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रविवार, 11 मई, 2025
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भारत-पाकिस्तान सीजफायर से एक दिन पहले फिरोजपुर में धमाके ने कैसे एक परिवार की जिंदगी बदल दी

वे अभी खाना खाने बैठे ही थे कि उनकी कार पर कोई चीज़ आकर गिरी और एक विस्फोट हुआ, जिससे पूरा जगह आग की चपेट में आ गया. परिवार के सभी सदस्य बुरी तरह जल गए और उन्हें गंभीर चोटें आईं.

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फिरोजपुर: सुखविंदर कौर का चेहरा बुरी तरह सूजा हुआ था, सिर से पैर तक उनकी त्वचा झुलस गई थी. उन्हें पहचानना लगभग असंभव था. उनके पति लखविंदर सिंह पट्टियों में लिपटे हुए थे, उनके होंठ सूजे हुए थे, उनकी आंखें सूजी हुई थीं. उनके रिश्तेदार उनके चारों ओर विलाप कर रहे थे—कुछ प्रार्थना कर रहे थे, इस उम्मीद में कि वे बच जाएंगे.

पंजाब के फिरोजपुर जिले में अनिल बागी अस्पताल के सर्जिकल आईसीयू में असहाय पड़े उनके बेटे जसवंत सिंह उर्फ ​​मोनू ने दरवाजे के कांच के कोनों से अपने माता-पिता की एक झलक पाने की कोशिश की, क्योंकि उन्हें लुधियाना में एक विशेष बर्न यूनिट में ले जाया गया था. छर्रे लगने के कारण वह मुश्किल से हिल पा रहा था.

खाई फेम के गांव में तीन लोगों के परिवार का एक डिनर विनाशकारी बन गया. शुक्रवार रात करीब 8 बजे, 55 वर्षीय लखविंदर, उनकी पत्नी सुखविंदर, 50 वर्षीय और 27 वर्षीय जसवंत पूरे जिले में बिजली गुल होने के कारण जल्दी खाना खाने बैठे थे. पुलिस अधिकारियों के अनुसार, उन्होंने अभी-अभी अपना पहला निवाला खाया ही था कि एक विस्फोटक उनकी कार पर आकर गिरा और फट गया—संभवतः ड्रोन का अवशेष.

इसका असर उनकी कार पर पड़ा, जो उनके मवेशियों के लिए बने शेड के नीचे खड़ी थी, और फिर उस सिलेंडर पर पड़ा, जहां वे खाना बनाते थे. यह उस जगह से बमुश्किल 5-10 मीटर की दूरी पर था, जहां वे बैठे थे. विस्फोट ने उस जगह को तहस-नहस कर दिया, जहां परिवार बैठा था, और आग ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया.

किसान जसवंत ने दिप्रिंट को बताया, “हम अभी रोटी खाने के लिए बैठे ही थे. कार पर कोई भारी चीज गिरी और फट गई. मेरी मां सबसे पास थी, फिर मेरे पिता. मैं दूसरी तरफ था. अचानक सब कुछ काला हो गया. मेरी मां बिल्कुल भी हिल नहीं पा रही थी.” अनिल बागी अस्पताल के डॉक्टरों ने दिप्रिंट को बताया कि सुखविंदर 100 प्रतिशत जल गई हैं, जबकि लखविंदर 72 प्रतिशत झुलस गए हैं.

यह हमला भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच हुआ. 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद, पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात सहित भारत के पश्चिमी और उत्तरी क्षेत्रों में नागरिक क्षेत्रों और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के कई प्रयास किए थे.

शनिवार देर शाम भारत और पाकिस्तान के बीच सभी शत्रुता को रोकने के लिए एक समझौता हुआ. हालांकि, घोषणा के बावजूद, फिरोजपुर में रात भर फिर से ब्लैकआउट रहा. संघर्ष विराम की घोषणा के बाद भी पंजाब और जम्मू-कश्मीर के कई संवेदनशील इलाकों में गोलाबारी और गोलीबारी जारी रही—शुक्रवार रात खाई फेम के में विस्फोट संघर्ष विराम से पहले अंतिम नागरिक हताहतों में से एक बन गया.

