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मंगलवार, 3 जून, 2025
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पहली बार पचमढ़ी के ऐतिहासिक राजभवन में होगी कैबिनेट बैठक, जानें खासियतें

पचमढ़ी का यह राजभवन 1887 में बना था. करीब 22.84 एकड़ में फैले इस परिसर को पहले किसी जागीरदार की संपत्ति के तौर पर जाना जाता था. बाद में इसे अंग्रेज़ों ने अधिग्रहित कर “गवर्नमेंट हाउस” बना दिया.

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भोपाल: मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने 3 जून को पचमढ़ी के ऐतिहासिक राजभवन में कैबिनेट बैठक आयोजित करने का ऐतिहासिक फैसला लिया है. यह पहली बार होगा जब इस भव्य इमारत में प्रदेश सरकार की बैठक होगी. इस बैठक को जनजातीय नायक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजा भभूत सिंह को समर्पित किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने इसे जनकल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का संदेश बताया.

पचमढ़ी का यह राजभवन 1887 में बना था. करीब 22.84 एकड़ में फैले इस परिसर को पहले किसी जागीरदार की संपत्ति के तौर पर जाना जाता था. बाद में इसे अंग्रेज़ों ने अधिग्रहित कर “गवर्नमेंट हाउस” बना दिया. ब्रिटिश राज में पचमढ़ी को ग्रीष्मकालीन राजधानी का दर्जा मिला और यह भवन प्रशासनिक गतिविधियों का केंद्र बन गया. इस भवन की भव्यता आज भी इसे खास बनाती है.

मुख्य भवन यूरोपीय वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है. इसमें 8 कमरे हैं, जिनके नाम सतपुड़ा, महादेव, जटाशंकर, चौरागढ़, पांडव, रजत, राजेन्द्रगिरी और वायसन हैं. कमरों में ऊंची छतें, बड़े रोशनदान, सागौन की लकड़ी से बने फर्नीचर और खूबसूरत फायर प्लेस हैं. डाइनिंग हॉल में लकड़ी के पैनल, नक्काशीदार फर्नीचर और एक विशेष तकनीक से बनी डाइनिंग टेबल है. डांस हॉल में खोखला लकड़ी का फर्श और दरबार हॉल में बिलियर्ड टेबल और पियानो मौजूद हैं.

राजभवन के सामने सुंदर लॉन और 10 एकड़ का किचन गार्डन है. यहां दशहरी, सुंदरजा जैसी आम की किस्मों के पेड़ और सेंटरोज लीची मिलती है, जो मध्यप्रदेश में सिर्फ पचमढ़ी में होती है. परिसर में पक्षी, जंगली गिलहरियां और नेवले भी दिखते हैं.

स्वतंत्रता के बाद 1967 तक पचमढ़ी ग्रीष्मकालीन राजधानी रही. आज भी राजभवन अपनी ऐतिहासिक विरासत और प्राकृतिक संपदा के लिए प्रसिद्ध है. यहां तीन मुख्य द्वार हैं, जहां सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रहती है. पचमढ़ी की इस विरासत को अब पहली बार कैबिनेट बैठक का गौरव मिलने जा रहा है.

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