नई दिल्ली: भारत सरकार ने 18 जुलाई से दही, लस्सी, पनीर समेत आटा-चावल जैसी रोजमर्रा की जरूरी चीजों पर 5 फीसदी जीएसटी लगाने का फैसला किया है. इन जरूरी चीजों के अलावा होटल के किराये से लेकर अस्पताल के रूम के किराये पर भी जीएसटी लगाया है. व्यापारियों से लेकर राजनीतिक पार्टियों ने इसका विरोध किया. ऐसे समय में जब देश पहले से ही महंगाई की मार झेल रहा हैं तब इन जरूरी सामानों पर GST लगाने के बाद आम आदमी की मुश्किलें बढ़ गई हैं. विशेषज्ञों का मानना हा कि सरकार के इस फैसले से खरीद क्षमता में कमी देखने को मिलेगी जिसका असर जीडीपी पर पड़ेगा.
पहाड़गंज में एक होटल मैनेजर के रूप में काम करने वाले अजय कुमार कहते हैं, ‘सरकार ने तो जीएसटी बढ़ा दिया. लेकिन ग्राहक जीएसटी देने में हमसे बहस करते हैं. यहां ज्यादातर 500 से 700 तक के कमरे वाले लोग आते हैं. इसके अलावा हमारे रेग्युलर ग्राहक भी कहते हैं कि अडजेस्ट कर दो.’
दिप्रिंट ने पहाड़गंज में मौजूद कई होटल मालिकों और मैनेजरों से बात की. सभी को चिंता है कि अब जीएसटी लगने के बाद उनका धंधा थोड़ा मंदा हो सकता है.
बाकी क्षेत्रों में भी हाल बुरा
हम जिस भी सेवा या खाने पीने की चीजों का सेवन करते हैं, उस पर सरकार हमसे एक मात्रा में टैक्स वसूलती है. हम इसे जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के रूप में जानते हैं. अभी तक खाने-पीने की कुछ-कुछ चीजें ऐसी थीं जो इसके अंतगर्त नहीं आती थीं. लेकिन 18 जुलाई यानी सोमवार को ही भारत सरकार ने घोषणा कर कुछ उत्पादों पर जीएसटी लागू करने की घोषणा की.
दुकानदार से लेकर आम आदमी तक, महंगाई ने सभी के घर का बजट पर असर डाला है. सरकार ने जिन चीजों पर जीएसटी लागू किया. वहीं कुछ ऐसे उत्पाद भी हैं जिनपर पहले 12 प्रतिशत जीएसटी था उसे बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है.
अस्पताल में 5 हजार से ज्यादा महंगा कमरा लेने पर 5 प्रतिशत जीएसटी, एटलस, सभी तरह के मैप और चार्ट पर अब 12 फीसदी जीएसटी, टेट्रा पैक वाले उत्पादों पर भी अब 18 प्रतिशत जीएसटी, बैंक से नई चेकबुक लेने पर भी 18 प्रतिशत जीएसटी. होटल के 1 हजार रुपये से कम किराये वाले कमरों पर 12 प्रतिशत जीएसटी.
वहीं कुछ उत्पाद ऐसे भी हैं जिनपर पहले भी जीएसटी था लेकिन अब उसे बढ़ा दिया गया है जिसमें- एलईडी लाइट्स, लैंप, ब्लेड (कौन सा ब्लेड है..सर्जिकल, दाढ़ी बनाने वाला या कोई और), पेपर, कैंची, पेंसिल शॉर्पनर, चम्मच, कांटे वाले चम्मच. इन पर पहले 12 प्रतिशत जीएसटी देना पड़ता था जिसे बढ़ाकर अब 18 प्रतिशत कर दिया गया है.
हालांकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा के बाद ट्वीट कर बताया कि खुले उत्पाद जैसे आटा, चावल, दही, लस्सी बेचने पर जीएसटी नहीं वसूला जाएगा. यह सिर्फ पैक्ड और लेबल लगे उत्पादों पर ही लागू होगा. वित्त मंत्री ने ये भी लिखा कि इन खाद्य पदार्थों को खुले में बेचने पर उन पर किसी भी तरह का जीएसटी चार्ज नहीं लगेगा. यानी आप अगर इन्हें खुले में खरीदेंगे तो किसी तरह का कोई टैक्स नहीं लगेगा. इन सामानों में चावल, आटा, सूजी, बेसन, मूढ़ी?, दही और लस्सी जैसे सामान शामिल हैं. ये तो हुई जीएसटी की बात. लेकिन इसके बाद कीमतों में कितना बदलाव देखने को मिलेगा?
