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Friday, 18 October, 2024
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‘संविधान सभा की बैठक से लेकर 75 सालों के इतिहास तक’, पुराने संसद में अंतिम बैठक में इसे कैसे याद किया गया

विशेष सत्र के दूसरे दिन प्रधानमंत्री सहित सभी सांसद पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में अंतिम बार बैठे. इस दौरान वक्ताओं ने संसद भवन और खासकर सेंट्रल हॉल के इतिहास पर प्रकाश डाला.

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नई दिल्ली: संसद के विशेष सत्र का आज दूसरा दिन है. आज अंतिम बार सभी सांसद पुराने संसद भवन में बैठे. नए संसद भवन में जाने से पहले आज सभी सांसद पुराने संसद भवन के सेंट्रल भवन में इकट्ठा हुए. सभा शुरू होने से पहले फोटो सेशन हुआ जिसमें सभी सांसदों ने फोटो खिंचवाई. इसके बाद राष्ट्रगान हुआ और फिर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने अपना भाषण दिया. अपने भाषण में प्रह्लाद जोशी ने पुराने संसद भवन के इतिहास और इसकी महत्वत्ता पर प्रकाश डाली. उन्होंने कहा, “हम सब जानते हैं कि इस संसद भवन का एक गौरवशाली इतिहास रहा है. यह सेंट्रल हॉल भारत में सत्ता के हस्तांतरण का गवाह रहा है. मैं नए भवन में काम-काज के लिए काफी उत्साहित हूं. संसद का नया भवन उभरते भारत का प्रतीक है. यह एक विकसित राष्ट्र का मार्ग प्रशस्त करेगा.”

मेनका बोलीं- नई इमारत भारत की आकांक्षाओं को पूरा करा करेगा

संसद के विशेष सत्र के दौरान अपने भाषण में बीजेपी सांसद मेनका गांधी ने आज के दिन को ऐतिहासिक बताया. उन्होंने कहा, “मुझे गर्व है कि आज मुझे इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बनने का मौका मिला. हम नई इमारत में जा रहे हैं और मुझे पूरी उम्मीद है कि यह नई इमारत भारत की आकांक्षाओं को पूरा करा करेगा. आज मुझे लोकसभा में सबसे वरिष्ठ सांसद के रूप में इस सम्मानित सभा को संबोधित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. मैंने अपना अधिकांश जीवन इस संस्थान में बिताया है और मैंने 7 प्रधानमंत्रियों और एक भव्य इतिहास को आकार लेते हुए देखा है. मैंने 32 साल की उम्र में संसद में कदम रखा था, मेरे पति की मौत के 9 साल के बाद. मैं पर्यावरण मंत्री बनी. मैंने स्वतंत्र सदस्य के रूप में कई कार्यकाल पूरे किए और अंततः अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी में शामिल हुई.”

बता दें कि मेनका गांधी को संसद के वरिष्ठतम सदस्य के रूप में आमंत्रित किया गया था.

वहीं विपक्षी नेता के रूप में बोले के लिए आमंत्रित कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इस अवसर पर बोलने के लिए मैं गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं. उन्होंने कहा, “आज मैं बिना किसी मलाल के और बिना कुछ कहे, मैं कहना चाहूंगा कि मैं इस मंच पर खड़ा होकर मैं उत्साहित महसूस कर रहा हूं, जिसने दिग्गजों की आकाशगंगा के बीच ऐतिहासिक घटनाओं और कई महत्वपूर्ण घटनाओं का कारवां देखा है.”

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “हम आज यहां एक साथ ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में भारत की संसद की समृद्ध विरासत का जश्न मनाने के लिए आए हैं. इसी सेंट्रल हॉल में संविधान सभा की बैठक 1946 से 1949 तक हुई थी. आज हम विनम्रतापूर्वक डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और बीआर अंबेडकर के योगदान को याद कर रहे हैं.”

गुलामी की जंजीरों ने आकांक्षाओं को दबोच कर रखा था: PM

वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत देशवासियों को गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं देते हुए की. उन्होंने अपने भाषण के शुरुआत में कहा, “आज नए संसद भवन में हम सब मिलकर भारत के नए भविष्य का श्री गणेश करने जा रहे हैं. आज हम यहां विकसित भारत का संकल्प दोहराते हुए उसे पूरा करने के लिए नए भवन की तरफ प्रस्थान कर रहे हैं.”

पीएम ने अपने संबोधन में कहा, “हम भाग्यवान लोग हैं कि हम इस कालखंड में जी रहे हैं. हमें कुछ दायित्व निभाने का अवसर मिला है. आज हमारी आकांक्षाएं जिन ऊंचाईयों पर है वह शायद हजार साल पहले भी नहीं होगा. गुलामी की जंजीरों ने आकांक्षाओं को दबा कर रखा था. आज भारत एक नए लक्ष्य को गढ़ना चाहता है.”

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “मैं दोनों सदनों के स्पीकर महोदय से प्रार्थना करता हूं कि आप लोग इस विचार पर निर्णय ले कि पूराने संसद भवन की गरिमा कम नहीं होनी चाहिए. इसे सिर्फ पुराने संसद भवन कहकर नहीं छोड़ा जाना चाहिए. मेरी प्रार्थना है कि भविष्य में इस भवन को संविधान सदन के रूप में जाना जाए.”


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