नई दिल्ली: गायक और कांग्रेस नेता सिद्धू मूसेवाला की हत्या का कथित आरोपी कनाडा में बैठा मास्टरमाइंड गैंगस्टर गोल्डी बराड़ ने अब डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी प्रदीप सिंह की हत्या की जिम्मेदारी ली है. प्रदीप सिंह बरगाड़ी बेअदबी मामले का आरोपी था.
प्रदीप सिंह की गुरुवार सुबह पंजाब के फरीदकोट में दुकान जाने के वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. छह अज्ञात हमलावरों ने सिंह पर गोलियां बरसाई जिसके कारण उनकी मौत हो गई. इस हमले में उनके बॉडीगार्ड समेत दो अन्य लोग भी घायल हो गए. घायलों को फरीदकोट के गुरु गोविंद सिंह मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
दिप्रिंट से बात करते हुए फरीदकोट के महानिरीक्षक पी. के. यादव ने कहा कि, ‘हमारे पास अहम सुराग हैं और हमारी टीमें उन पर काम कर रही हैं. हम अभी मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं.’
पंजाब के पुलिस महानिदेशक गौरव यादव ने लोगों से शांत रहने की अपील की. उन्होंने ट्वीट किया, ‘पंजाब पुलिस जांच कर रही है. नागरिकों से अनुरोध है कि वे घबराएं नहीं. कृपया फर्जी खबर और अभद्र भाषा न फैलाएं.’
यादव ने कहा, ‘जांच अभी शुरुआती चरण में है. हम सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावों से अवगत हैं और सभी विवरणों की पुष्टि कर रहे हैं.’
एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम से बराड़ ने बरगाड़ी बेअदबी के आरोपी प्रदीप सिंह की हत्या की जिम्मेदारी ली है. उन्होंने अपने पोस्ट में कथित तौर पर कहा कि, ‘पिछले सात वर्षों में तीन सरकार बदली है लेकिन वे बेअदबी की घटनाओं को न्याय नहीं दे पाई है.’
बरगाड़ी बेअदबी केस
1 जून 2015 को फरीदकोट के कोटकपूरा निर्वाचन क्षेत्र के गुरुद्वारा बुर्ज जवाहर सिंह वाला से सिख धर्म के पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब की कथित तौर पर चोरी हो गई थी.
24 सितंबर को बरगारी और जवाहर सिंह वाला गांव की दीवारों पर अपमानजनक भाषा में हाथों से लिखे गए पोस्टर लगाए गए थे और 12 अक्टूबर को बरगारी में पवित्र ग्रंथ के पन्ने फटे मिले थे. इस घटना के बाद कोहराम मच गया था.
तत्कालीन शिरोमणि अकाली दल सरकार ने केंद्र की भाजपा सरकार से इस घटना की सीबीआई जांच की मांग की थी. 2018 में पंजाब के तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने यह मामला विशेष जांच दल को सौंपा. उसके बाद विशेष जांच दल ने छह डेरा अनुयायियों को गिरफ्तार किया था जिसे बाद में जमानत मिल गई थी, प्रदीप सिंह उन छ: लोगों में शामिल थे.
बेअदबी के मामले 2015 में सिख धर्म की पवित्र पुस्तक के साथ हुईं कई घटनाओं और उसके बाद हुए विरोध प्रदर्शन का उल्लेख करते हैं.
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