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Monday, 4 November, 2024
होमदेश1992 के बाबरी कांड के बाद ऐसी हिंसा नहीं देखी- हिंदू-मुस्लिम टकराव पर जोधपुर के निवासियों ने जताया रोष

1992 के बाबरी कांड के बाद ऐसी हिंसा नहीं देखी- हिंदू-मुस्लिम टकराव पर जोधपुर के निवासियों ने जताया रोष

ईद पर जालोरी गेट पर भड़की हिंसा में छह पुलिसकर्मियों समेत 30 लोग घायल हुए हैं. इस घटना की शुरुआत को लेकर भ्रम और अनिश्चितता के बीच कुछ सवाल उठ रहे हैं.

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जोधपुर: 43 वर्षीय राजवीर सोलंकी हैरान हैं. जोधपुर के जालोरी गेट स्थित अमूमन शांत रहने वाला उनका मोहल्ला 2 मई को हिंसा की चपेट में आ गया और यहां कथित तौर पर 1992 में बाबरी कांड के बाद ऐसे टकराव की स्थिति नज़र आई.

सोलंकी ने बुधवार को दिप्रिंट को बताया, ‘इसकी कल्पना करना मुश्किल है. हम इतने सालों से इन्हीं लोगों के साथ मिलजुलकर रह रहे हैं और वही लोग अब हमारी जान के पीछे पड़े हैं. क्या वे हमेशा हमसे नफरत करते थे?’

सोलंकी की राय उसी तरह की है, जैसी यहां के अधिकांश अन्य लोग रखते हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक, जोधपुर में 11 फीसदी मुस्लिम आबादी थी. और आज, कुछ खास हिंदू या मुस्लिम बहुल पॉकेट छोड़कर जालोरी गेट के आसपास के क्षेत्र में दोनों समुदाय एक साथ ही रहते हैं.

ईद की पूर्व संध्या पर शुरू होकर अगले दिन फैल जाने वाली हिंसा का केंद्र जालोरी गेट गोल चक्कर था, जहां स्वतंत्रता सेनानी बालमुकुंद बिस्सा की संगमरमर की प्रतिमा लगी हुई है. जिला प्रशासन का रिकॉर्ड बताता है कि ईद पर हुई इस हिंसा में छह पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 30 लोग घायल हुए हैं.

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) हवा सिंह घूमरिया ने पत्रकारों को बताया कि इसके बाद लगभग पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए करीब 1,000 पुलिस अधिकारियों को तैनात किया गया.

हिंसा के बाद से ही इलाके में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है.

धारा 145 (दंगा), धारा 144 (गैरकानूनी सभा), धारा 321 (चोट पहुंचाना) और धारा 353 (लोक सेवकों पर हमला) के साथ ही अन्य आरोपों के तहत तीन पुलिस स्टेशनों में 12 प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की गई हैं.

जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि बुधवार तक 141 लोगों को हिरासत में लिया गया था, जिनमें से 60 को गिरफ्तार किया गया है.

जोधपुर हिंसा अप्रैल में मध्य प्रदेश, गुजरात, झारखंड, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गोवा, उत्तराखंड और महाराष्ट्र के कुछ शहरों में हुए हिंदू-मुस्लिम संघर्ष की ही अगली कड़ी है.

अभी एक महीना भी नहीं बीता है जब राजस्थान के करौली में एक बाइक रैली को लेकर हिंदू-मुस्लिम संघर्ष हो गया था, जिसमें कम से कम 35 घायल हो गए थे.


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यह सब कैसे शुरू हुआ

स्थानीय निवासियों का कहना है कि विवाद की जड़ जालोरी गेट पर लगे झंडे थे, जिसके बारे में उनका कहना है कि चाहे हिंदू पर्व हो या मुस्लिम, ये जगह हमेशा ही सजाई जाती रही है.

इस साल ईद के दिन ही परशुराम जयंती भी थी— जिसे हिंदू भगवान विष्णु के छठे अवतार की जयंती के तौर पर मनाते हैं.

A car with a broken windshield at Jalori Gate in Jodhpur | Suraj Singh Bisht | ThePrint
जोधपुर के जालौरी गेट में हिंसा के दौरान कार का टूटा शीशा | सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट

कुछ चश्मदीदों ने दिप्रिंट को बताया कि सोमवार 2 मई को रात 11 बजे के करीब इलाके में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच बहस शुरू हुई थी.

एक 52 वर्षीय प्रत्यक्षदर्शी नेमीचंद मोदी ने कहा कि हिंदू समूहों ने पहले ही गोल चक्कर पर भगवा झंडे लगा दिए थे और जब मुसलमानों ने वहां हरे झंडे लगाना शुरू किया तो उन्होंने आपत्ति जताई.

मोदी ने कहा, ‘गोल चक्कर में केवल भगवा झंडा लगे होने चाहिए थे, किसी अन्य झंडे के लिए कोई जगह नहीं थी.’

