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Thursday, 28 March, 2024
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हरिभूषण—एक आदिवासी छात्र जो तेलंगाना का टॉप माओवादी नेता बन गया था

तेलंगाना के शीर्ष माओवादी नेता यापा नारायण, जिसे हरिभूषण के नाम से जाना जाता था, का टेस्ट में कोविड पॉजिटिव पाए जाने के बाद 21 जून को निधन हो गया.

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हैदराबाद : तेलंगाना का माओवादी नेता यापा नारायण, जिसे हरिभूषण के नाम से जाना जाता है, प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) संगठन के कुछ शीर्ष आदिवासी नेताओं में से एक था.

कोया जनजाति से संबंध रखने वाला हरिभूषण प्रतिबंधित संगठन की सर्वोच्च निर्णायक इकाई केंद्रीय कार्य समिति का सदस्य था. वह तेलंगाना भाकपा (माओवादी) का राज्य सचिव भी था और उसके सिर पर 40 लाख रुपये का इनाम था.

तेलंगाना में भद्राद्री कोठागुडेम पुलिस ने बुधवार को हरिभूषण की मौत होने की जानकारी दी. वह 52 वर्ष का था. पुलिस ने बताया कि माओवादी नेता को जांच में कोविड पॉजिटिव पाया गया था और 21 जून को हृदय गति रुक जाने से उसकी मौत हो गई.

गुरुवार को भाकपा (माओवादी) तेलंगाना इकाई ने उसकी मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि वह ब्रोंकाइटिस और अस्थमा से पीड़ित था.


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एक आदिवासी जो शिखर पर पहुंचा

तेलंगाना के महबूबाबाद जिले (तत्कालीन वारंगल जिले) में जन्मा हरिभूषण लगभग तीन दशक से भाकपा (माओवादी) संगठन से जुड़ा हुआ था.

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भाकपा (माओवादी) तेलंगाना इकाई के एक बयान में कहा गया है कि एक स्नातक हरिभूषण ‘नक्सलबाड़ी श्रीकाकुलम’ किसान आंदोलन के प्रभावित होकर तेलंगाना के जिलों में सामंतवाद विरोधी संघर्ष के जरिये क्रांतिकारी राजनीति (तेलुगु में विप्लव राजिकियम) में कदम रखा था.

भाकपा (माओवादी) के साथ उसके संबंध 90 के दशक की शुरुआत से हैं. वह 1991 में प्रतिबंधित संगठन के निर्देश पर ‘फॉरेस्ट फोर्स’ में शामिल हुआ और डिप्टी कमांडर से शुरू करके कई बड़ी रैंक तक पहुंचा. 1998 में उत्तरी तेलंगाना में पहली बार प्लाटून का नेतृत्व किया. पार्टी की तरफ से गुरुवार को जारी बयान के मुताबिक, 2005 में उसे ‘विशेष जोनल समिति सदस्य’ के तौर पर पदोन्नत किया गया और 2018 में केंद्रीय समिति का सदस्य बनाया गया.

करीब पांच साल पहले पुलिस के समक्ष समर्पण कर चुके एक पूर्व भाकपा (माओवादी) सदस्य ने नाम न छापे जाने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘अमूमन यह गलत धारणा रहती है कि आदिवासी और दलित परिवार आंदोलन में इस तरह के शीर्ष पदों पर नहीं पहुंच सकते हैं, लेकिन हरिभूषण ने इस बात को गलत साबित कर दिया….वह इस तरह की स्थिति हासिल करने वाले पहले लोगों में से एक था.’

सदस्य ने कहा कि इसका मतलब है कि वह इस क्षेत्र का काफी सम्मानित था. समर्पण कर चुके माओवादी ने बताया, ‘स्थानीय समुदायों और जनजातियों के बीच उसे काफी सम्मान हासिल था. वह मृदुभाषी था और उसका किसी से कोई विवाद नहीं था.’

हरिभूषण ने एक दशक तक ‘पांडव’ सेना में कमांडर और ऑर्गनाइजर के रूप में काम किया. भाकपा (माओवादी) के बयान में कहा गया है कि 1998 से 2015 के बीच उसने सैन्य इकाई की जिम्मेदारियां संभाली और कई छापामार हमलों का नेतृत्व किया.

नागरिक अधिकार संगठन अमरुला बंधु मित्रुला संघम से जुड़ी पद्मकुमारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘माना जाता है कि वह कई मुठभेड़ों में बच निकला था. वह शिक्षित था और आंदोलन के लिए खास अहमियत रखता था.’

हरिभूषण की पत्नी शारदा भी पार्टी की सदस्य है.

कोविड की चपेट में आए और माओवादी

तेलंगाना पुलिस ने बुधवार को यह दावा भी किया था कि कुकती वेंकन्ना, शारदा, सोनू, विनोद, नंदू, इदुमु, देवे, मूला देवेंद्र रेड्डी, दामोदर आदि समेत कई माओवादी नेता कोविड-19 की चपेट में आए हैं.

सोनू को माओवादी बटालियन-1 में सेकंड-इन-कमान माना जाता है.

हरिभूषण और सोनू दोनों के ही अप्रैल में बीजापुर-तारेम मुठभेड़ में शामिल होने का संदेह है, जिसमें सीआरपीएफ और राज्य पुलिस के 23 जवान मारे गए थे और एक को बंधक बना लिया गया था.

यद्यपि पार्टी ने पहले कोविड पर पुलिस के दावे को निराधार बताय था लेकिन उसके गुरुवार के बयान में कहा गया कि उसके सदस्यों में से एक सरक्का (भरथक्का) ने 22 जून को कोविड के कारण दम तोड़ दिया था.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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