The @GST_Council has exempt from GST, all items specified below in the list, when sold loose, and not pre-packed or pre-labeled.
They will not attract any GST.
The decision is of the @GST_Council and no one member. The process of decision making is given below in 14 tweets. pic.twitter.com/U21L0dW8oG
— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) July 19, 2022
लेकिन इस समय इन चीजों पर जीएसटी लागू करने की जरूरत आखिर पड़ी क्यों और क्या इसकी जगह कोई और रास्ता अपनाया जा सकता था? दिप्रिंट से बातचीत में अर्थशास्त्री, अरुण कुमार कहते हैं, ‘इस समय जीएसटी का कलेक्शन बहुत अच्छा चल रहा है. सरकार खुद कह रही है कि इस समय डायरेक्ट टैक्स भी रिकॉर्ड मात्रा में कलेक्ट हो रहे हैं. तो ऐसे समय में जरूरी सामानों पर जीएसटी लगाने की क्या जरूरत थी.’
‘मेरा मानना है कि इस समय इन जरूरी सामानों पर जीएसटी नहीं लागू करना चाहिए था. सरकार का अनुमान है कि यहां 15 हजार करोड़ रुपये आएंगे, ये रकम सरकार दूसरी जगहों से इकट्ठा कर सकती थी. इससे होगा ये कि जरूरी चीजों के दाम बढ़ जाएंगे जिसका असर मध्यवर्ग और निम्न मध्यमवर्ग पर पड़ेगा. उनकी खरीदने की क्षमता पहले से ही प्रभावित थी जो अब और गिर जाएगी.’
‘पहले ही देश में लोगों की आमदनी कम हो गई थी, रोजगार कम हो गए और इसी के साथ ही महंगाई लगातार बढ़ रही है. जीएसटी एक अप्रत्यक्ष कर है. जब भी किसी वस्तु पर अप्रत्यक्ष कर बढ़ाया जाता है तो उसके दाम बढ़ते ही बढ़ते हैं. अगर सरकार को टैक्स लेना ही था तो वह दूसरे जरिये से इसे लिया जा सकता था. जैसे प्रत्यक्ष करों को बढ़ाया जा सकता था. जिन क्षेत्रों मुनाफा ज्यादा हो रहा है वहां टैक्स लगाए जा सकते थे.’
व्यापारियों ने की फैसला स्थगित करने की मांग
दिल्ली में एक चाय की दुकान चलाने वाले साजिद भी दूध पर जीएसटी लगने के बाद से परेशान है. वो कहते हैं, ‘अब दूध का दाम फिर बढ़ जाएगा. कुछ महीनों पहले ही कीमत बढ़ी थी लेकिन हम चाय के दाम नहीं बढ़ा सकते. हम बढ़ाएंगे तो ग्राहक कहीं और चला जाएगा. पहले ही कमाई नहीं है, सरकार इसी तरह महंगाई बढ़ाती रही तो गरीब आदमी का जीना मुश्किल हो जाएगा.’
सिर्फ ग्राहक ही नहीं व्यापारियों ने भी सरकार से अपील की है कि इस फैसले को वापस ले लिया जाए और इस पर दोबारा विचार किया जाए. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के जनरल सेक्रेटरी ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा, ‘इस टैक्स के लगने से एक तरफ जहां देश की जनता को रोजमर्रा की जरूरत का सामान महंगा मिलेगा, वहीं दूसरी तरफ आम व्यापारी पर टैक्स का बोझ बढ़ेगा. इसीलिए हमारी सरकार से अपील है कि जीएसटी लगाने के इस फैसले को अभी स्थगित कर दिया जाए और इसके परिणामों पर चर्चा करने के बाद ही जीएसटी काउंसिल कोई निर्णय ले.’
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