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Friday, 22 November, 2024
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ट्रांस एंटरप्रेन्योर्स से ‘रुरल सेक्रेटिएट’ तक, कैसे ‘गुड गवर्नेंस’ से DM खुश कर रहे PM Modi को

प्रशासन गांव की ओर अभियान 19 और 25 दिसंबर के बीच सुशासन सप्ताह के हिस्से के रूप में शुरू किया गया था.

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नई दिल्ली: तटीय कर्नाटक के उडुपी शहर के निवासी, संजीव जो कि एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति है और राज्य की राजधानी बेंगलुरु से लगभग 400 किलोमीटर दूर रहते हैं, उन्होंने फास्ट फूड सेंटर, आसरे (आश्रय) स्थापित करने के लिए पिछले साल कर्ज लिया था. कुछ महीनों के भीतर, संजीव न केवल एक सफल उद्यमी बनने में कामयाब हुए हैं, बल्कि व्यवसाय स्थापित करने के मकसद से लिए गए कर्ज को भी चुका दिया. दो और ट्रांसजेंडरों को यहां रोज़गार का अवसर मिला है.

संजीव की उपलब्धि उडुपी कलेक्टर कुर्मा राव की ट्रांसजेंडरों के लिए उद्यमिता योजना, उद्योगिनी द्वारा संभव हुई, जिसके तहत जिला प्रशासन ट्रांसजेंडरों को अपना व्यवसाय स्थापित करने में मदद करने के लिए रियायती ब्याज दरों पर कर्ज प्रदान करता है.

मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई ‘सुशासन’ पहल के हिस्से के रूप में केंद्र सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) को जिला प्रशासन द्वारा प्रस्तुत परियोजनाओं में संजीव का केस स्टडी और उद्योगिनी योजना शामिल थी.

डीएआरपीजी के सचिव वी. श्रीनिवास ने दिप्रिंट को बताया, ‘प्रशासन गांव की ओर अभियान सुशासन सप्ताह या (जीजीडब्ल्यू) के हिस्से के रूप में चलाया गया था.’

नौकरशाही से जुड़े सूत्रों ने कहा कि यह पहल भारत की आज़ादी के 75 साल पूरे होने के जश्न और दिसंबर में जी20 की अध्यक्षता के तौर पर है, जिसमें मोदी सरकार समावेशिता की एक अंतरराष्ट्रीय छवि बनाने के लिए काम कर रही है.

कर्नाटक की उद्योगिनी परियोजना के अलावा, अरुणाचल के चांगलांग जिले में टैबलेट के साथ स्मार्ट पुस्तकालयों की जानकारी, असम के कोकराझार में मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए एक परियोजना, छत्तीसगढ़ के बस्तर में एक ग्रामीण सचिवालय ऐप की शुरुआत, जम्मू में शुरू की गई विभिन्न सरकारी योजनाएं और कश्मीर के शोपियां में 5,000 रोज़गार के अवसर सृजित करने वाले, उन लोगों में शामिल थे, जिनका विवरण और उपलब्धियों को सुशासन सप्ताह के दौरान सरकार के साथ साझा किया गया था.

यह सभी प्रोजेक्ट पिछले साल लॉन्च किए गए थे. कोकराझार में बोडोलैंड आंदोलन के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा हुई. बस्तर ने वर्षों से माओवादी संकट का सामना किया. शोपियां कश्मीर में उग्रवाद के गढ़ों में से एक रहा है.

दिप्रिंट उन कुछ इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स पर नज़र डाल रहा है, जिन्हें जिलों द्वारा डीएआरपीजी के साथ साझा किया गया था, या जो संघर्ष-प्रभावित या दूरदराज के जिलों में शुरू किए गए थे.

श्रीनिवास ने कहा, ‘अभियान (प्रशासन गांव की ओर) तहसील स्तर पर आयोजित किया गया था, जिसमें जन शिकायत निवारण और सेवा वितरण में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया गया. इस अभियान के तहत, 53.4 लाख जन शिकायतों का निवारण किया गया, 314.8 लाख सेवा वितरण आवेदनों का निपटान किया गया, जिला-स्तरीय इनोवेशन पर 700 कार्यशालाएं आयोजित की गईं और 982 सर्वोत्तम प्रथाओं (जीजीडब्ल्यू के दौरान) का दस्तावेज़ीकरण किया गया.’

विभाग के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने कहा कि डीएआरपीजी ने सभी राज्यों को इन परियोजनाओं पर काम शुरू करने का निर्देश दिया है, जो लोगों के अनुकूल हैं और समावेशिता (इंक्ल्यूसिविटी) को परिभाषित करती हैं.


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जनता को सशक्त बनाना

डीएआरपीजी से जुड़े सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि पूरे भारत के 768 जिलों में से 741 ने सुशासन सप्ताह पहल में हिस्सा लिया.

उक्त आईएस अधिकारी ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल के अलावा, अन्य सभी राज्यों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया है. हमने जिला प्रशासन द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं के सांख्यिकीय डेटा, चित्र और जानकारी अपलोड करने के लिए कलेक्टरों के लिए एक विशेष डिजिटल पोर्टल तैयार किया है.’

यहीं पर उद्योगिनी सहित अन्य परियोजनाओं का विवरण संबंधित जिलों द्वारा साझा किया गया. दिप्रिंट के पास यह सभी जानकारियां मौजूद हैं.

