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Saturday, 21 December, 2024
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प्लास्टिक कचरे के सहारे तटीय जीव प्रशांत महासागर के मध्य पहुंचे, अब वहीं अपनी आबादी बढ़ा रहे हैं

नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, अमेरिकी, कनाडाई और डच शोधकर्ताओं ने ग्रेट पैसिफिक गारबेज पैच से 450 से ज्यादा नमूने एकत्र किए.

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बेंगलुरु: अमेरिकी, कनाडाई और डच शोधकर्ताओं के एक समूह ने पाया है कि जेलिफ़िश, मोलस्क और अन्य तटीय समुद्री अकशेरूकीय (इनवर्टेब्रेट) जीवों की छोटी प्रजातियों ने प्रशांत महासागर के बीच में प्लास्टिक के मलबे के टीले पर अपना घर बना लिया है और वहां प्रजनन भी कर रहे हैं.

इन अति सूक्ष्म जीवों को ग्रेट पैसिफिक गारबेज पैच पर खोजा गया है. यह पैच हवाई और कैलिफोर्निया के बीच स्थित 1.5 मिलियन वर्ग किलोमीटर में फैले मानव मलबे का एक बड़ा ‘द्वीप’ है. ये जीव समुद्र में फेंक दिए गए फिशिंग गियर, जाल, रस्सी आदि से बने फ्लोट्सम के टुकड़ों पर रह रहे हैं और समुद्री प्रजातियों के साथ सह-अस्तित्व में थे.

शोधकर्ताओं ने इस समूह में 450 से ज्यादा समुद्री जीवों की पहचान की, जिनमें से ज्यादातर तटीय प्रजातियां हैं. यह निष्कर्ष पीयर-रिव्यू जर्नल ‘नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन’ में सोमवार को प्रकाशित हुए थे.

दिसंबर 2021 में नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में इन्हीं लेखकों ने इस तथ्य को लेकर एक टिप्पणी लेख प्रकाशित किया था. अपने हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने अपने द्वारा एकत्र किए गए डेटा को प्रकाशित किया है.

हालांकि कुछ समुद्री अकशेरूकीय को मलबे पर पूरे खुले समुद्र में तैरते देखा गया है, लेकिन यह अब तक साफ नहीं है कि जीव अपने स्थायी घर की सतह के रूप में प्लास्टिक का इस्तेमाल किस हद तक कर रहे हैं. प्लास्टिक कचरा उनके लिए तब तक एक अच्छा ‘घर’ हो सकता है जब तक सतह का विघटन नहीं होता.

शोधकर्ताओं ने पाया कि प्लैंकटन और शैवाल जैसे छोटे ऑर्गेनिज्म पर भोजन करते समय इन जीवों को रस्सी और मछली पकड़ने के जाल की सतहों पर जीवित पाया गया, जिनकी संख्या काफी ज्यादा थी और ये अलग-अलग प्रजाति के थे.

अध्ययन के लेखकों का सुझाव है कि खोज से पता चलता है कि तटीय जीव तट से सैकड़ों किलोमीटर दूर तैरते हुए प्लास्टिक पर लंबे समय तक जीवित रहने और प्रजनन करने में सक्षम हैं और ये निष्कर्ष समुद्र में एक नए प्रकार के पारिस्थितिक समुदाय के प्रमाण हैं. इसे उन्होंने ‘नियोपेलैजिक कम्युनिटी’ का नाम दिया है.


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बोतलों, रस्सियों और मछली के जालों पर रहना

वह प्रक्रिया जिसमें जीव तैरते हुए मलबे पर सवार होकर उस पर अपना घर बना लेते हैं, उसे ‘राफ्टिंग’ कहा जाता है. यह एक व्यापक घटना है, लेकिन इसका अच्छी तरह से अध्ययन नहीं किया गया है. आमतौर पर राफ्ट मैटिरियल में बड़ी संख्या ज्वालामुखीय क्षेत्रों से तैरती हुई वनस्पति या झांवा की होती है.

कांच और धातु वाली प्राकृतिक सामग्री खुले समुद्र में तेजी से डिकंपोज हो जाती है. लेकिन प्लास्टिक हजारों साल तक जिंदा बनी रहती है. समुद्र में पाई जाने वाली ये प्लास्टिक फिशिंग गियर रस्सी, फ्लोट, मछली पकड़ने के जाल आदि की है.

ईस्टर्न नॉर्थ पैसिफिक सबट्रॉपिकल गेयर लहरों-– सर्कुलेटरी पैटर्न में बड़ी महासागरीय धाराएं – के चलते ग्रेट पैसिफिक गारबेज पैच पर कचरे के तैरते टुकड़े इकट्ठा हो जाते हैं जो उन्हें एक जगह पर जमा कर देते हैं.

