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बुधवार, 14 मई, 2025
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स्क्रोल वेबसाइट की पत्रकार सुप्रिया शर्मा के खिलाफ वाराणसी में एफआईआर, पीएम मोदी के गोद लिए गांव में भूख से पीड़ितों पर की थी स्टोरी

स्क्रोल वेबसाइट ने इस मामले में एक स्टेटमेंट जारी करते हुए कहा है, 'वह अपनी स्टोरी पर 'कायम' हैं जो भी लिखा गया है वह सही लिखा गया है. ये मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला है.'

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लखनऊ: पीएम मोदी के गोद लिए गांव में भूख से पीड़ितों पर स्टोरी करना स्क्रोल वेबसाइट की पत्रकार सुप्रिया शर्मा पर भारी पड़ गया है. पत्रकार पर वाराणसी के रामनगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई है. डोमरी गांव की रहने वाली माला देवी नाम की महिला ने सुप्रिया के खिलाफ ये मुकदमा दर्जा कराया है. माला के मुताबिक, सुप्रिया ने अपनी स्टोरी में उनकी गरीबी और जाति का मजाक उड़ाया है जिससे उन्हें ठेस पहुंची है.

माला वाराणसी नगर निगम में आउटसोर्सिंग से सफाई कर्मचारी के तौर पर काम कर रही हैं. उनका कहना है कि उनके परिवार को लॉकडाउन के दौरान खाने से संबंधित ऐसी कोई समस्या नहीं आई जिसका स्टोरी में जिक्र किया गया है.

बता दें कि स्क्रोल वेबसाइट पर 8 जून को एक स्टोरी पब्लिश की गई जिसमें बताया गया कि वाराणसी के डोमरी गांव जिसे पीएम मोदी ने 2018 में सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया था वहां लॉकडाउन के दौरान लोग भूख से परेशान रहे.

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस गांव में लॉकडाउन के दौरान कई लोगों के पास राशन कार्ड नहीं होने की वजह से उन्हें अनाज नहीं मिल पा रहा था, जबकि यूपी सरकार ने 17 अप्रैल को राशन कार्ड के बिना भी जरूरतमंद लोगों को राशन किट दिए जाने की घोषणा की थी.

इस स्टोरी के आधार पर सुप्रिया के खिलाफ आईपीसी सेक्शन 269 (किसी बीमारी को फैलाने में की गई लापरवाही) और 501 (मानहानि) के अलावा SC/ST एक्ट, 1989 के सेक्शन 3 के तहत एफआईआर दर्ज हुई है.

इस मामले की जांच कर रहे सीओ कोतवाली प्रदीप सिंह चंदेल ने दिप्रिंट को बताया, ‘रामनगर थाने में महिला ने आकर पत्रकार के खिलाफ तहरीर दी थी जिसके बाद ये एफआईआर दर्ज हुई है. वह फिलहाल इस मामले की विवेचना कर रहे हैं. अभी इस पर कोई टिप्पणी करना ठीक नहीं है. जांच पूरी होने के बाद ही वह कुछ कह पाएंगे.’

वहीं स्क्रोल वेबसाइट ने इस मामले में एक स्टेटमेंट जारी करते हुए कहा है, ‘वह अपनी स्टोरी पर ‘कायम’ हैं जो भी लिखा गया है वह सही लिखा गया है. ये मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला है.’

बता दें कि पिछले दिनों फतेहपुर जिले के पत्रकार अजय भदौरिया पर स्थानीय प्रशासन ने एफआईआर दर्ज करा दी थी जिसके खिलाफ जिले के तमाम पत्रकारों ने जल सत्याग्रह शुरू कर दिया था. इससे पहले मिर्जापुर के पत्रकार पवन जायसवाल पर मिडे-डे मील की हकीकत दिखाने पर भी एफआईआर हो चुकी है.

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1 टिप्पणी

  1. देश के हर कोने का लगभग यही हाल है आगे आगे देखिए होता है क्या अभी तो 4साल बाकी हैं एक तरफ खादी एक तरफ़ ख़ाकी है

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