
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‘300 यूनिट गारंटी का क्या हुआ’
इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कांग्रेस पर राज्य के लोगों को धोखा देने का आरोप लगाया. ठाकुर ने दिप्रिंट से कहा, “कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया था और अब भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई योजना को खत्म करने के तरीके खोज रही है. यह हमें स्वीकार नहीं है. कांग्रेस ने झूठी गारंटी दी है.”
एचपीएसईबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि इस फैसले से लगभग 15 से 20 प्रतिशत उपभोक्ताओं पर असर पड़ने की संभावना है.
दिप्रिंट से बात करते हुए राज्य सरकार के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि ‘एक परिवार, एक मीटर’ की अवधारणा कई लाभार्थियों को बाहर कर सकती है. उन्होंने कहा, “कई उपभोक्ता ऐसे हैं जिनके नाम पर एक से अधिक मीटर हैं. ‘एक परिवार, एक मीटर’ सब्सिडी को केवल एक मीटर तक सीमित कर देगा.”
इससे पहले मार्च में हिमाचल प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (एचपीईआरसी) ने नगर निकायों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के बिना बिजली मीटर लगाने वाले उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली सब्सिडी देने से मना कर दिया था. एचपीईआरसी के आदेश के अनुसार, ऐसे उपभोक्ताओं से अब 6.79 रुपये प्रति यूनिट बिजली ली जा रही है.
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