भारत ने 6 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के नौ आतंकी शिविरों को निष्क्रिय कर दिया गया था. तब से पाकिस्तान ड्रोन लॉन्च कर रहा है, जिनमें से कई को भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों ने रोक दिया.

फिरोजपुर, एक सीमावर्ती जिला है, जिसे हाई अलर्ट पर रखा गया है. खाई फेमे के, जो सीमा के और भी करीब है, विशेष रूप से असुरक्षित है. इस क्षेत्र में हाल के दिनों में कई बार ब्लैकआउट देखा गया था, जिसमें स्ट्राइक की रात भी शामिल है.

जली हुई कार, बिलखते मवेशी, बिखरते परिजन

लखविंदर और सुखविंदर को लुधियाना ले जाया गया, तो परिवार के सदस्य रो पड़े. लखविंदर की 75 वर्षीय मौसी विद्या कौर समझ नहीं पा रही थीं कि उनके साथ इतनी बड़ी घटना क्यों हुई.

उन्होंने कहा, “जैसे ही मैंने सुना, मैं मोगा से भागी-भागी आई. मैं समझ नहीं पा रही कि यह कैसे और क्यों हुआ.”

उनके बगल में खड़ी जसवंत की भाभी 45 वर्षीय गरदेव कौर ने रोते हुए कहा, “हमने क्या किया है? हम नहीं चाहते थे कि यह युद्ध हो. पाकिस्तान एक दुष्ट राष्ट्र है. वे निर्दोष लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. पहले पहलगाम और अब पंजाब और जम्मू-कश्मीर में.”

गांव में वापस आकर स्थानीय लोगों ने इस बात पर बहस की कि ड्रोन ने इस परिवार को क्यों निशाना बनाया. कुछ लोगों ने अनुमान लगाया कि क्या कोई लाइट जली हुई थी. दूसरों ने सोचा कि शायद कार की हेडलाइट जली हुई थी. जसवंत ने जोर देकर कहा कि लाइट बंद थी. परिवार बिना छत वाली खुली जगह पर खाना खा रहा था, जिस जगह पर वे खाना भी बनाते थे.

उन्होंने कहा, “कार की हेडलाइट बंद थी. वह बस वहां खड़ी थी.” वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने पुष्टि की कि कार की लाइट बंद होने के बावजूद, यह संभव है कि प्रकाश का कोई अन्य स्रोत—शायद मोमबत्ती—विस्फोटक उपकरण को उस स्थान पर खींच लाया हो.

इस बीच, फिरोजपुर में भय और शोक का माहौल बना रहा. आधिकारिक आदेश के बिना भी, निवासियों ने दुकानें और होटल बंद कर दिए, और घर के अंदर ही रहना पसंद किया.

लखविंदर के भाई मलकर सिंह ने आंसू पोंछते हुए कहा, “मेरी भाभी और भाई दोनों की हालत बहुत गंभीर है. अब केवल भगवान ही उन्हें बचा सकता है.”

उन्होंने कहा, “परिवार बर्बाद हो गया है. कोई इससे कैसे उबर पाएगा?”

सिंह के घर पर मीडियाकर्मी, पुलिस अधिकारी और ग्रामीण जमा हो गए। हालांकि सुरक्षा बलों ने मलबा हटा दिया था, लेकिन कार का जला हुआ ढांचा और झुलसी हुई जमीन रात की भयावहता की भयावह गवाही दे रही थी.

विस्फोट में जलने से घायल दो भैंसें भी पूरे दिन दर्द से कराहती रहीं. कुछ स्थानीय निवासियों ने उनके घावों पर दवा लगाई.

“उनकी रस्सी ढीली करो. उन्हें पानी दो,” मलकर ने घायल जानवरों को शांत करने की कोशिश करते हुए चिल्लाया.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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