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Friday, 22 November, 2024
होमडिफेंसएचएएल हेलीकॉप्टर हमारे लिए नहीं-भारतीय नौसेना नहीं चाहती पीएसयू 3 अरब डॉलर के हेलीकॉप्टर सौदे का हिस्सा बने

एचएएल हेलीकॉप्टर हमारे लिए नहीं-भारतीय नौसेना नहीं चाहती पीएसयू 3 अरब डॉलर के हेलीकॉप्टर सौदे का हिस्सा बने

भारत की निजी क्षेत्र की कंपनियों ने रक्षा मंत्रालय को लिखकर कहा है कि वह नौसेना के उपयोग के लिए हेलीकॉप्टर तैयार करने की पहल में एचएएल को शामिल करने के खिलाफ हैं.

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नई दिल्ली: भारतीय नौसेना नेवी यूटिलिटी हेलीकॉप्टर्स (एनयूएच) के लिए 3 बिलियन डॉलर (लगभग 22,500 करोड़ रुपये) के सौदे में सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को शामिल करने के खिलाफ है, उसका कहना है कि कंपनी का उत्पाद फोर्स की जरूरतों के अनुरूप नहीं है.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि नौसेना ने कई बार रक्षा मंत्रालय को इस राय से अवगत कराया है.

नौसेना के एक सूत्र ने कहा, ‘एचएएल का एनयूएच हमारे लिए नहीं है. इसके ब्लेड को फोल्ड करने में अधिक समय लगता है और मुड़े हुए ब्लेड का आकार जरूरत से ज्यादा बड़ा होता है. बचाव अभियान या त्वरित निगरानी के दौरान ब्लेड पर लगने वाला समय एक अक्षमता बन जाता है.’

दिप्रिंट ने 30 मई को ही बताया था कि रक्षा क्षेत्र में अपनी नई पहल ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत यह परियोजना नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के लिए पहली चुनौती बन सकती है.

एनयूएच को एक रणनीतिक साझीदारी मॉडल के तहत आगे बढ़ाया जा रहा है, जो विदेशी कंपनियों के सहयोग के माध्यम से भारतीय निजी उद्योग द्वारा उत्पादन आवश्यकताओं को पूरा करने पर आधारित है.

ऊपर उद्धृत नौसेना सूत्र ने कहा, ‘रणनीतिक साझेदारी का मुख्य उद्देश्य निजी क्षेत्र द्वारा देश में एक डिफेंस हब के निर्माण में मदद करना है. एनयूएच कार्यक्रम मारुति कार प्रोग्राम की तरह है जो एक निजी हेलीकॉप्टर के मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विसिंग इकोसिस्टम तैयार करने में अगुआ बनेगा.’

एक अन्य सूत्र ने कहा कि नौसेना के एक आकलन में पाया गया है कि एएलएच फोर्स की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते हैं.


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निजी क्षेत्र के खिलाड़ियों को भी एचएएल को शामिल करने पर आपत्ति

नौसेना 1960 के दशक के सेवा दे रहे अपने चेतक को एनयूएच से बदलने की इच्छुक है. एनयूएच को कई भूमिकाओं में इस्तेमाल किया जाना है, जिसमें पनडुब्बियों पर उतरने के अलावा सर्च और रेस्क्यू मिशन, आकस्मिक निकासी और छोटे-मोटे समुद्री अभियान शामिल हैं.

नौसेना को 21,738 करोड़ रुपये में 111 हेलीकाप्टर खरीदने की योजना के तहत पिछले साल फरवरी में जारी एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) के तहत आठ बोलियां मिली थी.

एचएएल ने इसके लिए दो बिड भरी थीं—एक अपनी खुद की तरफ से और दूसरी रशियन हेलिकॉप्टर्स के साथ एक संयुक्त उद्यम के तहत कामोव चॉपर के उत्पादन के लिए.

यहां उल्लेखनीय है कि निजी खिलाड़ियों ने भी पिछले साल मई में एनयूएच कार्यक्रम में एचएएल को शामिल करने की संभावना को लेकर आपत्ति जताई थी.

जिन निजी फर्मों ने रिक्वेस्ट फॉर इन्फॉर्मेशन (आरएफआई) पर जवाब दिया है, उनमें महिंद्रा डिफेंस सिस्टम, टाटा एयरोस्पेस, रिलायंस, अडानी, भारत फोर्ज और कोयम्बटूर स्थित लक्ष्मी मशीन वर्क्स शामिल हैं.

इस साल मई में एक पुनर्मूल्यांकन के तहत रक्षा मंत्रालय ने दावेदारों से एनयूएच प्रोग्राम की निर्यात क्षमता के बारे में जानकारी मांगी थी और एचएएल को इसका हिस्सा बनने का मौका देने की संभावना के बारे में जानना चाहा था.

तब निजी क्षेत्र की कंपनियों ने जवाब में मंत्रालय को लिखा था कि एचएएल को बाहर रखा जाना चाहिए.


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एचएएल में कार्यकारी निदेशक (सीटीपी-आरडब्लू) विंग कमांडर उन्नी पिल्लई (सेवानिवृत्त) ने मई में दिप्रिंट से बातचीत में कहा था, ‘वहां दो बोल्ट हैं. एक को आप हटा दें और इसे मोड़ा जा सकता है. एलयूएच (लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर) में इसे मोड़ने में लगभग छह मिनट लगते हैं. एएलएच में भी, हम उसे शामिल करने की योजना बना रहे हैं जिसे हम उतने ही समय में कर सकेंगे.’

हालांकि, नौसेना के अधिकारियों ने कहा है कि इसमें लगने वाला समय बहुत ज्यादा है और ऐसे बोल्ट जोखिम भरे होते हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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