नई दिल्ली: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में देश में सबसे अधिक अपराध उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ दर्ज किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि राजस्थान दूसरे स्थान पर है, उसके बाद महाराष्ट्र है. नागालैंड में महिलाओं के खिलाफ सबसे कम अपराध हुए, इसके बाद मिजोरम और गोवा का स्थान रहा.
केंद्र शासित प्रदेशों में, 2020 से 41 फीसदी की वृद्धि दर्ज करते हुए दिल्ली 1,4277 मामलों के साथ सूची में सबसे ऊपर है . वहीं अगर 19 मेट्रोपोलिटन शहरों में बात की जाए तो दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में भी सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है .
अगर अन्य राज्यों की बात करें तो पिछले साल ओडिशा में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई और राज्य में उनके खिलाफ हमले और साइबर अपराध के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए.
एनसीआरबी की हाल ही में प्रकाशित ‘क्राइम इन इंडिया 2021’ रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 2021 में बलात्कार, अपहरण और पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता के मामलों में भी भारी वृद्धि दर्ज की गई. राज्य में प्रति एक लाख महिलाओं पर अपराध दर बढ़कर 137.8 हो गई जो 2020 में 112.9 थी. इस प्रकार ओडिशा देश में असम और दिल्ली के बाद तीसरे नंबर पर है.
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महिलाओं के खिलाफ अपराध में 15% की बढ़ोतरी
कुल मिलाकर देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में करीब 15 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई.
पूरे भारत में 2021 में बलात्कार के कुल 31,677 मामले दर्ज किए गए. देश में अगर बात करें तो राजस्थान में अकेले सबसे अधिक 6,337 मामले बलात्कार (आईपीसी की धारा 376) के दर्ज हुए . मध्य प्रदेश (2,947) आधे से भी कम संख्या के साथ दूसरे स्थान पर रहा, जबकि उत्तर प्रदेश (2,845) तीसरा सबसे खराब राज्य रहा है.
चार मामलों के साथ, नागालैंड में सबसे कम बलात्कार हुए, उसके बाद सिक्किम में आठ मामले सामने आए. लक्षद्वीप एकमात्र केंद्र शासित प्रदेश या राज्य था जिसने 2021 में बलात्कार या बलात्कार के प्रयास की कोई घटना नहीं देखी.
वहीं देश में बलात्कार के लिए दी गई कुल सजा की दर 28.6 प्रतिशत रही, जबकि 2020 में यह दर 29.8 प्रतिशत थी. 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए दोषसिद्धि दर 25.2 प्रतिशत थी.
एनसीआरबी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, ‘आईपीसी के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध के अधिकांश मामले ‘पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता’ (31.8%) के तहत दर्ज किए गए थे, इसके बाद ‘महिलाओं पर हमला करने के इरादे से’ (20.8%), ‘ महिलाओं का अपहरण और अपहरण’ (17.6%) और ‘बलात्कार’ (7.4%). 2020 में 56.5 की तुलना में 2021 में प्रति लाख महिला आबादी पर दर्ज अपराध की दर 64.5 है.
कोरोनावायरस की दूसरी लहर के दौरान लॉकडाउन में पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा घरेलू हिंसा के मामले 33.62 प्रतिशत बढ़कर 4,889 हो गए. महिलाओं के अपहरण की घटनाओं में 37.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और ऐसे मामले बढ़कर 5,175 हो गए.
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