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Thursday, 21 November, 2024
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किसान जंतर-मंतर पर आज लगाएंगे अपनी संसद, दिल्ली पुलिस ने की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था

बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने कहा, 'हम प्रदर्शनकारी 8 किसानों के साथ सिंंघु बॉर्डर जाएंगे, और फिर जंतर-मंतर पहुंचेंगे. वहां पर किसान संसद करेंगे और संसद की कार्रवाई की निगरानी करेंगे.'

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नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र के बीच तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आज जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे और किसान संसद लगाएंगे. इसे देखते हुए दिल्ली पुलिस ने यहां भारी सुरक्षा व्यवस्था की है. इसके अलावा टिकरी बॉर्डर, सिंघु बार्डर समेत मोर्चों पर भी कड़ी सुरक्षा है. इस प्रदर्शन में किसान कई जगहों से जंतर मंतर आएंगे.

दिल्ली पुलिस ने सिंघु बॉर्डर पर भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है. विभिन्न जगहों से प्रदर्शनकारी किसान जंतर-मंतर जाने के लिए सिंघु बॉर्डर पर जमा होंगे.

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि गाजीपुर बॉर्डर से किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि आज 200 लोग संसद जाएंगे और वहां किसान संसद लगाएंगे और पंचायत करेंगे. यह सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगा. हम यहां से सिंघु बॉर्डर जाएंगे और वहां से बसों से जंतर मंतर जाएंगे. जंतर-मंतर पर पंचायत होगी जिसे किसान संसद का नाम दिया गया है.

संयुक्त किसान मोर्चा और 6 लोगों जो कि किसान मजदूर संघर्ष कमेटी से हैं को यहां प्रदर्शन की इजाजत दी गई है लेकिन यह संख्या 200 से अधिक नहीं होगी. यह प्रदर्शन रोज सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक होगा. प्रदर्शन शांतिपूर्ण हो इसको लिखित में दिया गया है.

वहीं दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है.

इससे पहले भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत प्रदर्शन के लिए सिंघु बार्डर निकल चुके हैं. बीकेयू नेता टिकैत ने कहा, ‘हम प्रदर्शनकारी 8 किसानों के साथ सिंंघु बॉर्डर जाएंगे, और फिर जंतर-मंतर पहुंचेंगे. हम जंतर-मंतर पर किसान संसद करेंगे. हम संसद की कार्रवाई की निगरानी करेंगे.’

कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनकारी किसान आज करेंगे आंदोलन

वहीं इससे पहले केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के बृहस्पतिवार से जंतर-मंतर पर भारी सुरक्षा के बीच एक आंदोलन के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने 9 अगस्त तक अधिकतम 200 किसानों को प्रदर्शन की विशेष अनुमति दे दी है.

दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि 200 किसानों का एक समूह पुलिस की सुरक्षा के साथ बसों में सिंघू सीमा से जंतर-मंतर आएगा और वहां पूर्वाह्न 11 बजे से शाम 5 बजे तक विरोध प्रदर्शन करेगा.

उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान यूनियनों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) को इस बारे में एक शपथपत्र देने के लिए कहा गया है कि सभी कोविड नियमों का पालन किया जाएगा और आंदोलन शांतिपूर्ण होगा.

एसकेएम ने कहा कि संसद का मॉनसून सत्र यदि 13 अगस्त को समाप्त होगा तो जंतर-मंतर पर उनका विरोध प्रदर्शन भी अंत तक तक जारी रहेगा. हालांकि उपराज्यपाल ने 9 अगस्त तक प्रदर्शन की अनुमति दी है.

इस साल 26 जनवरी को एक ट्रैक्टर रैली के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा के बाद यह पहली बार है जब अधिकारियों ने विरोध प्रदर्शन करने वाले किसान यूनियनों को शहर में प्रवेश की अनुमति दी है.

दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार, उपराज्यपाल अनिल बैजल, जो डीडीएमए के अध्यक्ष भी हैं, ने बृहस्पतिवार से 9 अगस्त तक हर दिन अधिकतम 200 किसानों द्वारा पूर्वाह्न 11 बजे से शाम 5 बजे तक जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन की मंजूरी दी है.

