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Friday, 26 April, 2024
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एयर इंडिया के निजीकरण पर काम तेज, सभी नियुक्तियां, पदोन्नति रोकने के निर्देश

सिर्फ कुछ नई उड़ानें शुरू की जा सकती हैं, वह भी बहुत जरूरी होने पर और व्यावसायिक स्तर पर फायदेमंद दिख रही हों तो.

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नई दिल्ली : एयर इंडिया के निजीकरण के अपने प्रस्ताव को देखते हुए सरकार ने कंपनी में व्यापक स्तर पर सभी नियुक्तियों और पदोन्नतियों को रोकने का निर्देश दिया है. सिर्फ कुछ नई उड़ानें शुरू की जा सकती हैं, वह भी बहुत जरूरी होने पर और व्यावसायिक स्तर पर लाभकारी दिख रही हों तो.

एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, ‘यह निर्देश लगभग एक सप्ताह पहले आया है. इसके अनुसार, आगामी निजीकरण को देखते हुए कोई बड़ा कदम नहीं उठाया जाना है. इसके तहत नियुक्तियां और पदोन्नति भी रोक दी जाएगीं.’ यह निर्देश निवेश तथा जन संपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) ने दिया है.

पिछले कार्यकाल में बोली लगाने वाले को ढूंढ़ने में नाकाम रही मोदी सरकार इस कार्यकाल में एयर इंडिया को निजी हाथों में देने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रही है. सरकार ने निजीकरण की प्रक्रिया में निर्णय लेने के लिए मंत्रियों के समूह (जीओएम) को दोबारा गठित किया है.

कंसल्टिंग फर्म ईवाई पहले से ही निजी बोली लगाने वालों को आमंत्रित करने के लिए प्रारंभिक सूचना ज्ञापन को अंतिम रूप देने के लिए काम कर रही है. एयर इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इस बार, विनिवेश को लेकर कोई संदेह नहीं है. जिस गति से चीजें हो रही हैं, विमानन कंपनी का मालिकाना हक किसी निजी कंपनी के पास पहुंच जाएगा.’

एयर इंडिया पर कुल लगभग 58,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. राष्ट्रीय विमानन कंपनी का संचयी नुकसान 70,000 करोड़ रुपये है. इसी साल 31 मार्च को खत्म हुए वित्त वर्ष में विमानन कंपनी को 7,600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

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नागरिक विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इसी सप्ताह कहा था कि एयर इंडिया को बचाने के लिए उसका निजीकरण करना होगा. उन्होंने कहा था कि सरकार ऐसी विमानन कंपनी को चलाने के लिए तैयार नहीं है जहां संचालन संबंधी निर्णय प्रतिदिन लिए जाते हैं ना कि नौकरशाही प्रक्रिया या ठेका प्रक्रिया से.

पुनर्गठित जीओएम के अध्यक्ष गृह मंत्री अमित शाह अगले कुछ सप्ताहों में एयर इंडिया के निजीकरण से संबंधित निर्णय ले सकते हैं.

अमित शाह करेंगे एयर इंडिया बिक्री मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की अध्यक्षता : सूत्र

वहीं मोदी 2.0 सरकार में इसे सत्ता के समीकरण में बदलाव ही कहा जाएगा क्योंकि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी अब एयर इंडिया मामले को लेकर दोबारा गठित होने वाली मंत्रिमंडलीय समिति का हिस्सा नहीं होंगे. इस समिति की अध्यक्षता गृहमंत्री अमित शाह करेंगे. यह समिति एयर इंडिया के निजीकरण के संबंध में फैसला लेगी. समिति के अध्यक्ष अमित शाह होंगे और इसमें वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य एवं रेल मंत्री पीयूष गोयल, नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी बतौर सदस्य होंगे.

पूर्व की मोदी सरकार में तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली मंत्रिमंडलीय समिति ‘एयर इंडिया स्पेसिफिक अल्टरनेटिव मेकेनिज्म (एआईएसएएम)’ के अध्यक्ष थे. सरकार के एक अधिकारी ने बताया, ‘मंत्रियों के समूह का दोबारा गठन किया गया है. नितिन गडकरी इसका हिस्सा नहीं हैं.’

इससे पहले दो अहम मंत्रिमंडलीय समितियों में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का नाम नहीं था. इससे भारतीय जनता पार्टी के भीतर सत्ता के समीकरण में बदलाव की कयासबाजी तेज हो गई. हालांकि अगले ही दिन अटकलों पर थोड़े समय के लिए विराम लगाते हुए उनको नाम शामिल कर लिया गया.

सरकार ने पिछले साल एयर इंडिया में 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए निविदा आमंत्रित की थी, लेकिन निविदा प्रक्रिया के पहले चरण में एक भी निजी पक्ष ने दिलचस्पी नहीं ली जिससे यह योजना विफल रही.

पिछली सरकार में यह एजेंडा पूरा नहीं हो पाया, इसलिए इस बार एयरलाइन को बेचने की गंभीर कोशिश की जा रही है.

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