नई दिल्ली : वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने भारत की आर्थिक मंदी के लिए सुप्रीम कोर्ट को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि मंदी की शुरुआत 2012 में ही हो गई थी जब सर्वोच्च न्यायालय ने 2जी स्पेक्ट्रम केस में टेलिकॉम ऑपरेटरों के 122 स्पेक्ट्रम लाइसेंस कैंसिल कर दिए थे.
साल्वे ने वरिष्ठ वकील इन्दिरा जयसिंह की लीगल न्यूज़ वेवसाइट ‘द लीफ़लेट’ के लिये दिए गए एक इन्टरव्यू में कहा, ‘मैं पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट को जिम्मेदार मानता हूं.’
उन्होंने कहा, ‘मैं मानता हूं कि जो लोग 2जी में गलत तरीके से लाइसेंस देने के लिए ज़िम्मेदार हैं उन पर नियंत्रण लगाया जाए. लेकिन सामूहिक रूप से लाइसेंसे को रद्द करना, वह भी तब जब विदेशी निवेश भी हो. देखिये जब कोई विदेशी निवेश करता है तो यह नियम है कि उसके साथ एक भारतीय पार्टनर होना चाहिए लेकिन विदेशी निवेशकों को यह नहीं मालूम था कि उनके भारतीय पार्टनर को लाइसेंस कैसे मिला.
विदेशी निवेशकों ने करोड़ों रुपए खर्च किए लेकिन कोर्ट ने अपना एक कलम चलाकर सब कुछ खत्म कर दिया. जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था गिरती जा रही है.
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2010 में कैग ने 2जी स्कैम को लेकर कहा था कि देश को 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है जिसके बाद कोर्ट ने 2012 में सभी 122 लाइसेंस रद्द कर दिए थे. साल्वे इस मामले में पक्षकार थे. कोर्ट ने साल्वे की दलीलों को खारिज कर दिया था जो 11 टेलिकॉम कंपनियों का पक्ष रख रहे थे.
5 साल बाद दिसंबर 2017 में सीबीआई ट्रायल कोर्ट ने पूर्व केंद्र मंत्री ए. राजा और कनिमोढ़ी समेत 15 लोगों को आरोप मुक्त कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि यह पूरा मामला अटकलों पर आधारित था जिसमें अनुमान के आधार पर घोटाले की आशंका जताई गई थी.
साक्षात्कार के दौरान हरीश साल्वे ने कहा कॉमर्शियल मामलों को देखने में सुप्रीम कोर्ट अनिश्चित है. जिसकी वजह से निवेशकों के मन में गहरी चिंताएं हैं.
साल्वे ने कोयले की खदानों पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर कहा, कोर्ट ने अपनी कलम चला कर कोयले की खदानों को बंद कर दिया. बिना मामलों की जांच किए हुए ऐसा हुआ है. इंडोनेशियन कोयला और विश्व के अन्य कोयले के दाम काफी कम हैं जिसे आयात करना आसान है.
लाखों लोग देश में बेरोजगार हैं. भारत की कोयला खदानें बंद हो रही हैं जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2014 में 1993 से लेकर 2011 तक आवंटित सभी कोयला खदानों को रद्द कर दिया था.
साल्वे सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को खोखला बता रहे हैंं जिसमें कोर्ट ने सभी खदानों के आवंटन को रद्द कर दिए थे. फैसले के बाद अधिकारियों ने दावा किया कि देश को इससे हर महीने 1500 करोड़ रुपए का नुकसान होगा. रोज़गार अलग से प्रभावित होगा.
उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद केंद्र सराकर ने उनके पास अपने 7 सचिवों को सलाह लेने के लिए भेजा था. कुछ सचिवों ने मुझसे कहा था कि इस फैसले के बाद देश को हर साल 1 फीसदी जीडीपी का नुकसान होगा और ऐसा ही हो रहा है.
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