नई दिल्ली: विपक्ष द्वारा आरक्षण की कमी पर के मुद्दे पर हंगामे के बाद नौकरशाही में सीनियर और मिड-लेवल के पदों पर लेटरल एंट्रेंट्स को लाने पर केंद्र द्वारा यू-टर्न लेने के चार महीने से अधिक समय बाद, सरकारी विभागों में प्राइवेट सेक्टर के विशेषज्ञों की भर्ती करने की योजना को जल्द ही वापस लाने की संभावना नहीं है. दिप्रिंट को इस बारे में जानकारी मिली है.
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के सूत्रों ने कहा कि लेटरल एंट्री स्कीम को पूरी तरह से बदल दिया जाएगा क्योंकि ऐसा महसूस किया गया था कि 2018 में इसके लॉन्च होने के बाद, यह काबिल व्यक्तियों को आकर्षित करने में विफल रही है.
सूत्रों ने कहा, इसके अलावा, इस बात पर अभी तक कोई स्पष्टता नहीं है कि योजना के तहत आरक्षण शुरू किया जाना चाहिए या नहीं.
डीओपीटी के एक सूत्र ने कहा, “कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय में हम इस योजना को नया रूप देने के तरीकों पर चर्चा कर रहे हैं, ताकि हमें प्राइवेट सेक्टर से काबिल लोग मिल सकें. हाल के वर्षों में उद्योग के डोमेन विशेषज्ञों की तुलना में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) से अधिक आवेदक आए हैं. पीएसयू के कई लोग इसलिए आवेदन करते हैं क्योंकि वह दिल्ली में पोस्टिंग चाहते हैं.”
जब 2018 में पहली बार लेटरल एंट्री स्कीम शुरू की गई थी, तो सरकार ने तीन साल की अवधि के लिए संयुक्त सचिव के 10 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे, जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता था. नियुक्त किए गए दस लोगों में से केवल नौ ही सेवा में शामिल हुए. एक ने बीच में ही नौकरी छोड़ दी और दूसरे ने तीन साल पूरे करने के बाद नौकरी छोड़ दी. सात का कार्यकाल तीन साल से आगे बढ़ा दिया गया.
तब से सरकार ने चार बार भर्ती अभियान चलाया है, लेकिन योजना के प्रति प्रतिक्रिया डगमगा गई है. 2021 में लगभग 40 पद लेटरल हायरिंग के लिए खोले गए थे; उनमें से अधिकांश निदेशक और उप-सचिव के थे.
पिछले साल 12 दिसंबर को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के जूनियर मंत्री जितेंद्र सिंह, जिसके अंतर्गत DoPT आता है, ने कहा कि 2018 से विभिन्न सरकारी विभागों में अनुबंध/प्रतिनियुक्ति के आधार पर संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के स्तर पर 63 नियुक्तियाँ की गई हैं.
DoPT सूत्र ने यह भी कहा कि लेटरल एंट्रेंट्स को दिए जा रहे पारिश्रमिक पर फिर से विचार करने की ज़रूरत है. सूत्र ने कहा, “लेटरल एंट्रेंट्स को मिलने वाली सैलरी पर भी फिर से जांच करने की दरकार है.”
DoPT के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि वर्तमान में संयुक्त सचिव के पद पर भर्ती होने वालों को 1.44 लाख रुपये से 2.18 लाख रुपये के सैलरी ब्रैकेट में रखा जाता है, जो भारत सरकार के एक संयुक्त सचिव को मिलती है.
अधिकारी ने कहा, “इस तरह के वरिष्ठ-स्तरीय प्रबंधन पदों के लिए प्राइवेट सेक्टर में सैलरी बहुत ज्यादा है.”
पिछले साल अगस्त में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सरकार के 24 मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के 45 पदों पर लेटरल एंट्री के लिए आवेदन मांगे थे – जो 2018 के बाद से सबसे बड़ा भर्ती अभियान था.
विपक्षी कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) सहित अपने कुछ सहयोगियों की राजनीतिक प्रतिक्रिया के बाद, केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने विज्ञापन वापस ले लिया.
वर्तमान में सरकार की आरक्षण नीति लेटरल एंट्री स्कीम पर लागू नहीं होती है क्योंकि नियुक्तियां एकल-पद कैडर के लिए होती हैं.
डीओपीटी सूत्र ने कहा, “वर्तमान प्रारूप में लेटरल एंट्री स्कीम में आरक्षण संभव नहीं है.”
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