चंडीगढ़: सूरजमुखी की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग को लेकर एक सप्ताह के भीतर किसानों द्वारा दूसरी बार एनएच-44 को बंद किए जाने के बाद, हरियाणा सरकार मंगलवार को झुक गई और भावांतर भरपाई योजना के तहत एमएसपी के बराबर मूल्य प्रदान करने की उनकी मांग को पूरा करने पर सहमत हो गई. यही नहीं इसके अलावा, वे 6 जून को शाहबाद में राजमार्ग नाकाबंदी के बाद गिरफ्तार किए गए नेताओं को रिहा करने पर भी सहमत हो गए.
कुरुक्षेत्र के उपायुक्त (डीसी) शांतनु शर्मा और पुलिस अधीक्षक (एसपी) सुरिंदर सिंह भोरिया ने घोषणा की कि सरकार ने किसानों की मांगों को स्वीकार कर लिया है, किसानों ने खुद ही कुरुक्षेत्र के पिपली में हुई नाकेबंदी समाप्त करने की घोषणा की, जो सोमवार को दोपहर 2 बजे शुरू हुई थी.
किसान मांग कर रहे हैं कि राज्य सरकार उनकी सूरजमुखी की फसल को 6,400 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी पर खरीदे, जैसा कि केंद्र सरकार ने 2022-23 के लिए फसल के लिए घोषणा की थी.
मंगलवार को आंदोलनकारी किसानों के साथ 10 घंटे के अंतराल में सात दौर की बैठक करने वाले शर्मा और भोरिया ने रात करीब साढ़े आठ बजे सरकार के फैसले की घोषणा की. हालांकि, किसानों के साथ हुई चर्चा या सरकार द्वारा स्वीकार की गई किसानों द्वारा रखी गई विशिष्ट मांगों के बारे में कोई विवरण नहीं दिया.
बातचीत खत्म होने के बाद किसानों को संबोधित करते हुए डीसी शर्मा ने कहा, ‘हैफेड (हरियाणा स्टेट को-ऑपरेटिव सप्लाई एंड मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड) ने कुछ दिन पहले सूरजमुखी की खरीद 4,800 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से शुरू की थी. इसदर को आज बढ़ाकर 4,900 रुपये कर दिया गया. अब हमें सरकार से निर्देश मिले हैं कि हैफेड कल से 5,000 रुपये में सूरजमुखी खरीदना शुरू करे.
शर्मा ने कहा, “हरियाणा सरकार किसानों के साथ है. मुख्यमंत्री साहब ने रविवार को अपने गनौर दौरे के दौरान 20,000 मीट्रिक टन सूरजमुखी तेल उत्पादन इकाई स्थापित करने की घोषणा की. इसे जल्द ही लागू किया जाएगा. सरकार किसानों को सही दाम दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है. यह या तो खरीद मूल्य बढ़ाकर या भावांतर भरपाई योजना के तहत किसानों को मुआवजा देकर किया जाएगा. ”
#WATCH | Haryana government has always stood in support of the farmers. CM has agreed to increase MSP for sunflower crop: Kurukshetra DC Shantanu Sharma pic.twitter.com/LrhulYUyR5
— ANI (@ANI) June 13, 2023
शर्मा की घोषणा के दिप्रिंट द्वारा देखे गए वीडियो में, डीसी के पास खड़े किसान नेता किसानों को स्पष्ट करते हैं कि “सही दाम” से उनका मतलब एमएसपी से है. इसके बाद डीसी ने इससे इनकार नहीं किया.
किसान नेता कृष्ण कुमार ने बुधवार को दिप्रिंट को बताया कि उन्हें अधिकारियों द्वारा आश्वासन दिया गया है कि फसल के लिए हैफेड द्वारा 5,000 रुपये प्रति क्विंटल और सरकार द्वारा पहले ही घोषित अंतरिम राहत के रूप में 1,000 रुपये प्रति क्विंटल के अलावा 400 रुपये की अतिरिक्त राशि का भुगतान किया जाएगा. प्रति क्विंटल उन्हें भुगतान किया जाएगा जैसा कि सरकार ने उन्हें आश्वासन दिया है.
किसान नेताओं ने एसपी से 6 जून को सड़क जाम करने के मामले में किसान यूनियन नेता गुरनाम सिंह चारुनी व अन्य के खिलाफ मुकदमे वापस लेने की घोषणा करने का भी अनुरोध किया था.
शुरुआती दौर की वार्ता में भाग लेने वाले किसानों में बीकेयू अध्यक्ष करम सिंह मधाना, बीकेयू (चढूनी ) की कुरुक्षेत्र इकाई के अध्यक्ष कृष्ण कुमार, किसान नेता संजू गुडियाना और जेल में बंद बीकेयू (चारुनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चारुनी के बेटे अर्शपाल सिंह शामिल थे. बाद में, बीकेयू (टिकैत) के प्रदेश अध्यक्ष रतन सिंह मान, संयुक्त किसान मोर्चा के सुरेश कोठ और नेता अमरजीत सिंह मोहरी भी किसानों द्वारा अधिकारियों के साथ बातचीत करने के लिए गठित समिति में शामिल हो गए.
एसपी ने घोषणा की कि अधिकारियों ने किसानों द्वारा गठित समिति के साथ आपराधिक मामलों के मुद्दे पर चर्चा की है और अधिकारियों ने उनकी मांगों को स्वीकार कर लिया है. भोरिया ने कहा, “क्या करना है और इसे किस तरीके से करना है, यह समिति के सदस्यों को बता दिया गया है.”
दिप्रिंट से बात करते हुए, एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि किसी भी पुलिस अधिकारी के लिए सार्वजनिक रूप से मामलों को वापस लेने की घोषणा करना उचित नहीं है क्योंकि इसका अदालत में प्रभाव हो सकता है.
नाकाबंदी स्थल पर एक घंटे से अधिक समय तक अपनी जीत का जश्न मनाने के बाद किसानों ने रात 10 बजे राष्ट्रीय राजमार्ग से हट गए.
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पिछले आंदोलन
6 जून को, भारतीय किसान यूनियन (चढूनी ) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी के नेतृत्व में किसानों ने एमएसपी पर अपनी फसल खरीदने से राज्य सरकार के इनकार के खिलाफ विरोध शुरू किया और शाहबाद के करीब चंडीगढ़-दिल्ली राजमार्ग, एनएच-44 को बंद कर दिया.
हालांकि पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज कर बलपूर्वक खदेड़ दिया. चढूनी और आठ अन्य को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया. उन्होंने अगले दिन जमानत के लिए आवेदन करने से इनकार कर दिया और उन्हें 14 दिनों के न्यायिक हवालात में भेज दिया गया.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आंदोलनकारी किसानों ने सोमवार को कुरुक्षेत्र में एक महापंचायत की घोषणा की, जहां उन्होंने सरकार को एमएसपी की उनकी मांग को मानने और जेल में बंद नेताओं को दोपहर 2 बजे तक रिहा करने का अल्टीमेटम जारी किया.
जब सरकार निर्धारित समय तक उनकी चिंताओं को दूर करने में विफल रही, तो किसानों ने सोमवार को NH-44 को जाम कर दिया. विरोध और उसके बाद की बातचीत के दौरान राकेश टिकैत सहित कई प्रमुख किसान नेता मौजूद थे.
स्थिति का मैनेज करने के लिए, अधिकारियों ने यातायात को वैकल्पिक मार्गों की तरफ मोड़ दिया और मंगलवार को किसानों के साथ बातचीत शुरू की.
(अनुवाद/ संपादन: पूजा मेहरोत्रा)
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