यह समझने के लिए कि समुद्री जीव अपने घर के रूप में प्लास्टिक कचरे का किस हद तक इस्तेमाल करते हैं, टीम ने दस कैटेगरी – रस्सी, जाल, बोया, क्रेट, ईल ट्रैप, फ्रेगमेंट, जग/बाल्टी, बोतल, घरेलू सामान आदि- में 105 आइटम इकट्ठा किए थे. ये सभी विघटन के विभिन्न चरणों में थे, जिसमें मलबे भी शामिल थे. कचरे के ये टुकड़े नए दिखते थे और दशकों से नहीं बल्कि कई सालों से समुद्र में तैर रहे थे.

नवंबर 2018 और जनवरी 2019 के बीच इकट्ठा किए गए इस मलबे के ज्यादातर टुकड़ों के बारे में नहीं पता था कि वह कहां से बहकर यहां तक पहुंचे हैं. लेकिन कुछ टुकड़ों पर निशान थे जो संकेत दे रहे थे कि वे जापान और उत्तरी अमेरिका में निर्मित किए गए थे.

प्रजातियों की सबसे विविधता रस्सियों पर पाई गई. उसके बाद जाल और बोतलों का नंबर था. और लगभग सभी प्रजातियां उत्तर पश्चिमी प्रशांत ( देशी जापानी तटीय प्रजातियों) मूल की थीं.

लगभग 95 फीसदी मलबे की वस्तुओं पर पेलाजिक या समुद्री प्रजातियां पाई गईं. लेकिन मलबे पर मौजूद तटीय प्रजातियां की संख्या 70 फीसदी से ज्यादा थीं, जो समुद्र में सैकड़ों किलोमीटर तक फैली थीं. जीव प्लास्टिक के एक ही टुकड़े पर सह-अस्तित्व में रह रहे हैं.

अकशेरुकी जीवों के कुल 484 नमूने एकत्र किए गए, जिनमें से 80 प्रतिशत से ज्यादा तटीय ऑर्गेनिज्म थे. ये सूक्ष्म जीव अपने जीवन चक्र के विभिन्न चरणों में पाए गए. इससे पता चलता है कि यौन प्रजनन सहित इन वातावरणों में प्रजनन सक्रिय रूप से हो रहा था.

लेखकों ने इस पारिस्थितिक तंत्र के लिए ‘नियोपेलजिक कम्युनिटी’ नाम सुझाया है, जो तटीय और पेलाजिक प्रजातियों की एक साथ रहने की विशेषता है. तटीय प्रजाति के पास कई सालों तक जिंदा रहने की क्षमता है, लेकिन स्थायी घर बनाने के लिए प्रजनन रणनीति विकसित नहीं की है.

अध्ययन में कहा गया है, ‘प्लास्टिस्फियर अब तटीय प्रजातियों के लिए खुले समुद्र में आबादी का विस्तार करने और पेलाजिक समुदाय का स्थायी हिस्सा बनने के लिए असाधारण नए अवसर प्रदान कर सकता है.’

प्लास्टिक के ट्रांसपेरेंट द्वीप

समुद्र में तैरता हुआ कचरा समुद्र की लहरों में बहता हुआ चारों ओर चला जाता है.

द ग्रेट पैसिफ़िक गारबेज पैच में वास्तव में प्लास्टिक के एक खंड से जुड़े दो पैच- — जापान के तट का पश्चिमी हिस्सा और कैलिफोर्निया के तट का पूर्वी हिस्सा—होते हैं. कुल मिलाकर इस क्षेत्र में 35 मिलियन से अधिक व्यक्तिगत वस्तुओं के साथ 90 मिलियन मीट्रिक टन कचरा है.

इस पैच में मौजूद प्लास्टिक के कचरे का घनत्व दुनिया में सबसे अधिक है. इस कचरे में अलग-अलग टुकड़ों के साथ फ्री-फ्लोटिंग कचरा होता हैं. और ये प्लास्टिक सिर्फ सतह तक ही सीमित नहीं है, गारबेज पैच का एक बड़ा हिस्सा सतह के नीचे भी मौजूद है, जो पानी के स्तंभ में सूक्ष्म प्लास्टिक के रूप में तैरता है और 30 मीटर या 100 फीट नीचे तक फैला हुआ है.

कुल 5 पहचाने गए गारबेज पैच हैं, जो पांच उल्लेखनीय समुद्री चक्रों पर मौजूद हैं – ग्रेट पैसिफ़िक गारबेज पैच, उत्तरी अमेरिका और अफ्रीका के बीच नॉर्थ अटलांटिक गारबेज पैच, दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका के बीच साउथ पैसिफिक गारबेज पैच और अफ्रीका के तट पर हिंद महासागर गारबेज पैच.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

(अनुवाद: संघप्रिया मौर्य / संपादन: आशा शाह )


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