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Monday, 23 December, 2024
होमदेशमुम्बई में आईसीयू बेड्स के लिए, अस्पतालों के बीच चक्कर काटने में इलाज़ का जरूरी समय गंवा रहे हैं मरीज़

मुम्बई में आईसीयू बेड्स के लिए, अस्पतालों के बीच चक्कर काटने में इलाज़ का जरूरी समय गंवा रहे हैं मरीज़

मुम्बई में 25,000 से अधिक एक्टिव कोविड मामले हैं, और मृतकों की संख्या 1,000 के पार हो गई है. हालांकि हर मरीज़ को क्रिटिकल मेडिकल अटेंशन की ज़रूरत नहीं होती, लेकिन पूरे शहर में आईसीयू बेड्स की कमी है.

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मुम्बई: 18 मई को जब अंधेरी निवासी अविनाश कथारे के जीजा, नामदेव वाघमारे को सांस की परेशानी हुई, तो उन्हें जल्दी से दोपहर के समय, मुम्बई के कूपर अस्पताल ले जाया गया. कथारे ने 60 वर्षीय वाघमारे के साथ अस्पताल में 12 घंटे से अधिक इंतज़ार किया, लेकिन उन्हें कोई बेड नहीं मिल सका.

कथारे ने दिप्रिंट को बताया,’हम उन्हें घर ले आए और ऑक्सीजन सपोर्ट का बंदोबस्त किया. लेकिन उनकी हालत बिगड़ गई और हमें उन्हें जल्दी से कोकिलाबेन धीरूभाई अम्बानी अस्पताल लेकर गए, जहां हमें बताया गया कि उन्हें कोविड-19 हो सकता है. लेकिन अस्पताल के पास आईसोलेशन बेड नहीं थी.’

पूरे दिन कथारे ने, ’20 अस्पतालों’ को कॉल किया, लेकिन उन्हें यही सुनने को मिला कि कोई बेड खाली नहीं थे. आख़िरकार उन्हें परेल के किंग एडवर्ड मेमोरियल (केईएम) में एक बेड मिल पाया, और वो क़रीब 6 घंटे बाद एक निजी एम्ब्युलेंस में उन्हें वहां ले जा सके, जो उन्होंने 7,500 रुपए में किराए पर ली. वाघमारे का कोविड-19 टेस्ट पॉज़िटिव निकला, और उन्हें 22 मई को एक आईसोलेशन में शिफ्ट कर दिया गया, जहां 25 मई को वाघमारे की मौत हो गई.

कथारे ने केईएम अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया, लेकिन वहां के डीन हेमंत देशमुख ने कहा कि अस्पताल में भर्ती तमाम मरीज़ों को ‘तवज्जो दी जाती है’.

उन्होंने कहा कि कोई ऐसा मरीज़ भर्ती नहीं किया जाता जिसमें हल्के लक्षण हों. उन्हें ये भी कहा कि केईएम अस्पताल में सभी बेड्स ‘(ऑक्सीजन व अन्य एक्सेसरीज़) से लैस हैं, क्योंकि वो सब गंभीर मरीज़ों के लिए हैं’.

25 मई तक, मुम्बई के अस्पतालों में 25,956 ‘कुल संदिग्ध मरीज़ भर्ती थे’- जो महाराष्ट्र के कुल 36,881 एक्टिव मामलों का आधे से काफी अधिक है. हालांकि हर मरीज़ को क्रिटिकल मेडिकल अटेंशन की ज़रूरत नहीं होती, मरीज़ों की भारी संख्या से पूरे शहर में, सीमित संख्या के इंटेंसिव केयर यूनिट्स भर गए हैं.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, कुल मरीज़ों में से 5 प्रतिशत को क्रिटिकल केयर चाहिए होती है. मुम्बई में एक्टिव मामलों की संख्या को देखते हुए, 1,298 मरीज़ों को क्रिटिकल केयर बेड्स की ज़रूरत है.

लेकिन सरकारी अधिकारियों के पास, बृहन्मुम्बई नगर निगम (बीएमसी) के अंतर्गत काम कर रहे नामित कोविड अस्पतालों में उपलब्ध आसीयू बेड्स की संख्या 530 के क़रीब है.

हालांकि महाराष्ट्र सरकार के शहर के निजी अस्पतालों में 80 प्रतिशत बेड्स ले लेने के बाद, ये संख्या आधिकारिक रूप से बढ़कर 1,165 हो गई, लेकिन मंगलवार तक इनमें से अधिकतर बेड्स ख़ाली नहीं थे.

