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Monday, 6 October, 2025
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हरियाणा में लागू हुई लाडो लक्ष्मी योजना, लेकिन लाभ पाने की शर्तें BJP के संकल्प पत्र से काफी अलग

बीजेपी ने कहा कि यह तो सिर्फ योजना की शुरुआत है, आगे लाभार्थियों का दायरा बढ़ेगा और विश्लेषकों का मानना है कि महाराष्ट्र, एमपी की योजनाओं से ली गई सीख है.

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गुरुग्राम: भारतीय जनता पार्टी नीत नायब सैनी सरकार ने लाडो लक्ष्मी योजना के तहत 23 साल से ऊपर की योग्य महिलाओं को हर महीने 2,100 रुपये की वित्तीय मदद देने की अधिसूचना जारी कर दी है. यह चुनावी वादा सरकार ने एक साल बाद पूरा किया है. योजना 25 सितंबर से लागू होगी.

हालांकि, 15 सितंबर की अधिसूचना में कड़े पात्रता और अपात्रता मानदंड रखे गए हैं. इसके चलते लाभार्थियों की संख्या करीब 20 लाख तक सीमित हो जाएगी, जो कि 18 से 60 साल की उम्र वाली लगभग 80 लाख महिला मतदाताओं से काफी कम है. यह वही संख्या है जिसमें 60 साल से ऊपर की महिलाएं शामिल नहीं हैं, क्योंकि वे पहले से ही वृद्धावस्था पेंशन का लाभ ले रही हैं.

हरियाणा सरकार ने 2025-26 के बजट में लाडो लक्ष्मी योजना के लिए 5,000 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा है, जो 20 लाख महिलाओं को लाभ देने के लिए आवश्यक 5,040 करोड़ रुपये से थोड़ा कम है.

यह योजना सामाजिक न्याय, अधिकारिता, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण तथा अंत्योदय (सेवा) विभाग की ओर से अधिसूचित की गई है. इसका उद्देश्य “महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना, आर्थिक आत्मनिर्भरता विकसित करना और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना” है.

अधिसूचना पर अतिरिक्त मुख्य सचिव जी. अनुपमा के हस्ताक्षर हैं और इसे मंत्रिमंडल की 28 अगस्त को हुई बैठक में मंजूरी दी गई थी.

पात्रता मानदंड

यह योजना मुख्य रूप से उन महिलाओं के लिए है जिनकी उम्र 23 साल या उससे अधिक है और जिनके परिवार की सालाना आय 1 लाख रुपये से अधिक नहीं है. यह जानकारी हरियाणा सरकार की परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) योजना के तहत फैमिली इन्फॉर्मेशन डाटाबेस रिपॉजिटरी (एफआईडीआर) से सत्यापित होगी.

इसके अलावा, महिला या अगर उसकी शादी हरियाणा के बाहर से हुई है तो उसका पति हरियाणा का निवासी होना चाहिए और राज्य में कम से कम 15 साल तक रह चुका होना चाहिए.

योजना में कई अपात्रताएं भी जोड़ी गई हैं, जिससे लाभार्थियों की संख्या काफी सीमित हो जाएगी. कोई भी महिला इस योजना के लिए पात्र नहीं होगी अगर वह पहले से किसी सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ ले रही है, जैसे वृद्धावस्था सम्मान भत्ता, विधवा एवं निराश्रित महिला वित्तीय सहायता नियम, हरियाणा दिव्यांग वित्तीय सहायता नियम 2025 और लाड़ली सामाजिक सुरक्षा भत्ता.

इसके अलावा, अगर महिला वित्तीय सहायता योजना (कश्मीरी प्रवासी परिवारों के लिए), हरियाणा ड्वार्फ भत्ता, एसिड अटैक पीड़ित महिला/लड़कियों के लिए सहायता, विधुर और अविवाहित व्यक्तियों के लिए 2023 योजना, या पद्म पुरस्कार विजेताओं के लिए हरियाणा गौरव सम्मान योजना जैसी योजनाओं की लाभार्थी है, तो वह भी इस योजना से बाहर होगी. साथ ही, सरकार समय-समय पर जो अन्य योजनाएं अधिसूचित करेगी, उनका लाभ लेने वाली महिलाएं भी इस योजना में शामिल नहीं होंगी.

अगर किसी महिला को पहले से सरकार, स्थानीय/स्वायत्त संस्थानों या सरकारी संगठनों से कोई अन्य वित्तीय सहायता, पेंशन या वार्षिकी मिल रही है, तो वह भी अपात्र होगी.

इसके अलावा, कोई महिला अगर किसी सरकारी मंत्रालय, स्थानीय/स्वायत्त संस्था या सरकारी संगठन में नियमित, अनुबंधित, पूर्णकालिक या अंशकालिक रूप से काम कर रही है और परिवार की आय 1 लाख से अधिक है, तो उसे भी लाभ नहीं मिलेगा. साथ ही, कोई भी आयकर दाता महिला इस योजना में शामिल नहीं होगी.

हालांकि, योजना में कुछ अपवाद रखे गए हैं. जैसे स्टेज 3 और 4 कैंसर रोगियों के लिए सहायता, रेयर डिजीज (दुर्लभ बीमारियों) से प्रभावित लोगों के लिए सहायता, और हीमोफीलिया, थैलेसीमिया व सिकल सेल एनीमिया रोगियों के लिए दी जाने वाली सहायता इस योजना से बाहर नहीं होगी.

