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Friday, 15 November, 2024
होमदेशदिल्ली में जामिया के पास भारत-पाकिस्तान युद्ध के हीरो ब्रिगेडियर उस्मान की कब्र पर 'तोड़-फोड़'

दिल्ली में जामिया के पास भारत-पाकिस्तान युद्ध के हीरो ब्रिगेडियर उस्मान की कब्र पर ‘तोड़-फोड़’

ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान जिन्हें 'नौशेरा का शेर' कहा जाता था, 1947-48 में भारत के साथ लड़ाई में पाकिस्तान से दो रणनीतिक स्थान फिर से छीन लिए थे.

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नई दिल्ली: 1947-48 में पहले भारत-पाक युद्ध में लड़ते हुए मारे जाने वाले उच्चतम रैंकिंग अधिकारी ब्रिगेडियर मौहम्मद उस्मान की कब्र पर कथित रूप से शरारती तत्वों ने तोड़-फोड़ की है.

उनकी ये कब्र दक्षिण दिल्ली में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पास बटला हाउस कब्रिस्तान में है.

‘नौशेरा का शेर’ नाम से मशहूर उस्मान ने 50 (इंडीपेंडेंट) पैराशूट रेजिमेंट की अगुवाई की जिसने 1948 में जम्मू-कश्मीर की दो रणनीतिक जगहें- झांगर और नौशेरा- पाकिस्तान से फिर से छीन ली थीं.

हेरिटेज टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उस्मान के जनाज़े में तब के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी और दूसरे कई कैबिनेट मंत्रियों ने शिरकत की थी.

हालांकि ये पता नहीं है कि कब्र को किसने और कब नुकसान पहुंचाया लेकिन यहां के निवासियों का कहना है कि कब्रिस्तान सुरक्षित नहीं है और इसके प्रवेश व निकास द्वार चौबीसों घंटे खुले रहते हैं और परिसर की एक पूरी साइड, जामिया मेट्रो स्टेशन और मेन रोड की ओर खुली रहती है.

दिप्रिंट से बात करते हुए जामिया यूनिवर्सिटी के पीआरओ अहमद अज़ीम ने कहा कि यूनिवर्सिटी की ज़िम्मेदारी कब्रों की देखरेख की नहीं है बल्कि वो सिर्फ कब्रिस्तान की देखभाल करती है.

कब्रिस्तान की देखरेख से जुड़े यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने दिप्रिंट को बताया कि कब्रिस्तान की देखरेख के लिए एक निजी फंड कायम किया गया था.

नाम न बताने की शर्त पर उन्होंने कहा, ‘यूनिवर्सिटी के पास एक निजी फंड है जिससे कब्रिस्तान की देखरेख की जाती है, जिसमें घास कटवाना और कचरा साफ कराना शामिल है. कभी-कभी रात में शराबी भी कब्रिस्तान में आ जाते हैं’.

उन्होंने आगे कहा, ‘भावनात्मक और दूसरे कारणों से, कब्रों की देख-रेख का काम परिवार संभालते हैं. पहले भी परिवारों ने यूनिवर्सिटी से कब्रों की मरम्मत और उनपर लिखे समाधि-लेखों को सही करने के लिए अनुमति या सहायता मांगी है लेकिन इसे अलग-अलग केस के आधार पर किया जाता है.

सैन्य सूत्रों ने दिप्रिंट से कहा कि ये मामला, फोर्स के लिए एक ‘प्रोटोकोल और भावनात्मक मुद्दा’ है और इसे उच्चतम स्तर पर देखा जा रहा है.

ये पूछे जाने पर कि क्या अवशेषों को आर्मी केंटोनमेंट में शिफ्ट करने की योजना है जैसा कि कुछ सुझाव आए हैं, सूत्रों ने कहा कि फौरी चिंता कब्र की मरम्मत की है. किसी भी दूसरी चीज़ पर फैसला समय रहते लिया जाएगा.


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‘नौशेरा का शेर’

सेंटर फॉर लैंड वॉरफेयर स्टडीज़ के एक आर्काइव पेपर के अनुसार, ब्रिगेडियर उस्मान 15 जुलाई 1912 को, उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ में बीबीपुर में एक सैन्य परिवार में पैदा हुए थे. उनके पिता एक पुलिस अधिकारी थे, जो बाद में वाराणसी के मेन पुलिस स्टेशन प्रमुख बने और उनके चाचा सेना में एक ब्रिगेडियर थे.

उन्हें बलूच रेजिमेंट में कमीशन मिला, जहां उन्होंने आज़ादी तक सेवाएं दीं. बंटवारे के दौरान उन्हें पाकिस्तान सेना प्रमुख के पद की पेशकश की गई जिसे उन्होंने मंज़ूर नहीं किया.

दिसंबर 1947 में उस्मान ने, नौशेरा में 50 (इंडीपेंडेंट) पैराशूट ब्रिगेड की कमान हाथ में ली जिसने इलाके में पाकिस्तानी कबाइलियों की चढ़ाई को रोक दिया और उसे पाकिस्तान से फिर छीन लिया. उनकी कमान में ही भारत ने झांगर को पाकिस्तान से फिर से ले लिया.

उनकी सैन्य उपलब्धियों के चलते पाकिस्तान ने उनके सर पर 50,000 रुपए का ईनाम घोषित कर दिया.

3 जुलाई 1948 को उनकी उस वक्त मौत हो गई, जब नौशेरा में दुश्मन सेना का एक गोला उनके पास फट गया.

युद्ध के हीरो की ज़िंदगी पर निर्देशक संजय खान एक बायोपिक बनाने जा रहे हैं जिसमें उनके बेटे ज़ायद खान मुख्य भूमिका में होंगे.

लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिन्हा ने, जो जनरल करियप्पा के जनरल स्टाफ ऑफिसर थे और बाद में सेना के वाइस चीफ बने, कहा, ‘मैं जनरल करियप्पा के साथ नौशेरा गया था. उन्होंने मोर्चाबंदी का मुआयना किया और ब्रिगेडियर उस्मान से कहा कि कोट हमारी मोर्चाबंदी के सामने पड़ता है और उसे सिक्योर किया जाना है.

‘दो दिन के बाद, उस्मान ने उस स्थान पर कामयाबी के साथ हमला कर दिया. उसे उन्होंने ऑपरेशन किपर का नाम दिया, जो जनरल का उपनाम था. कोट पर कब्ज़ा हो जाने के बाद, हमारे जवानों ने दुश्मन को बुरी तरह शिकस्त दी, जो 900 मृतकों को छोड़कर पीछे भाग गया. कश्मीर युद्ध की ये सबसे बड़ी लड़ाई थी. उस्मान एक राष्ट्रीय हीरो बन गया’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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1 टिप्पणी

  1. You r appealing for fund or something else, thoda sa batua bhi, what does you mean, correct yourself and come with the data, you , the print how much you contribute in the shape of CSR to society

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