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Monday, 4 November, 2024
होमदेशआधार कार्ड की 'फोटो-कॉपी शेयर न करने वाली' एडवाइजरी सरकार ने ली वापस, यह बताया कारण

आधार कार्ड की ‘फोटो-कॉपी शेयर न करने वाली’ एडवाइजरी सरकार ने ली वापस, यह बताया कारण

सरकार ने पहले कहा था है कि अपने आधार की फोटो-कॉपी शेयर न करें और मास्क्ड कॉपी का इस्तेमाल करें. जानें क्या है मास्क्ड कॉपी और आप अपना मास्क्ड आधार कैसे डाउनलोड कर सकते हैं.

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने 27 मई को आधार कार्ड को लेकर दिशानिर्देश जारी किए गए जिनमें कहा गया है कि इसके गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए लोग केवल इसकी नाकाबपोश यानी कि मास्क प्रतियां ही किसी के साथ साझा करें. इस एडवाइजरी के बाद लोगों में दहशत फैल गई और अब सरकार ने इसे वापस ले लिया है.

सरकार ने अपने दिशानिर्देश में कहा था, ‘अपने आधार की फोटोकॉपी किसी व्यक्ति या संस्थान के साथ धड़ल्ले से साझा न करें क्योंकि इसका दुरुपयोग किया जा सकता है.’

ऐसी स्थिति में लोगों परेशान हो रहे थे कि आधार कार्ड का इस्तेमाल बीते कई सालों से लोग कर रहे हैं. इससे पहले वे न जाने कितने संस्थानों के साथ पहले ही आधार कार्ड की फोटो-कॉपी साझा कर चुके होंगे.

अब सरकार ने एक स्पष्टीकरण जारी करते हुए दावा किया कि पहले की सलाह को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जा रहा है क्योंकि उसकी गलत व्याख्या की संभावना है.

सरकार के दोनों निर्देशों को आप यहां और यहां पढ़ सकते हैं.

सरकार ने कहा है कि नकाबपोश यानी की मास्क्ड कॉपी का इस्तेमाल करें. दरअसल मास्क्ड कॉपी में आधार कार्ड के पूरे 12 अंक नहीं होते हैं बल्कि संख्या के केवल अंतिम 4 अंक दिखाई देते हैं जिसे यूआईडीएआई की आधिकारिक वेबसाइट https://myaadhaar.uidai.gov.in से डाउनलोड किया जा सकता है.

इसके अलावा मास्क्ड आधार को अपने आधार की फोटोकॉपी किसी व्यक्ति या संस्थान के साथ धड़ल्ले से साझा न करें क्योंकि इसका दुरुपयोग किया जा सकता है.

किसी भी आधार संख्या के अस्तित्व को https://myaadhaar.uidai.gov.in/verifyAadhaar पर सत्यापित किया जा सकता है. ऑफ़लाइन सत्यापित करने के लिए, आप एमआधार मोबाइल एप्लिकेशन में क्यूआर कोड स्कैनर का उपयोग करके ई-आधार या आधार पत्र या आधार पीवीसी कार्ड पर क्यूआर कोड को स्कैन कर सकते हैं, यूआईडीएआई को सूचित किया.

विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘कृपया ई-आधार डाउनलोड करने के लिए इंटरनेट कैफे/कियोस्क में सार्वजनिक कंप्यूटर का उपयोग करने से बचें. हालांकि, यदि आप ऐसा करते हैं, तो कृपया सुनिश्चित करें कि आप ई-आधार की सभी डाउनलोड की गई प्रतियों को उस कंप्यूटर से स्थायी रूप से हटा दें.’

‘केवल वे संगठन जिन्होंने यूआईडीएआई से उपयोगकर्ता लाइसेंस प्राप्त किया है, वे किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के लिए आधार का उपयोग कर सकते हैं. होटल या फिल्म हॉल जैसी बिना लाइसेंस वाली निजी संस्थाओं को आधार कार्ड की प्रतियां एकत्र करने या रखने की अनुमति नहीं है. यह आधार अधिनियम 2016 के अंतर्गत एक अपराध है. यदि कोई निजी संस्था आधार कार्ड देखने की मांग करती है या आधार कार्ड की फोटोकॉपी मांगती है, तो कृपया सत्यापित करें कि उनके पास यूआईडीएआई से वैध उपयोगकर्ता लाइसेंस है.’

ऐसे करें मास्क्ड आधार डाउनलोड

Masked आधार कार्ड डाउनलोड करने के लिए जरूरी है कि आपका मोबाइल नंबर आपके आधार से जुड़ा हुआ हो. अगर ऐसा नहीं है तो आप इसे डाउनलोड नहीं कर सकते हैं.

इन स्टेप्स को फॉलो करके आप अपने मास्क्ड आधार कार्ड को डाउनलोड कर सकते हैं-

– UIDAI की वेबसाइट पर जाकर ‘आधार डाउनलोड करें’ का ऑप्शन चुनें.
– आधार/वीआईडी​​/नामांकन आईडी के ऑप्शन को चुनने के बाद Masked आधार विकल्प पर जाएं.
– अपनी जरूरी डिटेल दर्ज करें और ओटीपी अपने मोबाइल पर मंगाएं.
– ओटीपी के साथ दूसरी डिटेल दर्ज करें और ‘आधार डाउनलोड करें’ पर क्लिक करें.

इसके बाद आपका आधार पीडीएफ फॉरमेट में आपके सिस्टम या मोबाइल में डाउनलोड हो जाएगा. लेकिन जब आप इसे खोलना चाहेंगे तो यह आपसे पासवर्ड मांगेगा. इसके पासवर्ड लिए आपको अपने नाम नाम के पहले चार अक्षर और फिर जन्म का साल दर्ज करना होगा.

मान लीजिए आपना नाम सोनिया है और आपका जन्म साल 1998 में हुआ है तो आपका पासवर्ड होगा- soni1998.

आधार कार्ड लेकर उठते रहे हैं निजता के सवाल

यूपीए-2 की सरकार के समय से ही आधार को व्यापकता से लागू करने पर काम हो रहा था. लेकिन 2014 में एनडीए की सरकार आने के बाद इस काम में तेज़ी आई. याद रहे कि 2014 से पहले भाजपा आधार का पुरज़ोर विरोध कर रही थी. 2014 के बाद आधार को स्वैच्छिक से अनिवार्य बनाने को लेकर काम शुरू हुआ. आधार को राशन कार्ड, बैंक खातों, पैन कार्ड, बिजली कनेक्शन, एलपीजी कनेक्शन से जोड़ने का काम शुरू हुआ.

लोगों ने सवाल खड़े करने शुरू किए कि उनकी निजता का हनन हो रहा है. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो निजता एक मौलिक अधिकार है या नहीं इसे लेकर बहस शुरू हो गई. आधार की संवैधानिकता तय करने के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने 4:1 के फैसले में इसे वैध माना. जस्टिस चंद्रचूड़ आधार को संवैधानिक मानने के खिलाफ थे.


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