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Sunday, 2 March, 2025
होमदेशस्वतंत्र आवाजाही से लेकर बॉर्डर पर बाड़ लगाने तक — मणिपुर पर अमित शाह की समीक्षा बैठक की मुख्य बातें

स्वतंत्र आवाजाही से लेकर बॉर्डर पर बाड़ लगाने तक — मणिपुर पर अमित शाह की समीक्षा बैठक की मुख्य बातें

राज्यपाल भल्ला के आह्वान पर हथियार समर्पण भी जोरों पर है. आरामबाई टेंगोल ने इंफाल पश्चिम में 246 हथियार समर्पण किए हैं.

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नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने जातीय संघर्ष से प्रभावित राज्य में सुरक्षा स्थिति पर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करने के बाद 8 मार्च से मणिपुर की सड़कों पर लोगों की स्वतंत्र आवाजाही के लिए शनिवार को निर्देश जारी किए.

गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि उनकी आवाजाही में बाधा डालने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.

बैठक के अन्य प्रमुख निष्कर्षों में मणिपुर की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर बाड़ लगाने का काम तेज़ी से पूरा करना और नशीली दवाओं के व्यापार पर कड़ी कार्रवाई करना शामिल है.

मई 2023 में पूर्वोत्तर राज्य में पहली बार जातीय हिंसा भड़कने के बाद से ही मणिपुर गहराई से विभाजित रहा है, जिसमें कुकी पहाड़ियों में और मैतेई घाटी में केंद्रित हैं. घाटी, जहां हवाई अड्डा, प्रमुख अस्पताल, स्कूल और कॉलेज स्थित हैं, कुकी के लिए पूरी तरह से दुर्गम है और मैतेई पहाड़ियों की यात्रा नहीं कर पा रहे हैं. जातीय हिंसा ने अब तक कम से कम 250 लोगों की जान ले ली है और 50,000 से अधिक लोगों ने पलायन किया है.

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफा के बाद से 9 फरवरी से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है. बीरेन सिंह के विरोधी भाजपा विधायकों के एक वर्ग की धमकी के कारण ही पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने उनके इस्तीफे की मांग की, हालांकि, कार्यवाहक मुख्यमंत्री ने दिप्रिंट को दिए इंटरव्यू में जोर देकर कहा कि मणिपुर भाजपा के भीतर कोई गुटबाजी नहीं है.

गृह मंत्रालय (एमएचए) के बयान में आगे कहा गया है, “गृह मंत्री ने निर्देश दिया कि मणिपुर की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर निर्धारित प्रवेश बिंदुओं के दोनों ओर बाड़ लगाने का काम जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मणिपुर को नशा मुक्त बनाने के लिए, नशीली दवाओं के व्यापार में शामिल पूरे नेटवर्क को खत्म किया जाना चाहिए.”

बैठक में मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला, केंद्रीय गृह सचिव, खुफिया ब्यूरो के निदेशक, सेना के उप प्रमुख, सेना की पूर्वी कमान के प्रमुख, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और असम राइफल्स के महानिदेशक, मणिपुर के सुरक्षा सलाहकार और गृह मंत्रालय और मणिपुर प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए.

सीमा पर बाड़ लगाना

सुरक्षा एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि लोगों को चेतावनी दी जा रही है कि जो लोग समूह बनाकर दूसरों की आवाजाही में बाधा डालते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं, जो कि राज्य में एक आम बात हो गई है.

एक सूत्र ने कहा, “हालांकि, सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है और स्थानीय लोगों द्वारा स्थापित अनधिकृत चौकियों को — जो कभी आम बात हुआ करती थीं — अब अनुमति नहीं दी जाती है, लेकिन दोनों तरफ (पहाड़ियों और घाटी) के लोगों को आवाजाही में बाधा डालने से बचने के लिए सख्त निर्देश जारी किए गए हैं. इसका पालन न करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.”