बीजेपी का संकल्प पत्र

यह अधिसूचना बीजेपी के 2024 विधानसभा चुनाव के संकल्प पत्र के अनुरूप नहीं है. संकल्प पत्र में महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर देते हुए लाडो लक्ष्मी योजना के तहत “हरियाणा की सभी महिलाओं” को 2,100 रुपये प्रति माह देने का वादा किया गया था.

2024 चुनाव में हरियाणा में 95.77 लाख महिला मतदाता थीं, जिनमें से करीब 80 लाख की उम्र 18 से 60 साल के बीच थी. ऐसे में यह घोषणा एक सार्वभौमिक सहायता योजना जैसी दिख रही थी, जिसमें केवल 60 साल से ऊपर की महिलाएं बाहर थीं क्योंकि उन्हें पहले से ही 3,000 रुपये मासिक वृद्धावस्था पेंशन मिलती है.

लेकिन 23 साल की न्यूनतम उम्र, 1 लाख रुपये की आय सीमा, निवास मानदंड और कई तरह की अपात्रताएं जोड़ने से सरकार पर यह आरोप लगने लगे हैं कि वह वित्तीय दबाव के चलते योजना को सीमित कर रही है.

बीजेपी का बचाव

राज्य बीजेपी प्रवक्ता संजय शर्मा ने इन मानदंडों का बचाव किया और कहा कि यह व्यावहारिक शुरुआत है, कोई समझौता नहीं. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “यह शुरुआत है, अंत नहीं.आगे स्थिति में बदलाव किया जा सकता है.”

उन्होंने बताया कि सरकार ने योजना को एक पोर्टल के माध्यम से लागू करने का फैसला लिया है, जिससे पैसा सीधे महिलाओं के खातों में डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के रूप में जाएगा. शर्मा ने कहा, “ताकि पोर्टल पर एकदम से भीड़ न लग जाए और काम सुचारू रूप से शुरू हो सके, सरकार ने पहले चरण में उन लोगों को यह लाभ देने का फैसला लिया है जिन्हें इसकी सबसे अधिक ज़रूरत है. यह योजना की शुरुआत है, अंत नहीं. जरूरत पड़ने पर और भी लाभार्थियों को शामिल किया जा सकता है.”

उन्होंने शुरुआती लाभार्थियों की संख्या 20-25 लाख बताई.

राजनीतिक टिप्पणीकार और अमिटी यूनिवर्सिटी मोहाली की सहायक प्रोफेसर ज्योति मिश्रा का मानना है कि हरियाणा सरकार ने मध्य प्रदेश की लाड़ली बहना योजना और महाराष्ट्र की मुख्यमंत्री माझी लाडकि बहिन योजना से प्रेरणा ली है.

उन्होंने बताया कि इस तरह की महिला-केंद्रित नकद सहायता योजनाएं मध्य प्रदेश पर हर साल करीब 22,400 करोड़ रुपये और महाराष्ट्र पर 46,000 करोड़ रुपये का बोझ डाल रही हैं. इसके चलते एमपी पर 4.81 लाख करोड़ रुपये और महाराष्ट्र पर 9.3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज़ बढ़ गया है.

मिश्रा ने दिप्रिंट से कहा, “ये योजनाएं चुनावी तौर पर तो फायदेमंद होती हैं, लेकिन इन्होंने राज्य की वित्तीय स्थिति को खींच दिया है. बजट में कटौती करनी पड़ी और दूसरी योजनाओं के लाभार्थियों को भी कम करना पड़ा. हरियाणा अपनी बजटीय मुश्किलों को देखते हुए सावधानी से आगे बढ़ता दिख रहा है ताकि वही गलतियां न दोहराई जाएं.”

2025 में मध्य प्रदेश की लाड़ली बहना योजना का सालाना खर्च करीब 22,402 करोड़ रुपये आंका गया है. यह अनुमान संशोधित मासिक भुगतान 1,500 रुपये प्रति महिला के आधार पर है, जो 1.27 करोड़ महिलाओं को मिल रहा है. यानी हर महीने लगभग 1,867 करोड़ रुपये का खर्च.

जुलाई 2025 में सरकार ने घोषणा की थी कि दिवाली के बाद से यह सहायता 1,250 रुपये से बढ़ाकर 1,500 रुपये कर दी जाएगी.

महाराष्ट्र की मुख्यमंत्री माझी लाडकि बहिन योजना भी महिलाओं को मासिक मदद देती है, लेकिन यह मध्य प्रदेश की योजना से अलग है.

वित्तीय दबाव की वजह से महाराष्ट्र सरकार को इसमें कटौती करनी पड़ी और 2025 में इसका बजटीय आवंटन 46,000 करोड़ रुपये से घटाकर 36,000 करोड़ रुपये कर दिया गया. इससे सरकार की आलोचना भी हुई.

इस योजना में 21 से 65 साल की वे महिलाएं पात्र हैं जो महाराष्ट्र की निवासी हैं, जिनका बैंक खाता आधार से जुड़ा है और परिवार की सालाना आय 2.5 लाख रुपये से कम है.

इसी तरह, चुनावी राज्य बिहार में कांग्रेस ने वादा किया है कि अगर महागठबंधन सत्ता में आता है तो महिलाओं को माई बहन मान योजना के तहत हर महीने 2,500 रुपये स्टाइपेंड दिया जाएगा.

वहीं दूसरी ओर, नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जेडीयू-बीजेपी सरकार ने पिछले महीने घोषणा की कि हर परिवार की एक महिला को रोज़गार शुरू करने के लिए पहले चरण में 10,000 रुपये की मदद दी जाएगी.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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