चश्मदीदों ने कहा कि स्थिति तेजी से बिगड़ी और आधी रात तक संघर्ष काफी बढ़ गया. हिंदुओं का एक समूह चौराहे से लगभग 100 मीटर की दूरी पर स्थित ईदगाह पहुंचा और और अगले दिन ईद की नमाज के लिए लगाए गए लाउडस्पीकर हटा दिए.

हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस टीमों को तत्काल इलाके में भेजा गया.

सोमवार रात मौके पर मौजूद रहे एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘हालांकि 2 बजे के बाद हिंसा की कोई सूचना नहीं मिली लेकिन हिंदू पुरुषों का एक समूह जालोरी गेट गोल चक्कर पर रात भर निगरानी के लिए डेरा डाले रहा.’

A deserted road in Jodhpur after imposition of curfew | Suraj Singh Bisht | ThePrint
कर्फ्यू के बाद सूनी पड़ी जोधपुर की सड़कें | सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट

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स्थितियां कैसे बिगड़ती चली गईं

मंगलवार सुबह 8:30 बजे जब कुछ मुसलमानों ने ईदगाह भर जाने के कारण सड़क पर नमाज अदा की तो हिंदुओं के एक समूह ने इसका विरोध किया. इसके बाद विरोध जताने के लिए मुस्लिम पुरुषों की टोली भी चौराहे पर जमा हो गई.

इसके साथ ही पथराव शुरू हो गया, हालांकि यह कोई नहीं जानता कि पहला पत्थर किसने फेंका. लेकिन घंटे भर में ही स्थिति बिगड़ गई.

इलाके में मौजूद एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि कैसे दोनों समूहों ने एक-दूसरे पर लाठी-डंडों, बेसबॉल के बल्ले, पत्थरों, छड़ों और जो कुछ भी उनके हाथ में हो सकता था, उससे उन पर हमला किया. उन्होंने कहा कि भीड़ ने पुलिस पर भी हमला कर दिया.

Idgah in Jodhpur after clashes | Suraj Singh Bisht | ThePrint
जोधपुर स्थित ईदगाह | सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट

अधिकारी ने कहा, ‘उनमें से कई लोगों ने पुलिस अधिकारियों से डंडे छीन लिए और उन्हीं से उन्हें पीटना शुरू कर दिया.’

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि बढ़ती हिंसा के कारण पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले दागने पड़े.

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि देखते ही देखते यह हिंसा जल्द ही आसपास के इलाकों— कबूतरों का चौक, सोनारो का बंस, हनुमान चौक, गांधी चौक, संस्कार जी का थान और गोल्ड बिल्डिंग में फैल गई.

पुलिस ने दावा किया कि उन्हें इन मोहल्लों में लोगों के चाकू मारे जाने की दो सूचनाएं मिलीं हैं.

जोधपुर साउथ के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट अपूर्व परवल ने दिप्रिंट को बताया कि फिलहाल ‘स्थिति नियंत्रण में है.’

उन्होंने कहा, ‘अब हमारा प्रयास है कि इस क्षेत्र में सद्भाव फिर से बहाल किया जाए. इसमें थोड़ा समय लग सकता है. लेकिन हम अपनी तरफ से हरसंभव कोशिश कर रहे हैं.’

Police personnel deployed at Jodhpur's Jalori gate after clashes | Suraj Singh Bisht | ThePrint
जोधपुर के जालौरी गेट के पास मौजूद पुलिसकर्मी | सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट

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‘अशांति फैलाएं, वोटबैंक मजबूत करें’

राजस्थान सरकार की टीमों ने बुधवार को नुकसान के आकलन के लिए प्रभावित इलाकों का दौरा किया. दिप्रिंट ने ऐसी दो टीमों को फॉलो किया और इस संवाददाता ने पाया कि आस-पड़ोस में अनिश्चितता की भावना बनी हुई है.

25 वर्षीय सफदर चौधरी अभी भी हैरान हैं कि ऐसा क्यों हुआ.

अपना फोन निकालकर हिंदू दोस्तों की तरफ से आए ईद के संदेशों को दिखाते हुए सफदर ने पूछा, ‘अभी ऐसा क्यों हो रहा है, लोगों के बीच अशांति फैलाने की किसी बड़ी साजिश के बिना क्या ऐसा हो सकता है? ईद पर हम सफेद झंडे के साथ शांति का संदेश देने की कोशिश कर रहे थे, लोगों ने इसे हिंसा के संदेश में बदल दिया.’

पड़ोस के हाकमबाग मोहल्ले के रहने वाले 43 वर्षीय इलियास मोहम्मद के लिए यह सवाल बेमानी है कि हिंसा किसने शुरू की.

मोहम्मद, जिनकी पत्नी परवीना अख्तर जोधपुर के वार्ड नंबर 57 से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कर रही एक नगरपालिका पार्षद हैं, ने कहा, ‘यह सब बिना पढ़े-लिखे और बेरोजगार अप्रशिक्षित मुस्लिम पुरुषों के समूहों और हिंदू पुरुषों के समूहों के बीच एक लड़ाई थी, जो अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं और एक राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं. इसका उद्देश्य अशांति पैदा करना और हिंदू वोटों को मजबूत करना था.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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