अतिरिक्त निगम आयुक्त सुरेश ककानी ने बताया, ‘निजी अस्पतालों की 650 आईसीयू बेड्स अब राज्य सरकार के आधीन हैं, (लेकिन) उनमें से बहुतों पर अभी मरीज़ मौजूद हैं. उनमें से केवल 100 आवंटन के लिए तैयार हैं.’

उन्होंने ये भी कहा, ‘जैसे जैसे मरीज़ इन बेड्स को ख़ाली करेंगे, सरकार उन्हें ले लेगी.’


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अस्पतालों के बीच दौड़ने में महत्वपूर्ण घंटे ख़राब

मुम्बई देश का सबसे अधिक कोविड प्रभावित शहर है, और यहां आईसीयू बेड्स की वास्तव में कमी है.

सेंट जॉर्ज मेडिकल हॉस्पिटल के मेडिकल सुप्रिंटेंडेंट डॉ आकाश खोबरागड़े ने दिप्रिंट को बताया,’22 मई की रात मेरे पास 8-9 नेताओं और दूसरे विशिष्ट लोगों के फोन आए, कि क्या अस्पताल में कोई बेड ख़ाली हैं. अफसोस कि वो ख़ाली नहीं थे.’

बेड्स की कमी की वजह से, वाघमारे जैसे परिवारों के महत्वपूर्ण घंटे, अस्पतालों के बीच चक्कर काटने में ज़ाया हो जाते हैं.

35 समीर चव्हाण की 24 मई रविवार को जोगेश्वरी के ह्रद्य सम्राट बालासाहेब ठाकरे (एचबीटी) ट्रॉमा सेंटर में भर्ती होने के, कुछ घंटों के भीतर मौत हो गई.

उनके भाई संदीप चव्हाण ने दिप्रिंट को बताया, कि समीर को पहले गुरू नानक अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे बेड नहीं मिली. इसके बाद उसे सेवन हिल्स अस्पताल, और फिर नायर अस्पताल ले जाया गया, फिर कहीं जाकर एचबीटी में उन्हें एक बेड मिल सकी.

25 मई तक, मुम्बई में कोविड-19 से 1026 मौतें हो चुकीं थीं.

शहर में आएंगी ‘जम्बो सुविधाएं’

जब केंद्र सरकार की एक स्वास्थ्य टीम ने पिछले महीने मुम्बई का दौरा किया था, तो ये पूर्वानुमान लगाया गया था, कि शहर में कोविड-19 मामलों की संख्या तेज़ी से बढ़कर, 30 अप्रैल तक 42,000, और 15 मई तक 6.5 लाख पहुंच जाएगी.

ये संख्या कम रही है लेकिन राज्य सरकार ने उस शिखर के मद्देनज़र निगरानी, स्क्रीनिंग, टेस्टिंग और इलाज बढ़ा दिया है, जो अभी आना बाक़ी है.

अतिरिक्त निगम आयुक्त अश्विनी भीड़े ने, जो पहले मुम्बई के मेट्रो प्रोजेक्ट की प्रमुख थीं, दिप्रिंट को बताया,’कोविड-19 समर्पित स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में बेड्स की क्षमता में वृद्धि, और मरीज़ों की संख्या में हुए अतिरिक्त इज़ाफ़े को हैण्डल करने के लिए, ज़रूरी चिकित्सा कर्मियों को मुहाया कराना, एक बड़ी चुनौती है जिससे अलग अलग तरीक़ों से निपटा जा रहा है.’

भीड़े ने बताया कि मुम्बई में कोविड-19 बेड्स की संख्या, 3500 से बढ़कर 6500 हो गई है. उन्हें आगे कहा कि शहर के हर वॉर्ड में, 100 बेड की एक निजी नर्सिंग होम सुविधा बनाने की योजना है. उन्होंने ये भी कहा कि आने वाले हफ्तों में, पांच या 6 “जम्बो सुविधाएं” भी चालू हो जाएंगी, जिनमें 8,000 से अधिक बेड्स, 50 प्रतिशत ऑक्सीजन, और 10 प्रतिशत आईसीयू बेड्स होंगी.

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की नई डिस्चार्ज पॉलिसी के तहत, लक्षण दिखाई पड़ने के बाद बिना दो निगेटिव नतीजों के, मरीज़ घर जा सकते हैं। इस क़दम का मक़सद गंभीर रूप से बीमार लोगों के लिए, अधिक बेड्स ख़ाली करना है.

बीएमसी चीफ़ इक़बाल चहल ने पहले बताया था, कि शहर के कोविड-19 केयर सेंटर्स में, बिना लक्षण के हल्के मरीज़ों के लिए 35,000 बेड्स थे.

