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Saturday, 21 December, 2024
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ग्राउंड रिपोर्ट : नेपाल सीमा स्थित जोगबनी आईसीपी का उद्घाटन तो हुआ, लेकिन शुरुआत नहीं

लोकसभा चुनाव से पहले तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जोगबनी आईसीपी का उद्घाटन किया था लेकिन, सरकारी दावे के उलट हमारी पड़ताल में यह सात महीने बाद भी आधा-अधूरा ही दिखता है.

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नई दिल्ली: भारत की अपने पड़ोसी देशों बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार और भूटान के साथ कुल 11,512 किलोमीटर की जमीनी सीमा लगती है. इन देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध भी हैं. लेकिन, साल 2010 से पहले कोई ऐसा कोई कानूनी प्राधिकरण नहीं था जो अंतरराष्ट्रीय सीमा पर इन पड़ोसी देशों के साथ कारोबार से जुड़े कई पक्षों को एकीकृत कर सकें. केंद्र सरकार ने इसके लिए लैंड पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एलपीएआई) एक्ट-2010 के तहत एक प्राधिकरण का गठन किया गया. एलपीएआई गृह मंत्रालय के क्षेत्राधिकार में आता है.

लैंड पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया का काम सीमा पर एकीकृत चेक पोस्ट (आईसीपी) बनाने और इनका प्रबंधन करना है. यहां सीमा शुल्क विभाग, ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन, सेंटर वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन, राइट्स लिमिटेड, भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) सहित अन्य कार्यालय यहां मौजूद होंगे. इससे पहले साल 2006 में सुरक्षा पर गठित कैबिनेट कमिटी ने इन देशों की यात्रियों और वाहनों के आवागमन के लिए एलपीएआई के तहत आईसीपी बनाने को अपनी मंजूरी दी थी.

एलपीएआई की वेबसाइट की मानें तो बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार और भूटान के साथ दो चरणों में कुल 20 आईसीपी का निर्माण किया जाना है. इनमें पहले चरण के तहत सात और दूसरे के तहत 13 आईसीपी तय की गई है. फिलहाल, पहले चरण के तहत छह चेक पोस्ट अपना काम कर रहे हैं. इनमें अटारी, अगरतला, पेट्रोपोले, रक्सौल, जोगबनी और मोरेह हैं. वहीं, बांग्लादेश सीमा पर स्थित डॉकी निर्माणाधीन है.


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इनमें से नेपाल सीमा पर स्थित 182 एकड़ क्षेत्र में निर्मित जोगबनी आईसीपी का उद्घाटन इस साल लोकसभा चुनाव से पहले वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए छह मार्च को किया गया था. हालांकि, इसके लिए पहले 26 फरवरी की तारीख तय थी. लेकिन, उसी दिन भारतीय वायु सेना ने पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान के बालाकोट पर एयरस्ट्राइक किया था. साल 2018-19 में जोगबनी सीमा के जरिए भारत और नेपाल का कारोबार 8518 करोड़ रुपये का था. इसमें भारत ने 6979 करोड़ रुपये के बराबर की वस्तुओं का निर्यात किया था.

बताया जाता है कि इस बारे में सरकार की रणनीतिक बैठकों में शामिल होने की वजह से तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह इन आईसीपी का उद्घाटन नहीं कर पाए. हालांकि, प्राधिकरण की वेबसाइट पर जोगबनी चेक पोस्ट के उद्धाटन की तारीख 26 फरवरी, 2019 ही दर्ज है. इनके अलावा एलपीएआई की वेबसाइट पर आईसीपी के भीतर अन्य कई सुविधाएं देने की जो बात कही गई है, वे भी कागज से उतरकर जमीन पर सही नहीं दिखती हैं.

