रायपुर: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा भूपेश बघेल सरकार को निज़ामुद्दीन मरकज़ से लौटे 52 लापता तबलीगी जमात के सदस्यों को खोजने के लिए दिए गए आदेश के एक दिन बाद शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने सफाई दी है. उन्होंने कहा, ‘मरकज़ से लौटने वाला कोई भी शख्स मिसिंग नही है.’ मुख्यमंत्री ने सरकार द्वारा तबलीगी जमात से संबंधित जारी विवादित 159 नामों की सूची को भी सही नहीं माना है.
वीडियो कांफ्रेंस के जरिए मीडिया से एक चर्चा में अपनी सरकार की ओर से सफाई देते हुए भूपेश बघेल ने कहा, ‘नीजामुद्दीन मरकज से छत्तीसगढ़ लौटे तबलीगी जमात के लोगों में कोई भी मिसिंग नहीं है.’ उन्होंने ने खुलासा किया कि मरकज़ से 107 जमाती वापस आए थे और राज्य सरकार द्वारा सबकी पहचान कर ली गयी है.
बघेल ने बताया की सभी 107 जमातियों को क्वारेंटाइन में रखा गया है तथा उनके खून के सैम्पल ले लिए गए हैं लेकिन जांच रिपोर्ट अभी आना बाकी है. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा जमातियों की ट्रेवल हिस्ट्री निकाली जा रही है. इसके साथ ही यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि मरकज़ से लौटे लोग और कितने लोगों के संपर्क में आए थे.
मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार द्वारा जारी विवादित तबलीगी जमात से कथित तौर पर संबंधों वाली 159 नामों की सूची के विषय में सफाई दी और बताया कि वह ‘गलत’ थी. अपनी सरकार की सफाई में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘आन्ध्रप्रदेश की एसआईबी ने मोबाईल टावर के डाटा के आधार पर 159 लोगों की सूची जारी कर दी थी, जो सही नहीं था. इसमें से कुछ ऐसे लोगों के नाम भी शामिल थे, जो केवल वहां से गुजरे थे और उनके नाम दर्ज हो गए. ये लोग मरकज में नहीं गए थे. बाद में भारत सरकार से मरकज में गए लोगों की जानकारी ली गयी, जिनमें 107 लोग ही शामिल थे.’
गौरतलब है कि बिलासपुर स्थित छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट ने 9 मार्च को एक याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को याचिकाकर्ता की मांग पर निज़ामुद्दीन मरकज़ से लौटे 52 तबलीगी जामात के सदस्यों की खोज एक सघन अभियान चलाकर की जाय, क्योंकि हो सकता है कि उनमें से कुछ जमाती कोविड-19 पॉजिटिव निकलें.
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को यह भी बताया था कि सरकार द्वारा जारी 159 तबलीगी जमात से संबंध रखनेवालों की सूची में 107 सदस्यों के सैम्पल ले लिए गये है लेकिन बाकी 52 सदस्यों के विषय में कोई जानकारी नही है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता की इसी दलील के रिस्पांस में जामतियों को खोजने का आदेश दिया और 13 मार्च को आदेश की तामीली रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा.
बघेल ने कहा कि हमें सोशल डिस्टेन्सिग जैसे शब्दों की जगह फिजिकल डिस्टेन्सिंग को लाना होगा क्योंकि इसी सामाजिक लगाव की वजह से ही प्रदेश से रोजगार के लिए पलायन करने वाले श्रमिक वर्ग के लोग वापस अपने गांव और घर को जाते हैं.
प्रदेश में लॉकडाउन खोलने के सबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि 11 अप्रैल को प्रधानमंत्री की वीडियो कांन्फ्रेंस के बाद 12 अप्रैल को राज्य मंत्रीपरिषद की बैठक में चर्चा कर लॉकडाउन के बारे में निर्णय लिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के संबंध में पूरी संवेदनशीलता और सावधानी के साथ निर्णय लिया जाना चाहिए. इस संबंध में निर्णय करते समय हमें जीवन और जीविका के बीच संतुलन रखना होगा.
बघेल ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में एम्स रायपुर और जगदलपुर के मेडिकल कॉलेज में कोरोनावायरस की टेस्टिंग की व्यवस्था है. राजधानी रायपुर के मेकाहारा अस्पताल में टेस्टिंग की अनुमति मिल गई है, जिससे इसका जल्द विस्तार होगा. बघेल के अनुसार सरकार के पास क्वारेंटाइन की व्यवस्था और पर्याप्त मात्रा में वेन्टिलेटर हैं. राज्य सरकार द्वारा टेस्टिंग किट के लिए टेंडर कर दिया गया है. जल्द ही किट भी उपलब्ध हो जाएंगे.
केंद्र सरकार को आड़े हांथों लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘यदि इन्टरनेशनल फ्लाइट से आने वाले लोगों को वहीं क्वारेंटाइन किया जाता और वहीं उनकी जांच की जाती, तो संक्रमण नहीं फैलता. उन्होंने बताया कि राज्य की सीमा सील कर दी गयी है और लॉकडाउन में अत्यावश्यक सेवाओं के लिए छूट दी गयी. बाहर से आवागमन नहीं होने के कारण संक्रमण से बचे रहे.