दिप्रिंट ने जब सरकारी सेंट जॉर्ज अस्पताल का दौरा किया, तो वहां 30 बेड्स के दो नए आईसीयू वॉर्ड्स बनाए जा रहे थे. इस अस्पताल ने 23 मार्च से ही, कोविड-19 मरीज़ों का इलाज शुरू कर दिया था.

बीएमसी की डिप्टी हेल्थ एक्ज़ीक्यूटिव ऑफिसर मंगला गोमारे ने कहा, ‘हल्के और गंभीर मरीज़ों की संख्या काफी है, इसलिए आप देखेंगे कि बेड्स फुल हो जाएंगे.’ उन्होंने ये भी कहा कि बेड्स की संख्या बढ़ाई जा रही थी.


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निजी बेड्स, कोविड-19 केयर सेंटर्स की संख्या में उछाल

पिछले हफ्ते, महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के निजी अस्पतालों, और नर्सिंग होम्स की 80 प्रतिशत बेड्स अपने पास ले लीं , और इलाज की दरों को नियमित कर दिया.

इससे मुम्बई में 4,400 बेड्स हासिल हो जाएंगी, और मरीज़ों को निजी व सरकारी अस्पतालों में बांटा जा सकेगा. निजी अस्पतालों ने अभी तक शहर में, कोविड-19 के केवल 20 प्रतिशत मरीज़ों का इलाज किया है.

इस बीच, बीएमसी प्रमुख चहल ने ऐलान किया है, कि मामलों में अपेक्षित उछाल के मद्देनज़र, शहर में लगभग एक लाख नए बेड्स का इंतज़ाम कर लिया जाएगा. ये उछाल क़रीब एक महीने में आ सकती है.

जिन बेड्स की योजना है उनमें आईसीयू बेड्स और ऑक्सीजन सुविधाओं समेत, अधिकतर कोविड-19 केयर सेंटर्स में हैं, और जिनमें बड़े मैदानों, कॉलेजों, और ख़ाली बिल्डिंगों में, हल्के व मध्यम मामलों का इलाज किया जा सकता है.

मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण ने भी कोविड-19 केयर सेंटर्स स्थापित किए हैं, जिनमें बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में 800 आईसीयू बेड्स, गोरेगांव के नेस्को मैदान में 1200 बेड्स, और माहिम नेचर पार्क में 1200 बेड्स शामिल हैं.
लेकिन एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता जितेंद्र टाण्डेल ने बताया,’निजी व धर्मार्थ संस्थान काफी समय से, ग़रीब मरीज़ों के लिए आरक्षित, दस प्रतिशत बेड्स नहीं दे रहे हैं. फिर हम कैसे श्योर हो सकते हैं, कि वो अपने 80 प्रतिशत बेड्स मरीज़ों के लिए मुहैया कराएंगे, ख़ासकर तब, जब उनमें से अधिकतर, महामारी को दौरान बंद चल रहे हैं.’

उन्होंने ये भी कहा कि जब तक प्रशासन, अस्पतालों में उपलब्ध बेड्स के आंकड़े सार्वजनिक नहीं करता, तब तक हालात बदलने की संभावना नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि जम्बो सुविधाओं में अधिक बेड्स हो सकती हैं, लेकिन अधिकारी लोग उस स्थिति से कैसे निपटेंगे, जब मॉनसून में ये मैदान भर जाएंगे.

बीएमसी की हेल्पलाइन 1916 एक ऐसा केंद्र है, जहां कोविड-19 केयर से जुड़ी जानकारी एक ही छत के नीचे मिल सकती है, जिसमें अस्पतालों में बेड्स की उपलब्धता भी शामिल है. इस नम्बर पर कॉल आने पर, एक्ज़ीक्यूटिव्स से अपेक्षा की जाती है, कि वो डिटेल्स नोट करेंगे, कॉलर्स को एक कूपन देंगे, और अस्पतालों में बेड्स की उपलब्धता से उन्हें अवगत कराएंगे.

हेल्पलाइन एक्ज़ीक्यूटिव्ज़ के पास अस्पतालों के बारे में, कोई रियल टाइम डेटा नहीं है, क्योंकि ये जानकारी दिन में केवल दो बार अपडेट की जाती है.

शंकर मुगलखोड़ ने, जो कोविड-19 मरीज़ों के लिए एक फ्री एम्ब्युलेंस सेवा चलाते हैं, बताया कि, ‘लगभग हर रोज़, मैं मरीज़ों को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल ले जाता हूं, क्योंकि कोई बेड्स ही नहीं हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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