श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर पुलिस ने शनिवार को उस वेबसाइट के संचालकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली जिन्होंने घाटी में रहने वाले कुछ पत्रकारों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की सूची यह कहते हुए प्रकाशित की थी कि ये ‘भारतीय पेरोल’ पर काम करते हैं.
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा कि यह सूची इसमें शामिल लोगों के मन में दहशत पैदा करने के उद्देश्य से अपलोड की गई थी.
गुरुवार देर शाम जारी इस सूची में कई राजनीतिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के नाम शामिल थे, जिनमें से कई राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्रों और न्यूज चैनलों के लिए काम करने वाले लोग हैं.
पुलिस की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, ‘पुलिस स्टेशन कोठीबाग को पुख्ता तौर पर यह जानकारी मिली थी कि एक वेबसाइट यूआरएल https//Kashmirfire.Wordpress.com के जरिये कुछ दुष्प्रचार सामग्री अपलोड और सर्कुलेट की जा रही है. उक्त यूआरएल पर अपलोड की गई ये पोस्ट देश की अखंडता और संप्रभुता के लिहाज से दुर्भावनापूर्ण और शांति और सद्भाव के लिए बड़ा खतरा हैं क्योंकि उपरोक्त यूआरलए के हैंडलर केंद्र और केंद्रशासित राज्य जम्मू-कश्मीर के बीच अलगाव का लक्ष्य हासिल करने के इरादे के साथ अलगाववादी और आतंकवाद से जुड़ी विचारधारा फैलाने में जुटे हैं.
अधिकारियों ने बताया कि यूआरएल हैंडलर के खिलाफ देश की अखंडता, संप्रभुता और शांति एवं सद्भाव को नुकसान पहुंचाने वाली पोस्ट अपलोड करने के लिए मामला दर्ज किया गया है.
यद्यपि वेबपेज के हैंडलर ने सूची को सार्वजनिक करने के कुछ समय बाद ही इसे वेबसाइट से हटा दिया था लेकिन कथित सूची सोशल मीडिया वेबसाइटों के साथ-साथ इंटरनेट आधारित मैसेजिंग एप पर तब तक सर्कुलेट हो चुकी थी.
पुलिस के बयान के मुताबिक, ‘केवल यही नहीं लोगों को दहशत में डालने के लिए राजनीति/मीडिया से जुड़े लोगों के अलावा सार्वजनिक हस्तियों और लश्कर-ए-इस्लाम से जुड़ी पोस्ट भी अपलोड की गई थी. इस वेबसाइट/यूआरएल को शांति व्यवस्था भंग करने और आम लोगों को गैरकानूनी गतिविधियों के लिए उकसाने के उद्देश्य के साथ सरकार की काननू सम्मत गतिविधियों और नीतियों के खिलाफ दुष्प्रचार के हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.’
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वर्गीकरण
पुलिस ने बताया कि यूआरएल हैंडलर ने मीडियाकर्मियों और एक्टिविस्ट को ए, बी और सी की श्रेणी में बांट रखा था.
यह वर्गीकरण कुछ उसी तरह किया गया था जैसे जम्मू-कश्मीर पुलिस आतंकियों को आतंकवादी गतिविधियों में उनकी संलिप्तता के आधार पर अलग-अलग श्रेणी में रखती है. पोस्ट में सूची में शामिल लोगों के ‘भारतीय पेरोल’ पर होने का आरोप लगाया गया था.
इसके बाद संपादकों के समूहों और पत्रकार संगठनों की तरफ से एक संयुक्त बयान जारी करके कहा गया कि ‘उन्हें इस तरह के दुष्प्रचार से बेहद पीड़ा हुई है, जिसका उद्देश्य बिना किसी स्पष्ट कारण या औचित्य के कुछ लोगों और संस्थानों का नाम खराब करना था’
बयान में कहा गया है, ‘कश्मीर में हर तरह के राजनीतिक और वैचारिक विचारों वाले विभिन्न तत्वों के लिए मीडिया को लेकर अपनी एकतरफा राय जाहिर करना एक आम बात हो गई है और यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि हर किसी ने मीडिया को अपना पंचिंग बैग बना लिया है.’
पुलिस के अनुसार इस मामले में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई है.
बयान में कहा गया है, ‘इस मामले के मद्देनजर आम लोगों से सावधान रहने और ऐसे अपमानजनक पोस्ट/यूआरएल पर कोई ध्यान न देने और सबसे अहम ऐसी कोई पोस्ट आगे शेयर न करने को कहा गया है और ऐसी गैरकानूनी पोस्ट को प्रसारित करने का माध्यम बनने पर कानूनी कार्रवाई का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.’
इसमें आगे कहा है, ‘मामले में तत्काल कार्रवाई ने ऐसे तत्वों, दुष्प्रचार में जुटे लोगों और अपराधियों के बीच यह संदेश भी पहुंचा दिया है कि भले ही वह कैसी भी बुरी मंशा रखते हो या किसी भी स्तर की साजिश रच लें कानूनी एजेंसियों के चंगुल से बच नहीं सकते.’
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