नई दिल्ली: मंबई के मझगावं बंदरगाह में बन रहे एक नेवी के जहाज़ में शुक्रवार को आग लग गई. ये उसी दिन हुआ जिस दिन क्रैश हुए एएन-32 विमान के 13 एयरफोर्स जवानों के अवशेष का पता चला और उन्हें अंतिम संस्कार के लिए लाया गया.
विशाखापटनम नाम के इस जहाज़ को बनाने का काम जारी है और अभी ये नहीं पता चला है कि आग की वजह से इसे कितना नुकसान हुआ है. मझगावं डॉक शिपबिल्डर्स (एमएलडी) ने मामले में जांच शुरू की है. रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम एमएलडी ही ये जहाज़ बना रहा है. इसे बनाने के काम में लगे एक व्यक्ति की मौत हो गई और एक व्यक्ति के जलने की जानकारी सामने आई है.
वेस्टर्न नेवल कमांड को बीते साल में जिन हादसों से गुज़रना पड़ा है उनकी फेहरिस्त में आग़ लगने की ये घटना सबसे ताज़ा मामला है. छह साल पहले, अगस्त 2013 में किलो क्साल सबमरीन आईएनएस सिंधुरक्षक में धमाका हुआ और ये बॉम्बे नेवल डॉक्यार्ड में डूब गया जिसकी वजह से 18 नेवी कर्मियों के जानें चली गईं.
मामले में जांच बोर्ड ने जो रिपोर्ट दी थी वो अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है.
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जैसा कि ताज़ा मामले में जांंच चल रही है, दिप्रिंट विशाखापटनम से जुड़ी जानकारी पर नज़र डाल रहा है. इसका नाम उस तटीय दक्षिणी शहर के नाम पर रखा गया है जो नेवी के महत्वपूर्ण परिचालन कमांड के तौर पर काम करता है.
नेवी का जहाज़ विशाखापटनम क्या है?
विशाखापटनम नेवी का पहला स्टील्थ डिस्ट्रॉयर है. इसे 15बी प्रोजेक्ट के तहत बनाया जा रहा है. प्रोजेक्ट के तहत ये प्रयास किया जा रहा है कि भारतीय डिज़ाइन का इस्तेमाल करके ‘तकनीकी रूप से विश्व का सबसे विकसित गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रायर’ विकसित किया जाए.
जहाज़ को 2018 तक इंडियन नेवी के हवाले कर दिया जाना था लेकिन कई बार से हो रही देरी की वजह से ये समय 2021 तक का कर दिया गया.
कोलकाता-क्लास शिप का विकसित संस्करण विशाखापत्तनम पी15-बी के तहत देश में डिज़ाइन किए गए स्टील्थ डिस्ट्रॉयर में अपनी तरह का पहला जहाज़ है. 15बी के तहत दो और गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर मोरमुगाओ और इंफाल बनाए जा रहे हैं और ये इस जाहज़ के बाद आएंगे.
नेवी के मुताबिक पी15-बी डिस्ट्रॉयरों में नया डिज़ाइन, लंबे समय तक चलने की धारणा, समुंद्र में बना रहना, गोपनीयता और गतिशीलता जैसी बातें होंगी. इस जहाज में उच्च स्तर के ऐसे फीचर्स मौजूद हैं जो पतवार को आकार देने और रडार-पारदर्शी डेक फिटिंग के उपयोग के माध्यम से हासिल किए जाएंगे, जिससे इन जहाजों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है.
2015 की सरकारी प्रेस रिलीज में बताया गया था कि किस तरह से यह जहाज दो मल्टीपल रोल वाले हेलीकॉप्टर को ले कर चल सकता है.
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शुरू करने में देरी हो सकती है
शुक्रवार की आग ने यह आशंका जताई है कि विशाखापटनम के चालू होने में और देरी होगी, लेकिन नुकसान का निर्धारण होने तक इसका अनुमान लगाना मुश्किल है.
2012 से 2014 तक पश्चिमी नौसेना कमान की कमान संभालने वाले वाइस-एडमिरल शेखर सिन्हा (सेवानिवृत्त) ने दिप्रिंट को बताया कि निर्माणाधीन जहाजों पर आग लगने की घटनाएं असामान्य नहीं हैं.
उन्होंने कहा, ‘शिपयार्ड ज्वलन पदार्थों से बिखरा हुआ है, और चल रहे वेल्डिंग और काटने के काम में अक्सर आग लग जाती है. इसके अलावा, निर्माणाधीन होने के नाते, जहाज की आंतरिक अग्निशमन प्रणाली चालू नहीं हो सकती है. इसलिए, उन्हें बाहरी अग्निशमन प्रणालियों पर भरोसा करना होगा, जिनकी अपनी चुनौतियां हैं.’
‘जांच को पूरा करने की आवश्यकता है. यदि डिब्बों को जला दिया जाता है या अन्य बड़े नुकसान होते हैं, तो कमीशनिंग में कुछ समय के लिए देरी हो सकती है. इसमें कई जांच शामिल हैं.’
सिन्हा ने कहा कि जांचकर्ता मामले की तह तक पहुंचेंगे और यह बताएंगे कि पुनरावृत्ति से बचने के लिए किस तरह की कार्रवाई की जरूरत है.