आदेश में कहा गया है, ‘उन्हें निर्दिष्ट बसों द्वारा पुलिस सुरक्षा के बीच निर्धारित मार्ग से लाया जाएगा तथा उन्हें कोविड-उपयुक्त व्यवहार (मास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाए रखना, नियमित रूप से हाथ धोना और सैनिटाइटर आदि का उपयोग करना) और भारत सरकार और दिल्ली सरकार द्वारा समय-समय पर कोविड​​​​-19 महामारी के संबंध में जारी अन्य सभी दिशानिर्देशों / निर्देशों / मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का सख्त अनुपालन करना होगा.’

डीडीएमए के एक आदेश के तहत राष्ट्रीय राजधानी में विरोध प्रदर्शन के लिए एकत्रित होने की वर्तमान में अनुमति नहीं है.

दिल्ली पुलिस ने एक बयान में कहा कि एसकेएम और किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के साथ कई दौर की बातचीत के बाद, लिखित में आश्वासन दिये जाने पर कि वे शांति बनाए रखेंगे, डीडीएमए की मंजूरी के साथ उन्हें सीमित संख्या में जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति दी गई है. दिल्ली पुलिस ने बयान में कहा कि एसकेएम के लिए प्रदर्शनकारियों की संख्या 200 से अधिक नहीं होगी और केएमएससी के लिए छह लोग रोजाना पूर्वाह्न 11 बजे से शाम 5 बजे तक प्रदर्शन में हिस्सा ले सकते हैं.

बयान में कहा गया, ‘उन्हें बसों में सिंघू सीमा से निर्धारित स्थान तक ले जाया जाएगा. उन्हें कोविड-उपयुक्त व्यवहार और सामाजिक दूरी का पालन करने की सलाह दी गई है.’

बयान में कहा गया है कि किसान यूनियनों को कोविड प्रतिबंधों के मद्देनजर कोई मार्च नहीं निकालने की सलाह दी गई है. दिल्ली पुलिस ने यह सुनिश्चित करने के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं कि विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे.

देशभर के हजारों किसान नये कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं, उनका दावा है कि यह न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म कर देगा और उन्हें बड़े कार्पोरेट घरानों की दया के भरोसे छोड़ देगा.

सरकार इन कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के तौर पर पेश कर रही है. किसान यूनियनों की सरकार के साथ 10 दौर से अधिक की बातचीत हो चुकी है लेकिन यह दोनों पक्षों के बीच गतिरोध को तोड़ने में विफल रही है.

एसकेएम ने शुरू में प्रस्ताव दिया था कि विरोध प्रदर्शन करने वाले किसान संसद से कुछ मीटर की दूरी पर जंतर-मंतर पर हर दिन ‘किसान संसद’ आयोजित करेंगे.

मंगलवार को दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद, एक किसान यूनियन के नेता ने कहा कि वे कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे और कोई भी प्रदर्शनकारी संसद नहीं जाएगा.

किसान यूनियन के नेता ने कहा था, ‘हम 22 जुलाई से मॉनसून सत्र समाप्त होने तक ‘किसान संसद’ आयोजित करेंगे और 200 प्रदर्शनकारी हर दिन जंतर-मंतर जाएंगे. प्रत्येक दिन एक स्पीकर और एक डिप्टी स्पीकर चुना जाएगा.’

नेता ने कहा था, ‘पहले दो दिनों में एपीएमसी अधिनियम पर चर्चा होगी. बाद में अन्य विधेयकों पर भी हर दो दिन में चर्चा होगी.’

राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार कक्का ने मंगलवार को पीटीआई-भाषा को बताया प्रत्येक दिन किसान पहचान पत्र लगाकर सिंघू सीमा से जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करने के लिए जाएंगे.

कक्का ने कहा, ‘हमने पुलिस को सूचित कर दिया है कि मानसून सत्र के दौरान हर दिन 200 किसान सिंघू सीमा से बसों में जंतर-मंतर जाएंगे. यह एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन होगा और प्रदर्शनकारियों के पास पहचान का बैज होगा.’

उन्होंने कहा, ‘जब पुलिस ने हमें प्रदर्शनकारियों की संख्या कम करने के लिए कहा, तो हमने उन्हें कानून-व्यवस्था की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा और आश्वासन भी दिया कि विरोध शांतिपूर्ण होगा.’

गौरतलब है कि तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की किसान संगठनों की मांगों को उजागर करने के के लिये 26 जनवरी को आयोजित ट्रैक्टर परेड राजधानी की सड़कों पर अराजक हो गई थी, क्योंकि हजारों प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़ दिये थे, पुलिस से भिड़ गए थे और लाल किले की प्राचीर पर एक धार्मिक ध्वज फहराया था.

(एएनआई और भाषा के इनपुट्स के साथ)

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