नई दिल्ली: तमिलनाडु में सीडीएस बिपिन रावत के हेलिकॉप्टर क्रैश हादसे की ट्राई सर्विस जांच के आदेश दिए गए हैं. राजनाथ सिंह ने संसद के दोनों सदनों को इस हादसे की जानकारी देते हुए बताया कि एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह के नेतृत्व में इस हादसे की जांच शुरू हो चुकी है.
राजनाथ सिंह ने संसद को बताया कि मानवेंद्र सिंह के नेतृत्व में जांच टीम ने जांच शुरू कर दी है. उन्होंने बताया कि जनरल रावत के हेलिकॉप्टर का एयर ट्रैफिक कंट्रोल से सात मिनट पहले संपर्क टूट गया था, जिसे 12:15 मिनट पर लैंड करना था.
बुधवार को तमिलनाडु के नीलगिरी के करीब हैलिकॉप्टर क्रैश हादसे में 14 में से 13 लोगों की मौत हो चुकी है और एक मात्र जीवित अधिकारी ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह फिलहाल लाइफ सपोर्ट पर हैं.
रक्षा मंत्री ने बताया कि सीडीएस और बाकी सभी मृतकों का पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा.
दिप्रिंट के रक्षा संवाददाता स्नेहेश एलेक्स फिलिप ने बताया कि ट्राई-सर्विस जांच का मतलब होता है कि जांच में तीनों सेना (थल सेना, वायु सेना और नौसेना) के अधिकारी शामिल होंगे.
एविएशन एंड डिफेंस एक्सपर्ट संगीता सक्सेना ने दिप्रिंट को बताया, ‘बिपिन रावत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ थे इसलिए इस जांच में तीनों सेना के अधिकारी शामिल होंगे.’
एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह कौन हैं और भारतीय वायु सेना में वो किन-किन पदों पर रहे हैं, दिप्रिंट आपको बता रहा है.
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कौन हैं एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह
बिपिन रावत हैलिकॉप्टर क्रैश हादसे में ट्राई-सर्विस जांच का नेतृत्व कर रहे एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह इन दिनों भारतीय वायु सेना के ट्रेनिंग कमांड में कमांडर हैं और वो खुद हेलिकॉप्टर पायलट भी हैं.
वायु सेना के ट्रेनिंग कमांड में बतौर कमांडर उन्होंने 25 सितंबर 2021 को कार्यभार संभाला था. उनसे पहले इस पद पर एयर मार्शल राजीव दयाल माथुर थे.
मानवेंद्र सिंह ने दक्षिणी कमांड में एयर ऑफिसर फॉर कमांडिंग इन चीफ का पद भी संभाल रखा है.
29 दिसंबर 1982 को भारतीय वायु सेना में बतौर हेलिकॉप्टर पायलट मानवेंद्र सिंह की शुरुआत हुई थी. करीब 38 साल लंबे कैरियर में मानवेंद्र सिंह भारतीय वायु सेना में कई पदों पर रहे हैं.
मानवेंद्र सिंह ने महाराष्ट्र के पुणे स्थित नेशनल डिफेंस एकेडमी से पढ़ाई की है और उन्होंने आर्मी वॉर कॉलेज, डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज और वर्जीनिया के ज्वाइंट फोर्सेज स्टाफ कॉलेज से स्नातक किया है.
सिंह ने कई फ्रंटलाइन एयरबेस को कमांड किया है और कांगो में भारतीय वायु सेना की शांति स्थापित करने वाले ग्रुप का भी हिस्सा रहे हैं.
पूर्वोत्तर भारत, सियाचीन, उत्तराखंड, कांगों जैसे चुनौती भरे इलाकों में उनके पास करीब 6600 घंटे से भी ज्यादा उड़ान भरने का अनुभव है. वो अनुभवी फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर भी हैं.
बतौर स्क्वाड्रन लीडर मानवेंद्र सिंह को सितंबर 1995 में गंगोत्री ग्लेशियर से दक्षिण कोरियाई पर्वतारोहियों की मुश्किल निकासी और अक्टूबर 1996 में नंदा देवी हिल्स से एक अमेरिकी पर्वतारोही के बचाव के लिए अंतरराष्ट्रीय तौर पर उनकी प्रशंसा की गई है.
मानवेंद्र सिंह को सियाचिन ग्लेशियर के मुश्किल इलाके में सबसे ऊंचे हेलीपैड के लिए 2000 से अधिक परिचालन मिशनों और 1000 से अधिक उड़ानों को सफलतापूर्वक पूरा करने का श्रेय दिया जाता है.
उन्होंने स्क्वाड्रन लीडर, विंग कमांडर, ग्रुप कैप्टन, एयर कमांडर के पद पर अपनी सेवाएं दी हैं.
मानवेंद्र सिंह को वीर चक्र, अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल से भी सम्मानित किया जा चुका है.
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