नई दिल्ली: देश भर में डॉक्टरों पर हमले का सिलसिला थम नहीं रहा है. ताज़ा मामला नई दिल्ली स्थित लोक नायक (एलएनजेपी) हॉस्पिटल का है. यहां महिला डॉक्टरों ने आरोप लगाया है कि उनपर मरीज़ों ने हमला कर दिया है. कोविड- 19 के मरीज़ों का इलाज़ कर रही महिला डॉक्टर पर ये हमला मंगलवार शाम को हुआ.
मामले में मेडिकल निदेशक को लिखित में शिकायत करते हुए एलएनजेपी के रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने बताया कि कथित हमले की ये घटना हॉस्पिटल के सर्जिकल ब्लॉक के वार्ड- ए में शाम 5.20 मिनट पर हुई. आरोप है कि एक मरीज़ ने महिला डॉक्टर को गालियां देनी शुरू की और इसका विरोध किए जाने पर मरीज़ ने भीड़ इक्ट्ठा कर ली.
इसकी वजह से महिला डॉक्टर समेत अन्य डॉक्टरों को ड्यूटी रूम में छुपना पड़ा. भीड़ उनके छुपने के बाद भी नहीं मानी और दरवाज़ा तोड़ने की कोशिश करती रही. आरोप ये भी है कि घटना के दौरान फ़ोन करने पर फ्लोर इंचार्ज का फोन नॉट रिचेबल था.
अपने शिकायती पत्र में डॉक्टरों ने लिखा है, ‘मौके पर तैनात चीफ़ मेडिकल ऑफ़िसर ने भी फ़ोन नहीं उठाया. जब उनसे अन्य रेज़िडेंट डॉक्टरों ने संपर्क किया तो उन्हें कैजुअल्टी के पास तैनात सिक्योरिटी के पास भेज दिया गया.’ सिक्योरिटी ने भी पीड़ित डॉक्टरों को सुरक्षा नहीं दी.
मेडिकल निदेशक को लिखित में बताया गया, ‘पांचवें फ्लोर पर सिक्योरिटी अलार्म बजने के बावजूद ना तो सिक्योरिटी अधिकारी ने और ना ही वहां तैनात पुलिस ने डॉक्टरों की मदद करने की कोई कोशिश की.’ डॉक्टरों ने यह भी आरोप लगाया कि मार्शल और गार्ड बिना पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) के वॉर्ड में आने को तैयार नहीं हुए.
जब उन्हें पीपीई दी गई तो वो वॉर्ड में आए. आपको बता दें कि कोविड- 19 से जंग लड़ रहे देश भर के डॉक्टर लगातार शिकायत की है उन्हें ख़ुद के इस्तेमाल के लिए पीपीई नहीं मिल रहे. इस महामारी वाले वायरस से बचाव में पीपीई की अहम भूमिका होती है क्योंकि वो इलाज में शामिल लोगों को सिर से पैर तक ढंके रखता है.
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एलएनजेपी के डॉक्टरों का सवाल है कि सुरक्षा में ऐसी गंभीर चूक से किसी डॉक्टर को हानि पहुंचती है तो उसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा? घटना की गंभीरता का हवाला देते हुए मांग की गई है कि जिस मरीज़ ने कथित हमला किया है उसके ख़िलाफ़ सांस्थानिक प्राथमिकी दर्ज की जाए.
कोविड- 19 से जुड़े सभी वॉर्ड में हथियारबंद पुलिस वालों को तैनाती, कैजुअल्टी के पास तैनात सुरक्षाकर्मी को सस्पेंड, सर्जिकल वार्ड के पास तैनात सुरक्षाकर्मी के ख़िलाफ़ एक्शन और फ्लोर इंचार्ज के ख़िलाफ़ भी एक्शन जैसी अन्य मांगें भी की गई है.
कोविड- 19 से जंग लड़ रहे डॉक्टरों के ख़िलाफ़ दिल्ली समेत देश भर में हमले और बुरा बर्ताव किए जाने की खबरे आ रही हैं. इसके पहले सफदरजंग की दो महिला डॉक्टरों पर तब हमला किया गया जब वो अपने लिए सामान ख़रीदने निकलीं. हमलावर ने आरोप लगाया कि वो कोरोना फ़ैला रही हैं.
गुजरात के सूरत के न्यू सिविल हॉस्पिटल की महिला डॉक्टर संजीबनी पाणिग्रही के साथ उनके पड़ोसी द्वारा उत्पीड़न का वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुए तो सूरत पुलिस को उनकी शिकायत पर तुरंत एक्शन लेना पड़ा. इसके अलावा मध्य प्रदेश के इंदौर से लेकर यूपी के मुरादाबाद तक मेडिकल टीम पर हमला किया गया है.
मुरादाबाद के ताज़ा मामले में मेडिकल टीम में शामिल एम्बुलेंस ड्राइवर ने कहा, ‘जब हमारी टीम मरीज के साथ एम्बुलेंस में सवार हुई, अचानक भीड़ उमड़ी और पथराव शुरू कर दिया. कुछ डॉक्टर अभी भी वहीं हैं. हम घायल हैं.”
तबलीग़ी जमात वालों पर भी दिल्ली समेत अन्य जगहों पर डॉक्टरों के साथ अभद्रता के गंभीर आरोप लगे हैं. इन सबके बीच एलएनजेपी के मामले में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है कि ये मामला हमले का नहीं बल्कि बुरे बर्ताव है. उन्होंने कहा, ‘मामले में एफ़आईआर दर्ज की जा रही है
Good news. Thankful to home ministry for listening to the appeal of doctors during this crisis. After rejecting Central Protection Act, the move my Home Ministry shows that govt acknowledges the need of doctors and public health care only during crisis. @IMAIndiaOrg pic.twitter.com/vXE9y01Jhi
— Srinivas Rajkumar M.D(AIIMS) (@srinivasaiims) April 11, 2020
कोरोना का इलाज कर रहे और लगातार अस्पताल जा रहे डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ लगातार समाज द्वारा गलत व्यवहार किया जा रहा है, जिसके बाद 11 अप्रैल को गृहमंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कोविड- 19 से लड़ रहे डॉक्टरों को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने को कहा था. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए एम्स आरडीए के सचिव श्रीनिवास राजकुमार ने ट्वीट किया था, ‘डॉक्टरों की अपील सुनने के लिए गृहमंत्रालय का शुक्रिया.’