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Monday, 4 November, 2024
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डीएम यूनिवर्सिटी में विस्फोट के बाद इंफाल में हाई-अलर्ट, एक की मौत, लोग राजनीतिक समाधान की वकालत कर रहे

यह पता चला है कि धनमंजुरी विश्वविद्यालय परिसर के भीतर ऑल मणिपुर छात्र संघ कार्यालय पर एक हथगोला फेंका गया था. इसी विस्फोट ने हिंसा की घटनाओं को जन्म दिया.

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गुवाहाटी: मणिपुर की राजधानी इम्फाल में शुक्रवार देर रात एक विस्फोट के बाद तनाव बढ़ गया, जिसमें धनमंजुरी (डीएम) विश्वविद्यालय के एक छात्र की जान चली गई और आगजनी व हिंसा की कई घटनाएं हुईं. धमाके के बाद से शहर हाई अलर्ट पर है.

विस्फोट में एक अन्य छात्र घायल हो गया और फिलहाल इंफाल के राज मेडिसिटी अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है.

हालांकि विस्फोट की प्रकृति का अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन स्थानीय सूत्रों के अनुसार, अज्ञात बदमाशों ने इंफाल पश्चिम जिले में डीएम विश्वविद्यालय परिसर के भीतर स्थित ऑल मणिपुर स्टूडेंट्स यूनियन (एएमएसयू) कार्यालय पर एक हथगोला फेंका.

घटना राज्य विश्वविद्यालय परिसर के उत्तरी हिस्से में रात करीब साढ़े नौ बजे हुई. दोनों घायल छात्रों को तुरंत इंफाल के राज मेडिसिटी अस्पताल ले जाया गया और बाद में शाम को उनमें से एक ने दम तोड़ दिया.

मृतक की पहचान 24 वर्षीय ओइनम केनेजी सिंह के रूप में की गई है, जो बिष्णुपुर जिले के उपोकपी का रहने वाला था. घायल छात्र, जिसका अस्पताल में इलाज चल रहा है, उसकी पहचान उसी जिले के सलाम माइकल (24) के रूप में की गई है.

अभी तक किसी उग्रवादी समूह या सशस्त्र संगठन ने विस्फोट की जिम्मेदारी नहीं ली है. मणिपुर पुलिस ने अभी तक इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है.

इसी तरह की एक घटना 10 जून, 2021 को सामने आई थी, जब संदिग्ध विद्रोहियों ने डीएम विश्वविद्यालय परिसर के अंदर छात्र संघ के उसी कार्यालय पर हथगोला फेंककर विस्फोट किया था. हालांकि, तब किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं आई थी.

शुक्रवार को हुए विस्फोट के तुरंत बाद, पूरे शहर में अशांति की लहर दौड़ गई जो शनिवार तड़के तक जारी रही.

स्थानीय सूत्रों ने बताया कि रात के 12 बजकर 5 मिनट पर अज्ञात बदमाशों ने एक के बाद एक तीन निजी कार्यालयों और स्कूलों को निशाना बनाया और आग लगा दी.

प्रभावित प्रतिष्ठानों में सिविल सोसायटी ऑर्गेनाइज़ेशन का कार्यालय, लाम्फेलपत में यूनाइटेड कमेटी मणिपुर (यूसीएम) कार्यालय, पैलेस परिसर में माचा लीमा स्कूल और इम्फाल में वांगखेई निंगथेम पुखरी में मापी काउंसिल नामक एक अन्य सिविल बॉडी का कार्यालय शामिल था.

यूसीएम शीर्ष निकायों में से एक है जिसमें राज्य में 36 नागरिक समाज संगठन (सीएसओ) शामिल हैं, जिनमें मैतेई, पंगल (मणिपुरी मुस्लिम) और नागा समूह शामिल हैं. माचा लीमा स्कूल विशेष रूप से मैतेई महिला समुदाय द्वारा चलाया जाता है.

‘इंटेलीजेंस की पूरी विफलता’

शुक्रवार की घटनाएं तेजी से घटीं, जिससे मैतेई समुदाय खतरे में पड़ गया. स्थानीय सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि अग्निशमन सेवा अधिकारी आग बुझाने में कामयाब रहे.

शनिवार को बड़ी संख्या में छात्रों ने ग्रेनेड हमले में छात्र की हत्या की निंदा करते हुए इंफाल शहर में एक जन रैली निकाली.

न्याय की मांग करते हुए, मृतक छात्र ओइनम केनेजी सिंह के जन्मस्थान उपोकपी में शनिवार को एक संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) का गठन किया गया. जेएसी ने अपनी मांगें पूरी होने तक सिंह के पार्थिव शरीर को स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है, जिसमें 48 घंटों के भीतर दोषियों को पकड़ना भी शामिल है.

स्थानीय लोग थांगमीबंद में भी सड़कों पर उतर आए, जहां डीएम विश्वविद्यालय स्थित है. नागरिक आबादी में गुस्से और दहशत के स्पष्ट संकेत थे.

इस बीच, यूसीएम ने आगजनी की घटनाओं की कड़ी निंदा की है और अपने सदस्यों के लिए सुरक्षा की मांग की है. यूसीएम के एक सदस्य ने दिप्रिंट को बताया कि जिन कुछ यूसीएम सदस्यों को शुक्रवार को अज्ञात हथियारबंद लोगों द्वारा गिरफ्तार किया गया था उन्हें बाद में रिहा कर दिया गया. देखने में आया कि उनमें से कुछ को बुरी तरह पीटा गया था.

