नई दिल्ली: मशहूर लेखिका गीता मेहता ने पद्म श्री सम्मान लेने से इंकार कर दिया है. गीता मेहता ने पद्म पुरस्कार दिए जाने की टाइमिंग पर सवाल खड़ा करते हुए इसे लेने से मना कर दिया है. उन्हें साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने के लिए पद्मश्री सम्मान दिए जाने की घोषणा की गई है. गीता मेहता ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बड़ी बहन और जाने माने प्रकाशक सोनी मेहता की पत्नी हैं.
गीता मेहता ने शनिवार को न्यूयार्क से जारी एक बयान में कहा, ‘मैं सम्मानित महसूस कर रही हूं कि भारत सरकार ने मुझे पद्म श्री जैसे सम्मान के लायक समझा. लेकिन मुझे बड़े ख़ेद के साथ कहना पड़ रहा है कि मैं इस समय यह सम्मान स्वीकार नहीं कर सकती. देश में लोकसभा चुनाव नज़दीक आ रहे हैं. इस वक़्त मेरे द्वारा यह सम्मान लेने से मुझे और सरकार दोनों को असहज स्थिति का सामना करना पड़ सकता है.’
Gita Mehta, writer&sister of Odisha CM:Deeply honoured that Govt should think me worthy of a Padma Shri but with great regret I decline it as there is a general election looming and timing might be misconstrued, causing embarrassment both to Govt and me,which I would much regret. pic.twitter.com/TiFD0wVPSG
— ANI (@ANI) January 26, 2019
नागरिकता पर भी उठ रहे हैं सवाल
फिलहाल न्यूयार्क में समय बिता रहीं गीता मेहता की भारतीय नागरिकता पर भी विवाद की छाया दिख रही है. शुक्रवार को जब इस सम्मान के लिए गीता मेहता के नाम की घोषणा हुई तो कुछ लोगों ने उन्हें ‘विदेशी नागरिक’ बताया था. हालांकि, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के दफ़्तर से जुड़े सूत्रों की मानें तो गीता भारतीय नागरिक हैं. वहीं नवीन पटनायक ने बहन के पद्म पुरस्कार ठुकराए जाने पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया है.
साहित्य और शिक्षा में योगदान
लेखिका गीता मेहता ने ‘कर्म कोला’ (1979), ‘राज’ (1989), ‘द रिवर सूत्र’ (1993), ‘स्नेक्स एंड लैडर्स: ग्लिम्प्सेस ऑफ मॉडर्न इंडिया’, ‘लंदन एंड वारबर्ग’ (1997) और ‘इटरनल गणेश: फ्रॉम बर्थ टू रिबर्थ’ (2006) जैसी किताबें लिखीं हैं. इसके अलावा उन्होंने करीब 14 डॉक्युमेंट्री भी बनाई है. गीता मेहता लेखिका के अलावा एक पत्रकार भी रह चुकी हैं. उन्होंने अमेरिकी चैनल ‘एनबीसी’ के लिए युद्ध से प्रभावित इलाकों में रिपोर्टिंग भी की है.