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Wednesday, 26 June, 2024
होमदेशPM से नाराज किसानों ने 'मन की बात' के दौरान थाली पीटने की अपील की, 24 घंटे का करेंगे रिले भूख हड़ताल

PM से नाराज किसानों ने ‘मन की बात’ के दौरान थाली पीटने की अपील की, 24 घंटे का करेंगे रिले भूख हड़ताल

स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने कहा कि केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ सभी विरोध प्रदर्शन स्थलों पर किसान सोमवार को एक दिवसीय क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे.

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ बीते 25 दिनों से भी ज्यादा से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कहा कि वो 25 से 27 दिसंबर के बीच हरियाणा में राजमार्गों पर टोल वसूली को रोकेंगे.

स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने कहा कि केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ सभी विरोध प्रदर्शन स्थलों पर किसान सोमवार को एक दिवसीय क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे.

भारतीय किसान संघ के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान 23 दिसंबर को किसान दिवस मनायेंगे. उन्होंने लोगों से एक दिन के लिए दोपहर का भोजन नहीं पकाने का अनुरोध किया है.

टिकैत ने कहा, ‘जब तक बिल वापिस नहीं होगा, एमएसपी पर कानून नहीं बनेगा तब तक किसान यहां से नहीं जाएंगे. 23 तारीख को किसान दिवस के मौके पर किसान आप से कह रहे हैं कि एक समय का भोजन ग्रहण न करें और किसान आंदोलन को याद करें.’

भारतीय किसान संघ के नेता जगजीत सिंह डालेवाला ने कहा कि 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री के मन की बात के दौरान, हम लोगों से अपील करते हैं कि जब तक कार्यक्रम चले तब तक अपने घर पर ही रहकर ‘थाली’ बजाए.

दिल्ली से सटे सिंघु, टिकरी, चिल्ला, गाजीपुर बॉर्डर पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. इन जगहों पर हजारों किसान जमे हुए हैं.

किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच अभी तक कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अभी तक किसानों की समस्याओं का हल नहीं निकला है. किसानों का कहना है कि वो नए कृषि कानूनों के रद्द होने तक प्रदर्शन करते रहेंगे.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार में मंत्री और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने कहा है कि किसानों को नए कानूनों को लेकर भ्रमित किया जा रहा है. इसे लेकर बीते दिनों कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को खुला खत भी लिखा था जिसमें किसानों को कानून की बातों को समझाया गया था और उन्हें कुछ बिंदुओं पर आश्वासन भी दिया था. लेकिन किसान अब तक केंद्र के प्रस्तावों को खारिज करते आए हैं.


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