खबरों के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शासित कर्नाटक में ट्रांसजेंडर समुदाय की नकारात्मक छवि से लड़ने के लिए पिछले साल उद्योगिनी परियोजना शुरू की गई थी.

कुमार ने कहा, ‘ट्रांसजेंडरों के खिलाफ भेदभाव प्रतिबंधित होना चाहिए. उन्हें (ट्रांसजेंडर) स्व-रोजगार लेने और उद्यमशीलता के गुण विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.’

जिला प्रशासन द्वारा डीएआरपीजी को दी गई जानकारी के अनुसार, लाभार्थियों को 1,50,000 रुपये का बैंक कर्ज दिया जाता है, जिसमें 45,000 रुपये की सब्सीडी के साथ-साथ 20,000 रुपये का प्रोत्साहन भी दिया जाता है.

उडुपी के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर कुर्मा राव ने दिप्रिंट को बताया, ‘ट्रांसजेंडरों का यहां एक बड़ा समुदाय है और हम उनके लिए एक स्थायी योजना की तलाश करने में जुटे हुए हैं. हमने समुदाय के नेताओं और सदस्यों के साथ बैठकें कीं. उनकी ओर से आर्थिक सहायता प्रदान करने के सुझाव आए. इसके बाद हमने सुझाव को आगे बढ़ाया और सरकार ने मंजूरी दे दी.’

जीजीडब्ल्यू के हिस्से के रूप में साझा कुछ जानकारी दूरस्थ या संकटग्रस्त जिलों से मिली है.

DARPG को सौंपी गई जानकारी के अनुसार, ‘अरुणाचल के दूरस्थ चांगलांग जिले में, म्यांमार के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास स्थित, डिप्टी कमिश्नर ने ई-लर्निंग सेंटर या स्मार्ट लाइब्रेरी स्थापित की है, जो निर्बाध बिजली आपूर्ति, स्मार्ट टैबलेट, पूरे दिन वाई-फाई और एडटेक प्लेटफॉर्म BYJU’s की मुफ्त सदस्यता से लैस है.’

जानकारी के अनुसार, ‘छत्तीसगढ़ में माओवाद प्रभावित बस्तर, में जिला प्रशासन ने एक मोबाइल एप्लिकेशन, ग्रामीण सचिवालय ऐप का विवरण साझा किया, जो स्थानीय लोगों को किसी भी सरकारी योजना का लाभ उठाने या किसी सरकारी कार्यक्रम का लाभार्थी बनने में सक्षम बनाता है. ऐप प्रशासन की शिकायत प्राप्त करने और निवारण तंत्र को फास्ट-ट्रैक करने में भी मदद करता है.’

बस्तर के जिला कलेक्टर चंदन कुमार ने दावा किया कि प्रशासन ने पहले ही ऐप पर 14,056 शिकायतें दर्ज की हैं, जिनमें से 11,065 का समाधान किया गया और 2,291 पर कार्रवाई की जा रही है.

कुमार ने कहा, ‘एप्लिकेशन ग्रामीणों के लिए एक सार्वजनिक इंटरफेस की तरह काम करता है.’

उन्होंने कहा, ‘आवेदन के लिए ऑडिट जारी हैं. यह एप्लिकेशन हमारे जिले के केंद्रीय डेटाबेस से जुड़ा है और हमारे पास पंचायत स्तर से लेकर ब्लॉक तक सभी अधिकारी और जिला स्तर तक के अधिकारी जुड़े हुए हैं. लोग यहां ग्रामीण ज़मीन के मसलों, योजना से संबंधित प्रश्नों और पेंशन और अन्य सभी प्रशासनिक सेवाओं के बारे में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.’

कुमार ने कहा कि बस्तर में बड़ी जनजातीय आबादी है और प्रशासन ‘इसके माध्यम से आदिवासी आबादी के साथ हमारे संबंध को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है. जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं.’

इस बीच, जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद प्रभावित शोपियां में, जिला प्रशासन ने एक रोजगार सृजन कार्यक्रम, दस्तक-ए-शोपियां शुरू किया.

शोपियां के जिला कलेक्टर ने कहा, ‘इस पहल से व्यावसायिक उपक्रमों में 1.360 प्रतिशत की वृद्धि हुई और नौकरी के आवेदनों में चार गुना वृद्धि हुई. 30 सितंबर तक कुल 1,700 आवेदनों को मंजूरी दी गई थी, जिसमें पिछले साल 360 प्रतिशत मामलों को मंजूरी दी गई थी. इस पहल के परिणामस्वरूप 5,400 से अधिक लोगों को रोजगार मिला है.’

श्रीनिवास ने जिलों द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि 200 से अधिक जिला कलेक्टरों ने मोदी सरकार के विजन इंडिया@2047 दस्तावेज़ भी तैयार किए हैं.

उन्होंने कहा, ‘288 जिलों में जिला कलेक्टरों द्वारा विजन इंडिया@2047 दस्तावेज़ तैयार किए थे. सुशासन सप्ताह 2022 अभियान एक समर्पित डिजिटल पोर्टल पर लागू किया गया था और इसका उद्देश्य प्रौद्योगिकी का उपयोग करके नागरिकों और सरकार को करीब लाना था. जीजीडब्ल्यू 2022 की उपलब्धियों का एक संग्रह प्रसार के लिए तैयार किया जा रहा है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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