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Wednesday, 8 May, 2024
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फॉरेंसिक भाषा विज्ञान, आवाज़ का विश्लेषण- इज़रायली दूतावास के पास हुए धमाके की कैसे हो रही है जांच

जांच आगे बढ़ने पर पता चला, कि वो टेलीग्राम पोस्ट अफगानिस्तान में हिरात से डाली गई थी और सोशल मीडिया पर उसे ‘पाकिस्तान स्थित हैंडल्स’ और टर्की की कुछ इकाइयों की ओर से प्रचारित किया गया था.

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नई दिल्ली: नई दिल्ली में इज़राइली दूतावास के बाहर हुए धमाके की जगह से जो पत्र बरामद हुआ था, जिसमें धमाके को एक ट्रेलर बताया गया था, उसके लगभग एक महीने बाद, मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को पता चला है कि वो पत्र ‘किसी भारतीय का लिखा हुआ नहीं था’.

एजेंसी के सूत्रों के अनुसार, ‘पत्र की भाषा की फॉरेंसिक जांच कराई गई, और एक्सपर्ट्स का मानना है, कि लिखने वाले का ताल्लुक़ अफगानिस्तान या टर्की में किसी जगह से था.’

पत्र रखने वाले के मूल का पता लगाने के लिए,फॉरेंसिक भाषा विज्ञान में अन्य बातों के अलावा, लिखित दस्तावेज़ की बोली, व्याकरण, वाक्य अभिरचना, और भाषा के अन्य क्षेत्रों का अध्ययन किया जाता है.

सूत्रों ने कहा, कि हालांकि ऐसे मामलों में इस विश्लेषण से, कोई विशिष्ट या निश्चित सुराग़ नहीं मिलते, लेकिन इससे जांच को एक रास्ता मिल जाता है.

एनआईए एक अंजान संगठन, जैश-उल-हिंद की सहभागिता की भी जांच कर रही है, जिसने धमाके के फौरन बाद ही उसकी ज़िम्मेदारी ली थी. जैश-उल-हिंद की उत्पत्ति के बारे में, अभी कुछ ज़्यादा मालूम नहीं है, और भी नहीं पता कि ये किस देश में स्थित है.

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29 जनवरी को नई दिल्ली में औरंगज़ेब मार्ग पर, इज़राइली दूतावास के बाहर एक कम तीव्रता के विस्फोट की ख़बर मिली थी, जो उस जगह से डेढ़ किलोमीटर से भी कम दूरी पर है, जहां बीटिंग रिट्रीट समारोह आयोजित हुआ था.

धमाके से दूतावास के आसपास खड़ी कुछ गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गईं, लेकिन विस्फोट में कोई घायल नहीं हुआ.

उस जगह से एक लिफाफा बरामद हुआ, जो इज़राइली राजदूत को संबोधित था, और जिसमें ईरान के जनरल क़ासिम सुलेमानी, और परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फ़खरीज़ादे का ‘शहीद’ के तौर पर ज़िक्र किया गया है. दोनों ईरानी पिछले साल दो अलग अलग घटनाओं में मारे गए थे.


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संदिग्धों की आवाज़ का विश्लेषण

एजेंसी ने 30 से अधिक संदिग्धों की जांच कर रही है, जिनमें कुछ विदेशी नागरिक भी हैं, जो धमाके के दिन और उससे एक हफ्ता पहले तक, दूतावास के इलाक़े के पास घूमते दिखाई दिए थे. एनआईए सूत्रों ने कहा कि संदिग्धों की आवाज़ का, लेयर्ड विश्लेषण (एलवीए) भी किया जा रहा है.

एलवीए में आवाज़ के नमूनों से, अलग अलग तरह के तनाव, संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं, और भावनात्मक प्रतिक्रियाओं की पहचान की जाती है.

