नई दिल्ली: इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नांबी नारायणन को आखिरकार न्याय मिल गया है. केरल राज्य कैबिनेट ने उन्हें 1.3 करोड़ रुपये के मुआवजे मंजूरी दे दी है. जासूसी का आरोप झेल रहे नांबी को इसी साल पद्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.
1994 में नांबी नारायणन पर पीएसएलवी, भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान के विकास और क्रायोजेनिक इंजन बनाने के शुरुआती चरण में दो कथित मालदीवियन खुफिया अधिकारियों को महत्वपूर्ण रक्षा से जुड़े गोपनीय दस्तावेजों को लीक करने का आरोप लगाया गया था.
जिस समय नारायणन पर आरोप लगाया गया वह इसरो में क्रायोजेनिक परियोजना के निदेशक थे उन्हें दस्ताजेवों के लीक किए जाने के आरोप में उपनिदेशक डी शशिकुमारन और रूस की अंतरिक्ष एजेंसी के भारतीय प्रतिनिधि के चंद्रशेखर के साथ गिरफ्तार किया गया था.
इस आरोप के तहत नारायणन को 50 दिनों तक हिरासत में भी रखा गया था और उनपर कई तरह की यातनाएं की गई थीं. एक इंटरव्यू में नारायणन ने बताया था कि इस दौरान उन्हें गलत बयान देने के लिए भी मजबूर किया गया था. इसरो जासूसी मामले में जांच के बाद उन्हें लगभग दो महीने जेल में बिताने पड़े जबकि उनके खिलाफ लगे आरोप झूठे थे .
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इसरो के पूर्व वैज्ञानिक को ‘बेवजह परेशान, प्रताड़ित और मानसिक क्रूरता के अधीन’ गिरफ्तार किया गया.
नारायणन ने 70 के दशक की शुरुआत में भारत में तरल ईंधन रॉकेट तकनीक की शुरुआत की थी, इस दौरान भारत विज्ञान के दौर की नई सीढ़ियां चढ़ रहा था और विकास इंजन को विकसित करने में ठोस मोटर्स और इंस्ट्रूमेंटल पर काम कर रहा था, नांबी के तरल ईंधन रॉकेट तकनीक का उपयोग बाद में भारत ने अपने पहले पीएसएलवी लॉन्च के लिए किया था.