गाड़ियों का आवागमन

इसके उद्घाटन के मौके पर जोगबनी लैंड पोर्ट (भूमि पत्तन) प्रबंधक आरके रमण ने स्थानीय मीडिया को बताया था कि आईसीपी के उद्घाटन के बाद नेपाल जाने वाले व्यावसायिक वाहनों का आवागमन शुरू हो जाएगा. वहीं, इससे पहले पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) की नौ नवंबर, 2018 की प्रेस रिलीज में भी कहा गया है, ‘भारत-नेपाल पर आईसीपी रक्सौल और आईसीपी जोगबनी, भारत-बांग्लादेश सीमा पर आईसीपी पेट्रापोल और आईसीपी अगरतला और भारत-पाकिस्तान सीमा पर आईसीपी अटारी पर सामानों और लोगों की आवाजाही के लिए टर्मिनल चालू कर दिए गए हैं.’

लेकिन, पड़ताल के दौरान हमें टर्मिलन होकर गाड़ियों की आवाजाही नहीं दिखीं. नेपाल सीमा में प्रवेश करने वाला मुख्य दरवाजा बंद था. साथ ही, वहां निर्माणाधीन इमारतें दिख रही थीं. आरके रमण ने बताया कि फिलहाल पुराने रास्ते (जोगबनी के मुख्य बाजार होकर) पर ट्रैफिक कम करने के लिए गाड़ियों की क्लियरेंस यहां से की जाती है. उन्होंने कहा, ‘एक तरफ से आवाजाही हो रही है, उधर (नेपाल) तो बना ही नहीं है. जब वहां बनेगा नहीं तो गाड़ियां जाएंगी नहीं. अभी चूंकि गाड़ियों की आवाजाही काफी अधिक है और कस्टम के पास जगह नहीं है तो हमारे जगह का इस्तेमाल किया जा रहा है, बेहतर चेंकिंग के लिए.’

हालांकि, सीमा पर स्थित बाजार के दुकानदारों की मानें तो अब तक उन्हें सड़कों पर व्यावसायिक गाड़ियों के जाम से राहत नहीं मिली है. इसके चलते ग्राहकों की परेशानी तो बढ़ती ही है. साथ ही, उनकी दुकानदारी पर भी बुरा असर पड़ता है. इस बाजार में नेपाली ग्राहक भी बड़ी संख्या में खरीदारी करने आते हैं.

वहीं, जब सारी सुविधाएं तैयार नहीं थी तो इसके उद्घाटन में जल्दबाजी क्यों दिखाई गई? इस सवाल पर प्रबंधक का कहना था, ‘इसका उद्धघाटन होने का मतलब यह था कि मंत्रालय ने भी स्वीकार कर लिया है. इसे शुरू करना इसलिए जरूरी था क्योंकि ट्रेड का दबाव था. व्यापारियों को परेशानी हो रही थी और अधिक वक्त लग रहा था और कस्टम को भी चेक करने का जगह नहीं मिल रही थी. इन बातों को ही देखते हुए इसे जल्दी से जल्दी शुरू किया गया.’ उन्होंने बताया कि यह 15 नवंबर, 2016 से ही आंशिक रूप से काम कर रहा था. छह मार्च को विधिवत उद्घाटन किया गया.

आरके रमण ने हमें आगे बताया कि अक्टूबर, 2019 के आखिर तक नेपाल आईसीपी का उद्धाटन हो जाएगा. इसके अलावा उनका कहना था कि नेपाल से भारत आने वाली खाली गाड़ियों को शाम सात बजे से सुबह सात बजे तक आईसीपी से जाने दिया जाता है. हालांकि, लैंड पोर्ट में मौजूद कई ट्रक ड्राइवरों का कहना था कि इसके लिए शाम के वक्त केवल ‘दो घंटे’ का वक्त दिया जाता है.

वहीं, अगस्त- 2019 में पेट्रोलियम पदार्थ ढोने वाली गाड़ियों को भी आईसीपी से होकर नेपाल जाने की अनुमति मिल चुकी है. लेकिन, आरके रमण की मानें तो अभी कस्टम कार्यालय इन गाड़ियों को नहीं भेज रहा है. इस बारे में जब हम जानकारी हासिल करने नेपाल सीमा से करीब 500 मीटर पहले स्थित कस्टम कार्यालय पहुंचे तो मालूम चला कि डिप्टी कमिश्नर एके सिन्हा छुट्टी पर हैं और मीडिया से बात करने के लिए वे ही अधिकृत हैं. हालांकि, एक सूत्र ने बताया कि पेट्रोलियम गाड़ियों को कुछ दिनों के लिए चलाया गया था लेकिन, कई जगह सड़क ही धंस गई. इसलिए, इसे रोक दिया गया. वहीं, एक अन्य पदाधिकारी ने इस बात की उम्मीद जाहिर की कि नेपाल आईसीपी का काम होने पर गाड़ियों का आना-जाना शुरू हो जाएगा.

