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Friday, 1 November, 2024
होमदेशअर्थजगतसरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर 2,275 रुपये प्रति क्विंटल किया, 6 रबी फसलों के MSP में भी वृद्धि

सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर 2,275 रुपये प्रति क्विंटल किया, 6 रबी फसलों के MSP में भी वृद्धि

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गेहूं का समर्थन मूल्य 2024-25 विपणन सत्र के लिए 2,275 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो 2023-24 में 2,125 रुपये प्रति क्विंटल था.

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नई दिल्ली: सरकार ने बुधवार को विपणन सत्र 2024-25 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 150 रुपये बढ़ाकर 2,275 रुपये प्रति क्विंटल करने की घोषणा की. सरकार ने प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले यह कदम उठाया है.

साल 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार द्वारा एमएसपी में की गई यह सबसे बड़ी वृद्धि है.

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में गेहूं का एमएसपी बढ़ाने का फैसला किया गया.

विपणन सत्र 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,125 रुपये प्रति क्विंटल है.

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने सीसीईए की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि मंत्रिमंडल ने 2024-25 सत्र के लिए रबी की सभी फसलों का एमएसपी बढ़ाने की मंजूरी दे दी है.

उन्होंने आगे कहा कि “रबी की 6 फसलों के MSP को निर्धारित करने का निर्णय किया गया है. तिलहन और सरसों में MSP में 200 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है. गेहूं के लिए 150 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है. चने के लिए 105 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ोतरी की गई है.”

उन्होंने कहा, “कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिश के आधार पर हमने छह रबी फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है. गेहूं का एमएसपी 150 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है.”

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “गेहूं का समर्थन मूल्य 2024-25 विपणन सत्र के लिए 2,275 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो 2023-24 में 2,125 रुपये प्रति क्विंटल था.”

गेहूं रबी (सर्दियों) की मुख्य फसल है, जिसकी बुवाई अक्टूबर में शुरू होती है, जबकि कटाई अप्रैल में होती है.

एमएसपी किसानों के हितों की रक्षा के लिए सुनिश्चित की गई न्यूनतम दर है, जिससे नीचे सरकारी खरीद एजेंसियों द्वारा अनाज नहीं खरीदा जाता है.


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