नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि नशीली दवा एवं मादक पदार्थ (एनडीपीएस) एक्ट,1985, में प्रस्तावित संशोधनों में, ड्रग्स के निजी इस्तेमाल को पूरी तरह अपराध मुक्त किए जाने की संभावना नहीं है. लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया, कि यदि अपराधी स्वेच्छा से नशामुक्ति का विकल्प चुनेंगे, तो उनके खिलाफ कोई अपराधिक केस नहीं होगा.
संशोधन बिल के संसद के शीत सत्र में लाए जाने जाने की संभावना है. एनडीपीएस एक्ट में व्यापक बदलाव लाने के लिए, सरकार वाद-विवाद में लगी है और कई प्रस्तावों पर काम कर रही है, जिनमें ड्रग्स के निजी सेवन को संभवत: अपराध मुक्त करना भी शामिल है.
सूत्रों के अनुसार, बहस ये चल रही है कि क्या वैध कर दिए जाने से, लोगों को ड्रग्स के सेवन से रोकने की लड़ाई पर नकारात्मक असर पड़ेगा. इसीलिए, मसौदे में ड्रग्स के निजी सेवन को वैध करने के प्रावधानों का, एक काफी हल्का रूप देखने को मिल सकता है.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि इसी सप्ताह सभी संबद्ध मंत्रालयों की एक बैठक में, नशे के आदी लोगों को स्वेच्छा से नशामुक्त होने की अनुमति देने और उनके खिलाफ अपराधिक मामले दायर न करने पर चर्चा की गई.
अधिकारी ने कहा, ‘या तो सरकार या फिर सरकारी सहायता प्राप्त संस्थाएं, नशेड़ियों को 30 दिन का मुफ्त इलाज मुहैया कराएंगी, ताकि वो अपने सामान्य जीवन में वापस आ सकें. उनकी पहचान भी सुरक्षित रखी जाएगी और उन्हें अभियोजन से भी सुरक्षित रखा जाएगा, अगर वो स्वेच्छा से आगे आकर स्वास्थ्य लाभ का विकल्प चुनते हैं. सरकार स्वैच्छिक सुधार को बढ़ावा देना चाहती है.’
सूत्रों के अनुसार, उसी बैठक में वैधीकरण के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई, और ये महसूस किया गया कि ये मुद्दा बेहद पेचीदा है, और इससे एहतियात के साथ निपटने की ज़रूरत है.
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘पहले प्रस्ताव दिया गया और उस पर बहस हुई कि अगर किसी को निजी सेवन के लिए, बहुत कम मात्रा के साथ पकड़ा जाता है, तो उन पर मुकदमा नहीं चलना चाहिए, बल्कि उन्हें पुनर्वास के लिए भेजा जाना चाहिए. लेकिन, इसे मंज़ूरी मिलने की संभावना नहीं है. हालिया बैठक में अधिकतर लोगों ने कहा कि इसे मंज़ूर नहीं किया जाना चाहिए.’
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संशोधनों पर काम जारी
पहले, ड्रग दुरुपयोग के पीड़ितों की सहायता करने के प्रयास में, सरकार भांग, नार्कोटिक्स, और नशीले पदार्थों के कम मात्रा में निजी सेवन को, अपराध मुक्त करने की संभावना पर विचार कर रही थी.
इस बारे में सिफारिशें 10 नवंबर को प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई एक उच्च-स्तरीय बैठक में आईं थीं, जिसमें राजस्व विभाग, गृह मंत्रालय, नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, सामाजिक न्याय मंत्रालय, और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी शरीक थे.
इस मुद्दे पर चर्चा हालिया मामलों के मद्देनज़र हुई थी, जिनमें एक्टर रिया चक्रबर्ती और शाहरुख़ ख़ान का बेटा आर्यन ख़ान शामिल थे- जिन दोनों पर ड्रग सेवन के आरोप थे.
ये सुझाव दिया जा रहा था कि पॉपी स्ट्रॉ,अफीम,भांग,नशीले पदार्थ और दूसरी ड्रग्स तथा नार्कोटिक्स के मामले में, जहां उल्लंघन में निजी सेवन के लिए बहुत छोटी मात्रा हो, वहां किसी सरकार-संचालित या समर्थित पुनर्वास अथवा नशामुक्ति केंद्र में, अनिवार्य भर्ती को प्रोत्साहित किया जा सकता है.
सरकार नशीली दवा एवं मादक पदार्थ (संशोधन) अध्यादेश 2021 (एनडीपीएस संशोधन अध्यादेश) को भी- जिसका उद्देश्य मसौदे की एक त्रुटि को सुधारना है- संसद के चालू सत्र में ही पेश करने जा रही है.
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