सुरक्षा व्यवस्था

जब हम आईसीपी के मुख्य दरवाजे पर पहुंचे तो यहां की सुरक्षा व्यवस्था काफी पुख्ता दिखीं. यहां हर आने वाले का ब्यौरा लिया जाता है. लेकिन, आईसीपी के भीतर जाने पर बड़ी संख्या में स्थानीय महिलाएं अपने मवेशियों के लिए घास काटती हुई दिखीं. इनमें से एक महिला से मैंने जब पूछा कि घेराबंदी होने के बाद भी यहां कैसे आ जाती हैं? इस पर उस महिला ने एक ओर इशारा करते हुए कहा बताया कि उधर से रास्ता खुला हुआ है.

इन महिलाओं का लैंड पोर्ट के परिसर में आना पूरे दिन जारी रहता है. इस बारे में जब हमने प्रबंधक रमण से पूछा तो उन्होंने स्थानीय समाजिकता का हवाला दिया.

उनका कहना था, ‘उन्हें इंट्री देते हैं पीछे से. उधर से महिलाएं आ जाती हैं. ये सब बंद हो जाएगा, जैसे ही नेपाल का आईसीपी शुरु होता है. सब निगरानी में है. स्थानीय सरोकार भी तो है. वे कहां जाएंगे!’

लेकिन, जब आरके रमण से ये पूछा कि निगरानी के लिए वॉच टावर कहीं नहीं दिख रहा है. इस सवाल पर उन्होंने कहा, ‘वाच टावर की जगह लोहे का एक ढ़ांचा है.’ इस पर हमने पूछा है, ‘ ये है या बनना है? रमण का जवाब था, ‘बना तो नहीं है, लेकिन बन जाएगा. वाच टावर की उतनी जरूरत नहीं है.’

वहीं, जब हमने उनसे पूछा कि क्या सुरक्षा के लिहाज से भी इसकी जरूरत नहीं दिखती है? इस पर एलपीआई प्रबंधक का कहना था, ‘देखिए, नेपाल फ्रेंडिली कंट्री है. अटारी के बॉर्डर में और नेपाल के बॉर्डर में थोड़ा बिहेव में चेंज है. ये होस्टाइल बॉर्डर नहीं है. लोग यहां ट्रेड के लिए आते हैं. फिर भी सिक्योरिटी के लिए एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) यहां पर लगी हुई है.’ नेपाल और भूटान की सीमा पर सुरक्षा के लिए अर्द्धसैनिक बल- एसएसबी की तैनाती की जाती है.

इसके आगे वे सुरक्षा को लेकर एसएसबी पर अपना विश्वास भी जाहिर करते हैं. साथ ही, सुरक्षा से जुड़ी कमियों को छिपाने की भी कोशिश करते हुए दिखते हैं. आरके रमण का कहना है, ‘एसएसबी अपना पेट्रोलिंग वैगरह करती है. और वाच टावर तो नहीं है लेकिन, वाटर टैंक है. वहीं से (एसएसबी) देखती है. कैसे सिक्योर कर रही है, वह एसएसबी का काम है. वह अच्छे से सिक्योर कर रही है.’ लेकिन, पड़ताल के दौरान सुरक्षा व्यवस्था में तकनीक खामियां पकड़ में आती हैं.

वहीं, हमें एक सूत्र ने बताया कि लैंड पोर्ट के पूरे इलाके में सुरक्षा व्यवस्था के लिए कुल 118 कैमरे लगे हुए हैं. लेकिन, इसमें अभी केवल दो-तिहाई ही काम कर रहे हैं. ‘इन कैमरों को करीब सात महीने पहले लगाया गया था. फिर, इतनी जल्दी खराब कैसे हो गए?

