नई दिल्ली: दिल्ली की भीड़ कम करने के लिए बना 135 किलोमीटर लंबा ईस्टर्न पेरीफरल एक्सप्रेसवे, जम्मू-कश्मीर के चेनानी-नाश्री में सबसे लंबी हाईवे सुरंग, और 326 हैदराबाद-बेंगलुरू के बीच किलोमीटर का हिस्सा, उन 104 राष्ट्रीय राजमार्गों का हिस्सा हैं, जिन्हें सरकार ने 2022 से 2025 के बीच, नेशनल मॉनिटाइज़ेशन पाइपलाइन के तहत मुद्रीकरण के लिए चिन्हित किया है.
26,700 किलोमीटर लंबाई में फैली ये सड़कें, कुल राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) का लगभग 22 प्रतिशत हैं- जिनकी कुल अनुमानित लंबाई क़रीब 1,21,155 किलोमीटर है, जिसमें वो नेटवर्क शामिल नहीं है जिसे निजी क्षेत्र, निर्माण-परिचालन-हस्तातंरण (टोल) आधारित पीपीपी कंसेशंस के तहत चलाता है.
केंद्रीय थिंक-टैंक नीति आयोग द्वारा तैयार संपत्ति पाइपलाइन के अनुसार, सड़क संपत्तियों का कुल अनुमानित मुद्रीकरण मूल्य 1.6 लाख करोड़ रुपए रखा गया है. सड़क मंत्रालय दो मॉडल्स के ज़रिए एनएच के पूरे हो चुके हिस्सों का मुद्रीकरण करेगा- टोल ऑपरेट ट्रांसफर (टॉट) जो 2018 से प्रयोग में है, और इनफ्रास्ट्रक्चर निवेश फंड्स (इनविट).
लेकिन अभी तक मंत्रालय द्वारा टॉट तरीक़े से की गई मुद्रीकरण की क़वायद को- जिसमें पूरे हो चुकीं और सरकारी पैसे से बनी सड़क परियोजनाएं, एक अग्रिम भुगतान के एवज़ में 30 साल के लिए, किसी निजी डेवलपर को नीलाम कर दी जाती हैं- निजी क्षेत्र के निवेशकों से एक मिली-जुली प्रतिक्रिया ही मिली है.
टॉट मॉडल के तहत, अग्रिम भुगतान के एवज़ में निजी निवेशक को टोल एकत्र करने का अधिकार मिल जाता है, और पूरी कंसेशन अवधि के दौरान, वो एनएच का परिचालन और रख-रखाव करता है.
सड़क क्षेत्र के लिए नीति आयोग द्वारा तैयार संपत्ति पाइपलाइन के अनुसार, मौजूदा संचालित एनएच संपत्तियां और नई एनएच सड़कें, जो 2025 से पहले बनाई और चालू की जाएंगी, उन सभी पर विचार किया गया है.
एक वरिष्ठ एनएचएआई अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा चुनी गईं सभी सड़कें और हाईवेज़, चार लेन या उससे अधिक की होती हैं, और सरकारी पैसे से बनी होती हैं, जहां टोल लगाने के अधिकार एनएचएआई के पास होते हैं’.
TOT मॉडल
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने अभी तक, पूरी हो चुकी हाईवे परियोजनाओं के पांच पैकेज, टॉट के ज़रिए मुद्रीकरण के लिए चुने हैं.
एनएचएआई को पहले पैकेज के लिए 9,681 करोड़ रुपए मिले थे, जिसमें 681 किलोमीटर की नौ परियोजनाएं शामिल थीं. ये राशि मंत्रालय द्वारा निर्धारित किए गए आधार मूल्य से डेढ़ गुना अधिक थी. लेकिन निवेशकों की ओर से फीकी प्रतिक्रिया को देखते हुए, एनएचएआई को दूसरा और चौथा पैकेज वापस लेना पड़ा.
586 किलोमीटर लंबी दूसरे हिस्से की परियोजनाओं के लिए, 5,632 करोड़ रुपए का आधार मूल्य तय किया गया था, जबकि कुल 341.6 किलोमीटर लंबे चौथे पैकेज का कंसेशन मूल्य 4,200 करोड़ रुपए था. रेस्पॉन्स न मिलने पर एनएचआई ने चौथे पैकेज का आधार मूल्य घटाकर 2,200 करोड़ कर दिया, लेकिन अंत में उसे बोली को रद्द करना पड़ा.
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टॉट का तीसरा पैकेज बोली लगाने वाली एक सिंगापुर आधारित कंपनी क्यूब हाईवेज़ को दे दिया गया. इस कंपनी ने 5,011 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी.
टॉट के ज़रिए फरवरी में नीलाम हुईं हाईवे परियोजनाओं के पांचवें पैकेज को भी 2,252 करोड़ रुपए की बोली प्राप्त हुई, जबकि उसका आरक्षित मूल्य 1,621 करोड़ रुपए था. अदानी एंटरप्राइज़ और डीपी जैन एंड कंपनी इनफ्रास्ट्रक्चर की बोली, पांचवें पैकेज के लिए सबसे अधिक थी, जिसे दो हिस्सों में बांट दिया गया.
NHAI इनविट का पहला हिस्सा 2022 तक अपेक्षित
एनएचएआई इनविट को इस उद्देश्य से स्थापित किया गया है, कि पूरी हो चुकीं और संचालित एनएच परियोजनाओं का, पूंजी बाज़ार और निवेशक आधार के विविधीकरण जैसे वैकल्पिक स्रोतों के ज़रिए मुद्रीकरण किया जाए.
एनएचएआई के पूर्ण स्वामित्व वाली एक नई इकाई, नेशनल हाईवेज़ इनफ्रा इनवेस्टमेंट मैनेजर्स प्राइवेट लिमिटेड का गठन किया गया है, जो प्रस्तावित इनविट लेनदेन के लिए निवेश प्रबंधक का काम करेगी.
सड़क मंत्रालय अपेक्षा कर रहा है कि एनएचएआई लेनदेन का पहला हिस्सा, वित्त वर्ष 2022 की दूसरी या तीसरी तिमाही तक पूरा हो जाएगा, बशर्ते कि बाज़ार परिस्थितियां अनुकूल हों, और कोविड महामारी के बाद टोल से होने वाली आय स्थिर हो जाए. अपेक्षा की जा रही है कि इस खेप में राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल और बिहार में, एनएच की 586 किलोमीटर की संपत्ति शामिल होगी.
मौजूदा खेप से हासिल होने वाले एनएचएआई इनविट फंड का सांकेतिक मूल्य क़रीब 5,000 करोड़ रुपए हो सकता है.
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