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Saturday, 21 December, 2024
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जीएसटी मुआवज़ा उपकर कुल घाटे के पांचवें हिस्से से भी कम, महाराष्ट्र सबसे अधिक प्रभावित

वित्त मंत्रालय का कहना है कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, यूपी, गुजरात और तमिलनाडु में, जीएसटी उगाही सबसे ज़्यादा गिरी है. तीन बीजेपी शासित राज्य घाटा पूरा करने के लिए क़र्ज़ लेने को सहमत हो गए हैं.

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नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने सोमवार को संसद को सूचित किया, कि चालू वित्त वर्ष में जमा किया गया मुआवज़ा उपकर, उस कुल रक़म के पांचवें हिस्से से भी कम है, जो राज्यों को बतौर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवज़ा दी जानी है.

अप्रैल से अगस्त के दौरान उगाहे गए मुआवज़ा उपकर की कुल राशि, 28,163 करोड़ थी.

लेकिन साथ ही जीएसटी उगाही में कमी- जिसके लिए राज्यों को मुआवज़ा दिया जाता है- केवल अप्रैल से जुलाई के बीच, 1.51 लाख करोड़ थी. ये जानकारी लोकसभा में जीएसटी को लेकर, पूछे गए बहुत से सवालों के जवाब में, वित्त मंत्रालय की ओर से दिए आंकड़ों से मिली है.

अपने एक जवाब में मंत्रालय ने कहा, “चालू वित्त वर्ष 2020-21 में वसूला गया, जीएसटी मुआवज़ा उपकर इतना नहीं है, कि अप्रैल-जुलाई 2020 की अवधि के लिए जीएसटी मुआवज़ा जारी नहीं किया जा सकता”.

मंत्रालय ने जीएसटी राजस्व में कमी का कारण जीडीपी के सिकुड़ने, कोविड-19 से निपटने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन, और जीएसटी रिटर्न भरने की समय सीमा को बढ़ाया जाना बताया है.

महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, गुजरात और तमिलनाडु में, अप्रैल-जुलाई के बीच जीएसटी कलेक्शन में, सबसे ज़्यादा गिरावट देखी गई.

महाराष्ट्र को जीएसटी मुआवज़े के तौर पर 22,485 करोड़ रुपए मिलने थे, जिसके बाद कर्नाटक को 13,763 करोड़, उत्तर प्रदेश को 11,742 करोड़, गुजरात को 11,563 करोड़, और तमिलनाडु को 11,269 करोड़ रुपए मिलने थे. पश्चिम बंगाल, केरल, दिल्ली और पंजाब उन दूसरे राज्यों में हैं, जहां ये घाटा 6,500 करोड़ से 7,800 करोड़ रुपए के बीच है.

बक़ाया जीएसटी पर केंद्र-राज्यों में झगड़ा

जीएसटी मुआवज़े की बे-अदाएगी, पिछले कुछ महीनों में विवाद का विषय रही है, और कई विरोधी-शासित राज्यों ने, मुआवज़े की बेअदाएगी को ज़बरदस्त संघवाद की एक मिसाल बताया है. कई राज्यों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है, कि ये मुआवज़ा उनका संवैधानिक अधिकार है, और उन्हें मिलना चाहिए.

उन्होंने सुझाव दिया था, कि मुआवज़े के घाटे को पूरा करने के लिए, केंद्र सरकार को क़र्ज़ लेना चाहिए.

लेकिन केंद्र सरकार ने इस राय को ख़ारिज कर दिया था. उसकी बजाय केंद्र ने दो विकल्प सुझाए थे- और दोनों में राज्यों के क़र्ज़ लेने की बात थी.

पहले में, राज्यों को विकल्प दिया गया, कि जीएसटी ट्रांज़ीशन की वजह से, राजस्व में आए घाटे की भरपाई के लिए, वो 97,000 करोड़ का क़र्ज़ ले लें, लेकिन इसमें महामारी के कारण हुए राजस्व घाटे को शामिल न करें.

ऐसे में, मूल राशि और ब्याज दोनों, भविष्य में अर्जित होने वाले मुआवज़ा उपकर से अदा करने होंगे.

दूसरे विकल्प में, राज्य पूरी मुआवज़ा राशि के लिए, 2.35 लाख करोड़ रुपए का क़र्ज़ ले सकते हैं. लेकिन इस सूरत में, ब्याज की अदाएगी का बोझ राज्यों को वहन करना होगा, और उपकर से सिर्फ मूल राशि अदा की जाएगी.

कुछ राज्य सहमत, कुछ नहीं

क़रीब 10 ग़ैर-बीजेपी शासित राज्यों और केंद्र-शासित क्षेत्रों ने, जिनमें तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, पंजाब, दिल्ली और चंडीगढ़ शामिल हैं, केंद्र के दिए हुए दोनों विकल्प ख़ारिज कर दिए हैं, जबकि कर्नाटक, गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे बीजेपी-शासित राज्यों ने, पहले विकल्प को चुनने का फैसला किया है.

शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस शासित महाराष्ट्र ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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