इसके जवाब में इस सूत्र ने बताया, ‘कैमरा लो क्वालिटी का है. सरकारी काम ऐसा ही होता है. मॉडल 2012-13 है. लेटेस्ट नहीं लगाया है. कंपनी का जो पुराना माल ब्रिकी नहीं हो रहा था, उसे ही यहां लगा दिया. यहां तो केवल कैमरा लगाना है. अब क्वालिटी सही आए या नहीं आए, उससे कोई मतलब नहीं है.’

सुविधाओं का अभाव

‘यहां खाने-पीने की कोई व्यवस्था ठीक नहीं है. जो चाय का बाहर पांच रुपया लगता है, यहां (कैंटीन) में 10 रुपये लगता है. खाना मिलता है लेकिन, कोई करम (ढंग) का नहीं. हमलोग खुद ही खाना बनाते हैं. कोई गाड़ी में ही बनाता है, कोई बाहर में कुछ बिछाकर बनाता है.’ यह तकलीफ हमसे बिहार के छपरा निवासी अनूप कहते हैं. वे ट्रक ड्राइवर हैं और पश्चिम बंगाल के कोलकाता से नेपाल स्थित विराटनगर तक माल ले जा रहे हैं.

वे पहली बार जोगबनी आए हैं लेकिन, यहां की व्यवस्था से काफी नाखुश हैं. अनूप कहते हैं, ‘कहने का मतलब जो हमलोगों को रक्सौल (आईसीपी) में सिस्टम है, यहां नहीं है. रक्सौल में कोई दिक्कत नहीं होता है, जितना यहां दिक्कत है.

वहीं, लैंड पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर उन सुविधाओं की सूची दी गई है, जो यहां उपलब्ध हैं. इनमें एटीएम से लेकर ड्राइवरों के लिए रेस्टरूम तक शामिल हैं. लेकिन, पड़ताल में हमारे सामने कई सुविधाएं नहीं दिखीं. इनमें बैंक, एटीएम और ड्राइवरों के लिए रेस्ट रूम शामिल हैं. वहीं, गाड़ियों की वजन मापने के लिए दो धर्मकांटा का काम भी आधा-अधूरा पड़ा हुआ है.


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इस बारे में जब हमने आरके रमण से सवाल किया तो उन्होंने बैंक और एटीम को छोड़कर सारी सुविधाएं होने की बात कही. उन्होंने कहा, ‘एसबीआई से बात चल रही है. अभी ट्रेड नहीं है. इसके अलावा अभी सारे लोग कैश में ट्रांजेक्शन कर रहे हैं. दोनों तरफ से आवाजाही होने पर बैंक ने हमसे वादा किया है.’ आरके रमण ने आगे दावा किया, ‘करीब सारा काम हो चुका है और जैसे ही नेपाल आईसीपी तैयार हो जाएगा, वैसे ही आपको लगेगा कि काम हो रहा है.’

उनकी मानें तो नवंबर, 2019 में दोनों आईसीपी का उद्घाटन हो जाएगा. ‘दोनों का होगा!’ हमारी इस प्रतिक्रिया के बाद आरके रमण ने संभलते हुए कहा, ‘उसका (नेपाल आईसीपी) का होगा, खास तौर पर. इस मौके पर दोनों देश के प्रधानमंत्री मौजूद होंगे. इस महीने दोनों आईसीपी की अंतिम रिपोर्ट तैयार होनी है कि ये कैसा बना है. ड्रोन से इनकी फोटोग्राफी होगी.’

एसएसबी जवानों के रहने के लिए कोल्ड स्टोर

आईसीपी की सुरक्षा में लगे करीब 60 जवानों के आवासीय इमारतों का निर्माण किया जाना था. पीआईबी और स्थानीय मीडिया की खबरों की मानें तो तत्कालीन गृह मंत्री ने आईसीपी के साथ इनका भी उद्घाटन किया. लेकिन, इसके सात महीने बाद भी सुरक्षा बल के जवानों को एक कोल्ड स्टोर में रहना पड़ रहा है. इस बारे में एक जवान का कहना था, ‘अभी बन रहा है रहने का बिल्डिंग. सब हवा है. ऑनलाइन चलता है न. रहने के लिए कोल्ड स्टोर है न……गोदाम टाइप का है.’

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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