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Friday, 29 March, 2024
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कर्नाटक HC ने हिजाब विवाद पर कहा, छात्र मामला सुलझने तक ‘धार्मिक चीजें’ पहनने पर जोर न दें

अदालत ने मामले की सुनवाई सोमवार के लिए निर्धारित करते हुए यह भी कहा कि शैक्षणिक संस्थान छात्र-छात्राओं के लिए कक्षाएं फिर से शुरू कर सकते हैं.

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बेंगलुरू: कालेज में हिजाब को प्रतिबंधित करने के मामले को लेकर सुनवाई कर रहे कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को छात्रों से कहा कि जब तक मामला सुलझ नहीं जाता तब तक वे शैक्षणिक संस्थानों के परिसर में धार्मिक ड्रेस न पहनें, जिससे लोगों को उकसाया जा सके.

उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की पीठ ने बुधवार को कहा था कि वह कालेजों को फिर से खोलने का निर्देश देते हुए एक आदेश पारित करेगी और छात्रों से मामले के निपटारे तक धार्मिक चीजों को पहनने पर जोर नहीं देने को कहा. अदालत ने मामले को सोमवार तक के लिए स्थगित करते हुए कहा, ‘हरहाल में शांति बहाल की जानी चाहिए.’

अदालत ने मामले की सुनवाई सोमवार के लिए निर्धारित करते हुए यह भी कहा कि शैक्षणिक संस्थान छात्र-छात्राओं के लिए कक्षाएं फिर से शुरू कर सकते हैं.

कल न्यायधीश एस दीक्षित की एकल बेंच ने एक मुस्लिम लड़की की तरफ से दायर याचिका की सुनवाई बड़ी बेंच के पास भेज दिया था. जिसमें संवैधानिक अधिकार से जुड़े महत्वपूर्ण सवालों और पर्सनल लॉ से जुड़े सवाल शामिल हैं.

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘मामले के निपटारे तक आप लोगों को इन सभी धार्मिक चीजों को पहनने की जिद नहीं करनी चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘हम आदेश पारित करेंगे. स्कूल-कॉलेज शुरू होने दें. लेकिन जब तक मामला सुलझ नहीं जाता तब तक किसी भी छात्र-छात्राओं को धार्मिक पोशाक पहनने पर जोर नहीं देना चाहिए.’

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हालांकि, याचिकाकर्ताओं के वकील देवदत्त कामत ने अदालत से उनकी आपत्ति पर विचार करने का अनुरोध किया कि ऐसा आदेश अनुच्छेद 25 के तहत उनके मुवक्किल के संवैधानिक अधिकारों को निलंबित करने के बराबर होगा. कामत ने कहा, ‘यह उनके अधिकारों का पूर्ण हनन होगा.’

इस पर मुख्य न्यायाधीश अवस्थी ने कहा कि यह व्यवस्था केवल कुछ दिन के लिए है जब तक कि मामला हल नहीं हो जाता है और उनसे सहयोग करने का आग्रह किया.

न्यायमूर्ति दीक्षित ने बुधवार को इस मामले को मुख्य न्यायाधीश अवस्थी के पास इस राय के साथ भेज दिया था कि मुख्य न्यायाधीश मामले पर गौर करने के लिए बड़ी पीठ के गठन का फैसला कर सकते हैं.

गौरतलब है कि हिजाब को लेकर विरोध इस साल जनवरी में उडुपी में शुरू हुआ था जब कुछ छात्राओं को महाविद्यालयों में हिजाब पहनकर आने से रोक दिया गया. इसके बाद हिंदू छात्र भगवा गमछा लेकर स्कूल-कॉलेज आने लगे. बाद में राज्य के अन्य स्थानों पर भी पक्ष-विपक्ष में प्रदर्शन होने लगे.

वहीं इससे पहले प्री-यूनिवर्सिटी एजुकेशन बोर्ड ने एक सर्कुलर जारी किया था यह कहते हुए कि छात्र केवल स्कूल प्रशासन द्वारा अनुमोदित किए गए यूनिफॉर्म ही पहन सकते हैं और कालेज में बाकी धार्मिक प्रैक्टिसेज की अनुमति नहीं होगी.

(भाषा और एएनआई के इनपुट्स के साथ)

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