उत्तरकाशी: उत्तराखंड के सीमांत जिले उत्तरकाशी में केंद्र सरकार द्वारा बनाई जा रही ‘चार धाम ऑल वेदर कनेक्टिविटी परियोजना’ के तहत यमुनोत्री मार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को अचानक ढह गया, जिसके कारण 41 मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए. इसका मलबा 60 मीटर तक फैल गया. अंदर फंसे मजदूरों को बचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की करीब 13 एजेंसियां और दुनिया के कई विशेषज्ञ युद्ध स्तर पर पर काम कर रहे हैं.
दिप्रिंट द्वारा एक इंटरव्यू में यह पूछे जाने पर कि सुरंग का हिस्सा ढहने का कारण क्या हो सकता है, उत्तरकाशी के जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक रुहेला ने बताया कि राज्य मशीनरी फिलहाल केवल बचाव अभियान पर केंद्रित है.
उन्होंने कहा, “बचाव अभियान पूरा होने के बाद जब तक हम दुर्घटना के कारण पर गौर नहीं करेंगे, कुछ भी कहना मुश्किल होगा.”
बचाव अभियान में शुक्रवार दोपहर को उस समय दिक्कत आ गई जब ‘एस्केप पैसेज’ के लिए रास्ता बनाने के लिए दिल्ली से एयरलिफ्ट की गई एक अमेरिकी ऑगर मशीन एक सख्त सतह से टकरा गई. अधिकारी अब कह रहे हैं कि वे सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को बचाने के लिए पांच अलग-अलग तरीकों पर एक साथ काम कर रहे हैं. ड्रिलिंग भी इसमें एक है, जिसके लिए अधिकारियों ने सेना और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) से सहायता मांगी है.
सिल्क्यारा के देवता बोखनाग का एक मंदिर सुरंग के प्रवेश द्वार के पास फिर से स्थापित किया गया था. स्थानीय लोगों का मानना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) द्वारा इस मंदिर को हटाने के कारण ही यह हादसा हुआ.
बचाव अभियान से जुड़े एक शीर्ष अधिकारी ने बुधवार को कहा कि अधिकारियों ने निर्माणाधीन सुरंग के ऊपर पहाड़ी पर ऊपर से ड्रिलिंग करने के लिए जगह की पहचान कर ली है. अधिकारी ने कहा कि उस जगह तक जाने के लिए सड़क बनाने का काम लगभग पूरा हो चुका है और बीआरओ पहाड़ी पर सुरंग के दोनों ओर से उस स्थान तक सड़क बना रहा है.
(संपादन: ऋषभ राज)
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