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शुक्रवार, 18 अप्रैल, 2025
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असम में बाढ़ से स्थिति अब भी गंभीर, 4 लाख से अधिक लोग प्रभावित, हजारों हेक्टेयर फसल डूबी

असम के 15 जिलों के करीब 4 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. हालांकि, प्रशासन का दावा है कि स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है.

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नई दिल्ली: असम में बाढ़ से स्थिति भयावह हो गई है. असम के 15 जिलों के करीब 4 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के अनुसार, बजाली, बक्सा, बारपेटा, दरांग, धुबरी, डिब्रूगढ़, गोलपारा, गोलाघाट, जोरहाट, कामरूप, लखीमपुर, नागांव, नलबाड़ी और तामुलपुर जिलों में 37 राजस्व मंडलों के अंतर्गत 874 गांव बाढ़ से प्रभावित है. अकेले बारपेटा जिले में 1.70 लाख लोग प्रभावित हुए हैं, जबकि बजाली में 60707, लखीमपुर में 22060 और नलबाड़ी जिले में 10351 लोग प्रभावित हैं.

बाढ़ प्रभावित जिलों में 5936.63 हेक्टेयर फसल बाढ़ के पानी में डूब गई है.

राज्य प्रशासन ने 61 राहत शिविर और 104 राहत वितरण केंद्र स्थापित किए हैं. 43064 लोग अभी भी राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं.

पिछले 24 घंटों में, बाढ़ के पानी ने नलबाड़ी जिले में 222 जानवरों को बहा दिया. साथ ही नलबाड़ी और तामुलपुर जिलों में बाढ़ के कारण 1290 घर अब तक क्षतिग्रस्त हो गए हैं. 7 तटबंध, 50 सड़कों, 3 पुलों, कई आंगनवाड़ी केंद्रों, कृषि बांध, पुलियों और सिंचाई नहरें को भी नुकसान पहुंचा है.

हालांकि, प्रशासन ने दावा किया है कि राज्य में बाढ़ की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है, लेकिन बारपेटा जिले में स्थिति अभी भी गंभीर है, क्योंकि असम के इस जिले के 167 गांवों के लगभग 1.70 लाख लोग प्रभावित हुए हैं.

बारपेटा जिले में 382.75 हेक्टेयर फसल भूमि अभी भी पानी में डूबी हुई है. जिला प्रशासन ने 59 राहत शिविर और 53 राहत वितरण केंद्र स्थापित किए हैं.

जिले में लगभग 1.05 लाख घरेलू जानवर भी प्रभावित हुए हैं.

जिला प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित लोगों के बीच 1477.77 क्विंटल चावल, 248.27 क्विंटल दाल, 74.09 क्विंटल नमक और 7478.88 लीटर सरसों तेल वितरित किया है. साथ ही प्रभावित इलाके में 1646.20 क्विंटल पशु चारा भी वितरित किया है.

एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवा कर्मी बचाव कार्य में लगे हुए हैं.

बाढ़ के कारण सबसे अधिक दिक्कत आम लोगों को हो रहा है. खाने पीने के सामान की कीमत आसमान छू रहे हैं. सब्जियों का दाम काफी बढ़ गए हैं. लोगों को राशन नहीं मिल पा रहा है.


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