कोई व्यक्ति बेचैन है, आत्म विश्वासी है, दवाब में है, भावुक है, डरा हुआ है- ये सब आवाज़ के नमूनों से पता चल सकता है. अपराध के बहुत से मामलों की जांच-पड़ताल में, इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, और इसके लिए कोर्ट की अनुमति, या व्यक्ति की सहमति की ज़रूरत नहीं होती, जैसे कि लाइ-डिटेक्टर या पॉलीग्राफ जांच में होती है.

एक सूत्र ने बताया, ‘फॉरेंसिक लिंग्विस्टिक्स कर ली गई है, और ये पता चला है कि पत्र की भाषा और लिखाई, किसी भारतीय की नहीं है. विशेषज्ञों को शक है कि वो दो क्षेत्रों से हो सकता है- अफगानिस्तान या टर्की. इसके अलावा, हम आवाज़ का परतदार विश्लेषण कर रहे हैं, ताकि संदिग्धों को और सीमित किया जा सके’.

सूत्र ने आगे कहा, ‘ये संदिग्ध वो हैं जिनकी दूतावास के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों से शिनाख़्त की गई है. हमने धमाके से एक हफ्ता पहले की फुटेज भी देखी है. हम उन लीड्स पर भी काम कर रहे हैं’.

जांच एजेंसी इस मामले में, इज़राइल तथा एक अन्य देश की भी सहायता ले रही है, जिसका नाम बताने से एनआईए ने इनकार कर दिया, ताकि इस केस में कामयाबी हासिल की जा सके.

सूत्र ने कहा, ‘हमने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विशेषज्ञों से मदद मांगी है’.


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जैश-उल-हिंद, पाकिस्तान कनेक्शन, टेलीग्राम पोस्ट

धमाके के फौरन बाद जैश-उल-हिंद ने, उसकी ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ली थी.

सोशल मीडिया पर एक स्क्रीनशॉट भी वायरल हुआ, जिसकी मैसेजिंग सेवा टेलीग्राम से होने का दावा किया जा रहा था.

हालांकि शुरू में एजेंसियों को लगा, कि ये ‘जांच को गुमराह’ करने की एक  कोशिश थी, लेकिन जांच आगे बढ़ने पर पता चला, कि वो टेलीग्राम पोस्ट अफगानिस्तान में हिरात से डाली गई थी, और सोशल मीडिया पर उसे ‘पाकिस्तान स्थित हैंडल्स’ और टर्की की, कुछ इकाइयों की ओर से प्रचारित किया गया था.

हिरात अफगानिस्तान का तीसरा सबसे बड़ा शहर है, और उसके पश्चिमी हिस्से में स्थित है.

सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने यूके स्थित टेलीग्राम को लिखकर, कथित पोस्ट के बारे में और जानकारी मुहैया कराने को कहा है.

सूत्र ने आगे कहा, ‘इस पोस्ट का आरंभ हालांकि अफगानिस्तान से हुआ है, लेकिन जिस नंबर से डेटा को संचालित किया गया, वो पाकिस्तान का है. जैश-उल-हिंद कनेक्शन की पूरी तरह अवहेलना, या अनदेखी नहीं की जा सकती. हम आगे जांच कर रहे हैं. तफ़तीश चल रही है’.

वायरल स्क्रीनशॉट में, जैश-उल-हिंद ने दावा किया था, ‘अल्लाह की इनायत और मदद से, जैश-उल-हिंद के सिपाही दिल्ली के एक अति-सुरक्षित इलाक़े को भेदकर, आईईडी हमले को अंजाम देने में कामयाब हो गए’.

‘इंशा अल्लाह, ये एक सिलसिलेवार हमलों की शुरूआत है, जिसमें हिंदुस्तानी शहरों को निशाना बनाया जाएगा, भारतीय स्टेट द्वारा की गई ज़्यादतियों का बदला चुकाया जाएगा. इंतज़ार कीजिए, और हम भी इंतज़ार कर रहे हैं’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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