scorecardresearch
Saturday, 23 November, 2024
होमदेश'एक दूसरे का सम्मान करें', ग्रेटर नोएडा की एक सोसाइटी ने परिसर में 'नाइटी' और 'लुंगी' पहनने पर लगाया प्रतिबंध

‘एक दूसरे का सम्मान करें’, ग्रेटर नोएडा की एक सोसाइटी ने परिसर में ‘नाइटी’ और ‘लुंगी’ पहनने पर लगाया प्रतिबंध

मामले को बढ़ता देख सोसायटी के अध्यक्ष ने इसपर अपनी सफाई दी है. उनका कहना है कि इससे लोग असहज हो जाते थे और कई बार महिलाओं ने इसको लेकर शिकायत की है.

Text Size:

नई दिल्ली: ग्रेटर नोएडा हाउसिंग सोसाइटी ने निवासियों को आम क्षेत्रों में “लुंगी” और “नाइटी” पहनकर परिसर में घूमने पर प्रतिबंध लगा दिया है. सोसाइटी का कहना है कि यह फैसला इसलिए लिया गया है कि लोग असहज न हो.

हिमसागर अपार्टमेंट के रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) ने 10 जून को एक पत्र जारी किया, जिसका शीर्षक था, “सोसाइटी के परिसर में चलने के लिए ड्रेस कोड”. पत्र बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. सोसाइटी में रहने वालों से नाइटवियर में अपने फ्लैट से बाहर नहीं निकलने का भी आग्रह किया गया है.

इसमें लिखा गया है, “आप सभी से यह अपेक्षा की जाती है कि जब भी आप किसी भी समय सोसाइटी में टहलें तो अपने आचरण और पहनावे पर विशेष ध्यान दें, ताकि आप किसी को अपने व्यवहार पर आपत्ति जताने का मौका न दें…इसलिए, सभी से अनुरोध है कि लुंगी और नाइटी पहनकर न घूमें, जो कि घर में पहनने वाले कपड़े हैं.”

आरडब्ल्यूए अध्यक्ष सी.के. कालरा ने अपने फैसले का बचाव किया और कहा, “अगर महिलाएं नाइटी पहनती हैं और घूमती हैं, तो यह पुरुषों के लिए असहज होगा… और अगर पुरुष लुंगी पहनते हैं, तो यह महिलाओं के लिए असहज होगा…इसलिए हमें एक-दूसरे का सम्मान करने की जरूरत है.”

कालरा ने कहा कि इन कपड़ों में योग करने वाले एक वरिष्ठ नागरिक की कई महिलाओं ने शिकायत दर्ज की. जिसके बाद यह निर्णय लिया गया है. महिलाओं का कहना था कि इससे वह असहज हो गई.

उन्होंने निवासियों से अनुरोध किया कि वे व्यक्तिगत आचरण और पहनावे पर इस तरह से विशेष ध्यान दें जो दूसरों के लिए असहज न हो. कालरा ने आगे कहा कि इरादा लोगों के साथ भेदभाव करने या व्यक्तिगत विकल्पों को प्रतिबंधित करने का नहीं था.

हालांकि, इस निर्णय का लोगों ने ऑनलाइन बहुत विरोध किया है, जिसमें टिप्पणी की गई है कि आरडब्ल्यूए जज और पुलिस के सरताज विकल्पों की कोशिश कर रहा है. कई लोगों ने सोसाइटी की इस “अजीब प्राथमिकताओं” की निंदा की, जबकि अन्य ने कहा कि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर आघात हो रहा है.


यह भी पढ़ें: ‘गरीबी, स्लम, पेरेंट्स का विरोध’, भारतीय ब्रेकडांसर्स ओलंपिक के लिए तैयार, कठिन हालात में भी नहीं टूटे


share & View comments