यूसीएम प्रतिनिधि ने घटना के बारे में बताया और सरकार से गहन जांच की मांग की.

प्रतिनिधि ने कहा, “मेरे राज्य में वर्तमान स्थिति बहुत गंभीर है. सरकार कुछ भी कंट्रोल नहीं कर पा रही है. हमें नहीं पता कि यह किसने किया है.’ लगभग 15-20 जिप्सियों में हथियारबंद लोग थे जो शुक्रवार रात करीब 11.30 बजे यूसीएम भवन के पास पहुंचे.”

उन्होंने कहा कि नकली वर्दी में ये हथियारबंद लोग फिर मुख्य दरवाजे को तोड़कर घुस गए. “कुछ लोग अंदर सो रहे थे. एक भागने में सफल रहा. उनमें से दो को हमलावरों ने पकड़ लिया और उन्हें बुरी तरह पीटा.”

उन्होंने कहा, “उन्होंने (सशस्त्र उपद्रवियों ने) बाद में हमारे कार्यालय से कुछ कागजात और दस्तावेज निकाल लिए और उन्हें बाहर जला दिया.”

यूसीएम नेता ने इसे खुफिया तंत्र की विफलता या सरकारी उदासीनता बताते हुए यह भी कहा कि लाम्फेलपत पुलिस स्टेशन यूसीएम कार्यालय भवन से लगभग 200 मीटर की दूरी पर स्थित है.

यूसीएम नेता ने दिप्रिंट को बताया, “यह एक अच्छी तरह से सुरक्षित क्षेत्र है और राज्य व केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के कार्यालय इस जगह के आसपास हैं. यह पूरी तरह से ख़ुफ़िया विफलता है या सरकार इस पर कार्रवाई नहीं करना चाहती.”

हथियारबंद बदमाशों ने किया अपहरण

यह विस्फोट ऑल मणिपुर स्टूडेंट्स यूनियन (एएमएसयू) के अध्यक्ष कोंगब्राइलाटपम हरिदेव शर्मा के 20 फरवरी को सशस्त्र बदमाशों द्वारा कथित तौर पर अपहरण किए जाने के तीन दिन बाद हुआ.

मंगलवार दोपहर को शर्मा को “हथियारबंद लोगों” ने मणिपुर विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार से बाहर निकाला. शर्मा के परिवार के एक सदस्य ने दिप्रिंट से पुष्टि की कि उन्हें गुरुवार को सुरक्षित रिहा कर दिया गया.

इससे पहले बुधवार को, एएमएसयू सदस्यों के साथ विभिन्न महिला संगठनों ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें सरकार से उनकी सुरक्षित रिहाई का आग्रह किया गया.

मामले से परिचित सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि सीएम ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को इस मामले को देखने के लिए कहा था.

20 फरवरी को एक व्यक्ति द्वारा मणिपुर राज्य मानवाधिकार आयोग (एमएचआरसी) में एक शिकायत भी दर्ज की गई थी जिसमें कहा गया था कि “छात्र समुदाय और हरिदेव शर्मा के परिवार के पास यह मानने का कारण है कि उसे एक विद्रोही समूह यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (पाम्बेई ग्रुप) [यूएनएलएफ-पी] द्वारा अपहरण कर लिया गया होगा.” दिप्रिंट ने एमएचआरसी की शिकायत की एक प्रति देखी है.

हालांकि, कथित संगठन ने अभी तक घटना की ज़िम्मेदारी नहीं ली है. यूएनएलएफ-पी ने पिछले साल नवंबर में केंद्र और मणिपुर सरकार के साथ एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

सूत्रों के अनुसार, एएमएसयू और यूसीएम दोनों के दो-दो समूह हैं, जो कुछ मतभेदों के कारण अलग हो गए हैं. इनमें से एक समूह, जिसके शर्मा सदस्य थे, का एक सशस्त्र संगठन के साथ मतभेद था.

इस बीच, ऊपर उद्धृत यूसीएम नेता ने दिप्रिंट को बताया कि जातीय संकट का एक मात्र समाधान राजनीति के जरिए किया जा सकता है, भले ही सशस्त्र समूहों के बीच गुटीय झड़पें जारी हैं.

उन्होंने कहा, “विधानसभा का बजट सत्र इस महीने (फरवरी) की 28 तारीख को आ रहा है. यह उन प्लेटफार्मों में से एक होना चाहिए जहां कुकी और मैतेई दोनों विधायक एक साथ बैठते हैं और संभावनाओं पर चर्चा करते हैं. हर चीज़ को राजनीतिक रूप से हल करना होगा. हर किसी के पास बंदूक है और आप यह नहीं सोच सकते कि यह युद्ध एक समुदाय के ख़त्म होने के बाद ही ख़त्म होगा. ऐसा कभी नहीं होता.”

यूसीएम प्रतिनिधि ने कहा, “सशस्त्र समूहों के बीच गुटीय झड़पें पहले भी होती रही हैं. आम नागरिक भ्रमित हैं. मैतेई के रूप में, उन्हें उन सशस्त्र समूहों पर गर्व है जो उनकी रक्षा के लिए आगे आए हैं. लेकिन अंत में एक राजनीतिक समाधान होना चाहिए.”

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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