लखनऊ: यूपी में कम कोरोना टेस्टिंग को लेकर लगातार ट्वीट करने के कारण रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह के खिलाफ बीते गुरुवार रात को एफआईआर दर्ज की गई है. लखनऊ के हजरतगंज थाने में हुई इस एफआईआर में आईएएस के ट्वीट्स को भ्रामक बताया गया है और उनके खिलाफ धारा 188, 505, डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट, एपिडेमिक एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया.
CM योगी की Team-11 की मीटिंग के बाद क्या मुख्यसचिव ने ज्यादा Corona Tests कराने वाले कुछ DMs को हड़काया कि "क्यों इतनी तेजी पकडे हो, क्या ईनाम पाना है, जो टेस्ट-2 चिल्ला रहे हो ?"@ChiefSecyUP स्थिति स्पष्ट करेंगे?
यूपी की स्ट्रेटेजी:
No Test =No Corona @CMOfficeUP @UPGovt— Surya Pratap Singh (@suryapsinghias) June 10, 2020
दरअसल पूर्व आईएएस ने बीते बुधवार को ट्वीट किया था, ‘सीएम योगी की Team-11 की मीटिंग के बाद क्या मुख्यसचिव ने ज्यादा Corona Tests कराने वाले कुछ DMs को हड़काया कि ‘क्यों इतनी तेजी पकडे़ हो, क्या इनाम पाना है, जो टेस्ट-2 चिल्ला रहे हो?’
इसी ट्वीट को आधार बनाते हुए उनके खिलाफ झूठी अफवाहें फैलाने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई. हजरतगंज थाने के इंचार्ज अश्वनी कुमार पांडे ने बताया कि उन्हें सचिवालय चौकी प्रभारी सुभाष कुमार सिंह द्वारा पूर्व आईएएस के खिलाफ सोशल मीडिया पर झूठी अफवाह फैलाने के मामले में तहरीर दी गई जिसके तहत ये मामला दर्ज हुआ है. एफआईआर में कहा गया है कि उनके ट्वीट से जनता में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई.
मीडिया के सूत्रों से अपुष्ट खबर आ रही है कि टीम-11 पर किए मेरे के ट्वीट पर सरकार ने मेरे ऊपर मुक़दमा कर दिया है। सबसे पहले तो मैं ये साफ कर देना चाहता हूँ कि उत्तरप्रदेश सरकार की पॉलिसी पर दिए ‘No Test, No Corona’ वाले बयान पर मैं अडिग हूँ, और सरकार से निरंतर सवाल पूछता रहूँगा।
— Surya Pratap Singh (@suryapsinghias) June 11, 2020
एफआईआर दर्ज होने के बाद पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने ट्वीट कर कहा, ‘उन्होंने कहा कि टीम-11 पर किए मेरे ट्वीट को लेकर सरकार ने मेरे खिलाफ मुक़दमा कर दिया है. सबसे पहले तो मैं ये साफ कर देना चाहता हूं कि उत्तर प्रदेश सरकार की पॉलिसी पर दिए ‘No Test, No Corona’ वाले बयान पर मैं अडिग हूं, और सरकार से निरंतर सवाल पूछता रहूंगा.’
इसके बाद उन्होंने एक और ट्वीट करते हुए कहा, ‘मैंने आईएएस अधिकारी रहते पिछली सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाया था, तब भाजपा के बड़े-बड़े नेता मेरी पीठ थपथपाते थकते नहीं थे.
पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कभी भी मेरे आंदोलन को निजी तौर पर नहीं लिया पर आज ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ की बात करने वाली सरकार का रवैया देख आश्चर्यचकित हूं, स्तब्ध हूं. 25 साल में 54 ट्रांसफर मेरी सदनीयत व नीतियां नहीं बदल सके तो एक एफआईआर क्या बदलेगी? सत्य पक्ष हमेशा सत्ता पक्ष पर भारी पड़ता है.’
पहले भी सरकार के खिलाफ मुखर रहे हैं
1982 बैच के आईएएस रहे एसपी सिंह पहले भी योगी सरकार के खिलाफ मुखर रहे हैं. 69,000 शिक्षा भर्ती के मामले में भी उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा था कि शिक्षक भर्ती घोटाले में योगी सरकार फंसती जा रही है. यूपी के शिक्षा मंत्री पत्रकारों से नजर नहीं मिला रहे हैं. सरकार इस मामले में सीबीआई जांच कराने से क्यों डर रही है. इससे पहले वह पीएम केयर फंड को लेकर भी सवाल उठा चुके हैं.
एसपी सिंह अखिलेश सरकार के वक्त भी भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दों पर सरकार को घेरते रहते थे. उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ तो उन्होंने मोर्चा ही खोल रखा था. अपने 25 साल के करिअर में उनका 54 बार ट्रांसफर हुआ है. 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान आरएलडी के टिकट पर चुनाव लड़ने की चर्चा भी उड़ी थी लेकिन फिर उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा लेकिन सोशल मीडिया के जरिए सरकार पर लगातार मुखर रहे.
‘कोई तो सवाल पूछने वाला हो’
दिप्रिंट से बातचीत में एसपी सिंह ने कहा कि सरकार से सवाल पूछने जरूरी हैं. उनके मुताबिक, ‘मैंने सिर्फ कम टेस्टिंग पर सवाल उठाए थे. ऐसा क्या गुनाह कर दिया. ये बात तो तमाम लोग कह रहे हैं कि यूपी में टेस्टिंग बेहद कम हो रही है. 20 करोड़ से अधिक आबादी और अभी 5 लाख लोगों की भी टेस्टिंग नहीं हुई. यानी 1% आबादी की भी टेस्टिंग नहीं हुई है. ज़ीरो पाॅइंट कुछ पर्सेटेंज है टेस्टिंग का. कई जिलों में तो बेहद कम ही टेस्टिंग हो रही है क्योंकि वहां टेस्टिंग सेंटर्स ही नहीं हैं. ऐसे में मैंने क्या गलत सवाल उठा दिया. कोई तो सवाल उठाने वाला होना चाहिए ऐसे दौर में जब सब चुप बैठे हैं.’
आईएएस के मुताबिक, वह अपने स्टैंड पर बरकरार रहेंगे और अपने ट्वीट्स नहीं डिलीट करेंगे.