सूत्र ने आगे कहा, “इस उपाय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कुकी सुरक्षित रूप से घाटी की यात्रा कर सकें, हवाई अड्डे तक पहुंच सकें और अन्य आवश्यक क्षेत्रों तक पहुंच सकें, जबकि मैतेई पहाड़ियों पर स्वतंत्र रूप से जा सकें. अगर लोग इसका पालन नहीं करते हैं, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी.”

केंद्र सरकार के सूत्रों के अनुसार, मणिपुर में पड़ने वाली भारत-म्यांमार सीमा के 300 किलोमीटर से अधिक हिस्से पर बाड़ लगाने का काम चल रहा है. भारत और म्यांमार के बीच सीमा एक तरह से खुली ही है और यह चार राज्यों नागालैंड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम से होकर 1,643 किलोमीटर तक फैली हुई है. कुछ किलोमीटर को छोड़कर, यह पूरी तरह से बिना बाड़ के है.

सूत्र ने कहा, “गृह मंत्री ने कहा है कि मणिपुर की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर निर्धारित प्रवेश बिंदुओं के दोनों ओर बाड़ लगाने का काम जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए. काम युद्ध स्तर पर शुरू होगा.”

केंद्र ने “अवैध प्रवासियों को रोकने” के लिए भारत-म्यांमार सीमा पर मुक्त आवागमन व्यवस्था (एफएमआर) को निलंबित करने का भी आह्वान किया है.

एफएमआर सीमा के दोनों ओर रहने वाली जनजातियों को बिना वीज़ा के पड़ोसी देश के अंदर 16 किलोमीटर तक यात्रा करने की अनुमति देता है.

मणिपुर में जातीय संघर्षों के बीच, एफएमआर विवाद का विषय बन गया है क्योंकि स्थानीय निवासियों की शिकायत है कि इसका अक्सर दुरुपयोग किया जाता है और यह “अवैध इमिग्रेशन, नशीली दवाओं और हथियारों की तस्करी” को बढ़ावा देता है.

सामूहिक हथियार समर्पण

उक्त सूत्र ने यह भी कहा कि पिछले कुछ दिनों में कई लोग हथियार समर्पण करने के लिए आगे आए हैं.

यह राज्यपाल भल्ला द्वारा जनता से सात दिनों में लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियार और गोला-बारूद स्वेच्छा से समर्पण करने के आह्वान के बाद आया है. राष्ट्रपति शासन लागू होने के एक हफ्ते बाद उन्होंने जो समय-सीमा तय की थी, उसे सात दिनों के लिए और बढ़ा दिया गया है.

गुरुवार को, जो कि प्रारंभिक समय-सीमा का आखिरी दिन था, कट्टरपंथी सशस्त्र समूह अरम्बाई टेंगोल ने इंफाल पश्चिम में 246 हथियार समर्पण किए.

सुरक्षा एजेंसी के सूत्र ने कहा, “यह समूह द्वारा हथियारों का सामूहिक समर्पण था. अब हम दूसरों द्वारा भी ऐसा ही किए जाने का इंतज़ार कर रहे हैं. समय-सीमा समाप्त होने के बाद, लूटे गए हथियारों को बरामद करने के लिए छापेमारी शुरू होगी.”

पिछले दो सालों में पुलिस शस्त्रागारों और स्टेशनों से 5,682 से ज़्यादा हथियार लूटे गए हैं, जिनमें 200 से ज़्यादा AK-47, 406 कार्बाइन, 551 INSAS राइफल और 250 मशीन गन के अलावा 6.5 लाख से ज़्यादा राउंड गोला-बारूद शामिल हैं, खास तौर पर मैतेई बहुल इंफाल घाटी में. कोई खास बरामदगी नहीं हुई है, जिससे स्थानीय निवासियों के पास काफी मात्रा में हथियार रह गए हैं, जिससे मई 2023 से हिंसा का चक्र और भी तेज़ हो गया था.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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