लखनऊ: बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर के बाहर हुई सप्तर्षि आरती (शाम की आरती) के मामले में प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए 20 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है. इसमें आरती का नेतृत्व करने वाले मंदिर के पूर्व महंत परिवार के सदस्य शशि भूषण तिवारी उर्फ गुड्डु महाराज का नाम भी शामिल है. दरअसल बीते गुरुवार को काशी विश्वनाथ मंदिर के ज्ञानवापी प्रवेश द्वार के सामने सड़क पर प्रशासन की इजाजत के बिना इन लोगों ने आरती की थी जिस कारण बनारस के चौक थाने में पुलिस ने लॉकडाउन व आपदा प्रबंधन के उल्लंघन के मामले में ये केस दर्ज किया है.
चौक थाने के इंचार्ज आशुतोष तिवारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘धारा 188 (लॉकडाउन का उल्लंघन) व आपदा प्रबंधन एक्ट की धारा 51 (अगर कोई व्यक्ति किसी सरकारी कर्मचारी को आपदा के दौरान उनके कर्तव्यों को पूरा करने से रोकता है, उनके काम में बाधा डालता है) के तहत इस मामले में केस दर्ज किया गया है. डीएम की ओर से केस दर्ज करने के निर्देश दिए गए थे.
वहीं एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने स्थानीय मीडिया बताया कि लॉकडाउन के दौरान एक साथ सड़क पर आना महामारी अधिनियन का उल्लंघन है इसलिए सम्बंधित धाराओं में केस दर्ज कराया जाएगा.
प्रशासन से इजाजत न मिलने के कारण सड़क पर बैठे थे
दरसअल, मंदिर की सप्तर्षि आरती (शाम की आरती) की कई साल से नियमित आर्चक (पुजारी) करते आ रहे हैं जिसमें पूर्व महंत परिवार के सदस्य ही किया करते थे लेकिन बुधवार को प्रशासन की ओर से उन्हें मंदिर में जाने की इजाजत नहीं दी गई जिसके विरोध में आर्चकों ने सड़क पर पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा और आरती की. इस दौरान लगभग 20 लोग मौजूद थे. किसी ने मास्क भी नहीं लगाया था.
आरती कराने वाले महंत शशि भूषण तिवारी उर्फ गुड्डु महाराज ने बताया, ‘बीते बुधवार को मंदिर परिसर के पास बने एक दूसरे छोटे मंदिर (कैलाश मंदिर) का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त होने की खबर स्थानीय अखबारों में छपी जिसके बाद मंदिर प्रशासन की ओर से आरोप लगाया कि ये खबर हम लोगों की ओर से छपवाई गई है.’
वह आगे कहते हैं, ‘हम लोग गलत अफवाह फैला रहे हैं जिसके बाद जिला प्रशासन ने हमें बाबा विश्वनाथ मंदिर की शाम की आरती करने से रोक दिया. हमारा परिवार 300 से अधिक वर्षों से ये आरती करता आ रहा है. ऐसे में हम ये परंपरा कैसे रोक सकते थे.’
असल विवाद मंदिर प्रशासन व महंत परिवार के बीच
दरअसल, ये पूरा विवाद काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन व महंत परिवार के बीच का है. काशी विश्वनाथ मंदिर की देखरेख की जिम्मेदारी का जिम्मा विश्वनाथ न्यास (ट्रस्ट) के पास है लेकिन शाम की आरती यहां के महंत परिवार के लोग करते आए हैं.
महंत परिवार के वरिष्ठ सदस्य कुलपति तिवारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘उनका परिवार पिछले 300 से अधिक वर्षों से काशी विश्वनाथ मंदिर की सेवा करता रहा है लेकिन अब प्रशासन की मनमानी के कारण उन्हीं की अनदेखी की जा रही है.’
कुलपति तिवारी ने बीजेपी सरकार पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि हिंदुत्व के नाम पर ये लोग सरकार में आए और अब साधु-महंतों पर जब अत्याचार हो रहा है तो चुप हैं.
‘हमारा परिवार इतने साल से यहां आरती करता आया है तो कैसे इस परंपरा को तोड़ते. इसी कारण जब प्रशासन से मंदिर परिसर में जाने की इजाजत नहीं मिली तो हमारे भतीजे शशि भूषण तिवारी उर्फ गुड्डु महाराज ने अन्य सदस्यों के साथ सड़क पर आरती की.’
महंत कुलपति ने दिप्रिंट को बताया, ‘अगर हमसे गलती हुई है तो हम माफी भी मांगने को तैयार हैं लेकिन प्रशासन ये बताए कि हम पर झूठी खबर छपवाने के आरोप मंदिर प्रशासन की ओर से किस आधार पर लगाए जा रहे हैं.’
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उन्होंने आगे कहा, ‘सौंदर्यीकरण व नवीकरण के नाम पर अगर मंदिरों को नुकसान पहुंचाया जाएगा तो संत समाज आवाज तो उठाएगा ही. सरकार से हम मदद की अपील करते हैं और हमें आरती की इजाजत फिर से दी जाए हम इतना ही चाहते हैं.’
वहीं काशि विश्वनाथ मंदिर न्यास (ट्रस्ट) के प्रवक्ता पीयूष तिवारी ने बताया, ‘काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित कैलाश मंदिर के बारे में महंत परिवार दावा करता आया है कि वहां उनका कब्जा है. फिर बीते दिनों स्थानीय अखबारों में उस परिवार के सदस्यों द्वारा मंदिर के शिखर टूटने की झूठी खबर प्लांट कराई गई.’
ऐसे में लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची. इसी कारण एसएसपी को मंदिर प्रशासन की ओर से पत्र लिखकर महंत के परिवार का पास निरस्त कराने की अपील की गई. जब पास निरस्त हो गए और मंदिर में जाने की इजाजत नहीं मिली तब ये लगभग 20 लोग लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए सड़क पर ही आरती करने लग गए. इसी कारण इन पर मुकदमा दर्ज हुआ है. वहीं मंदिर के अंदर काशी विश्वनाथ न्यास के पुजारियों ने प्रशासन की अनुमति के साथ आरती की. हमने आरती की परंपरा नहीं टूटने दी है.