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Monday, 14 October, 2024
होमदेशआर्थिक संकट गहराता देख सबरीमला सहित केरल के 1200 मंदिर अपने सोने को गिरवी रखने की तैयारी में

आर्थिक संकट गहराता देख सबरीमला सहित केरल के 1200 मंदिर अपने सोने को गिरवी रखने की तैयारी में

त्रावणकोर देवासम बोर्ड से जुड़े 1,200 से अधिक मंदिर या तो अपने सोने को गिरवी रखकर कर्ज़ लेने जा रहे हैं या फिर उसे मोदी सरकार की गोल्ड मॉनिटाइजेशन स्कीम के तहत जमा करेंगे.

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बेंगलुरू: गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे केरल के मंदिर, सहायता के लिए न सिर्फ भगवान बल्कि रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की ओर भी देख रहे हैं. त्रावणकोर देवासम बोर्ड (टीडाबी) से जुड़े 1,200 से अधिक मंदिर कोविड-19 महामारी से पैदा हुए संकट से निपटने के लिए अपने सोने को मॉनिटाइज़ करने के तरीकों पर विचार कर रहे हैं.

टीडीबी के अध्यक्ष एन वासु ने दिप्रिंट को बताया कि मंदिर तीन विकल्पों पर विचार कर रहा है- या तो कर्ज़ लेने के लिए सोने को रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के पास गिरवी रख दें या उसे मोदी सरकार की गोल्ड मॉनिटाइज़ेशन स्कीम के तहत जमा करा दें या फिर दोनों काम करें.

उन्होंने ये भी कहा कि त्रावणकोर बोर्ड- एक स्वायत्त संस्था जो केरल के 6 ज़िलों में फैले आइकॉनिक सबरीमला समेत 1,248 मंदिरों का प्रबंध करती है- अभी हिसाब लगा रही है कि कितनी मात्रा में सोना मॉनिटाइज़ करने की ज़रूरत है.

वासु ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम एक बड़ा संकट झेल रहे हैं. पिछले पांच महीनों में जब से मंदिर बंद हुए हम करीब 300 करोड़ रुपए का घाटा उठा चुके हैं’. उन्होंने आगे कहा कि ‘फिलहाल हमारे पास ये विकल्प हैं कि सोना गिरवी रखकर कर्ज़ लें जिससे हमें तुरंत नकद पैसा मिल जाएगा या फिर गोल्ड मॉनिटाइज़ेशन स्कीम के अंतर्गत उसे गोल्ड बांड्स की तरह जमा कर दें. इन गोल्ड बांड्स से 2.5 प्रतिशत का वार्षिक ब्याज मिलेगा’.

वासु ने ये भी कहा, ‘हमने केंद्रीय वित्त मंत्रालय से लोन और गोल्ड स्कीम, दोनों पर स्पष्टीकरण मांगा है’.

टीडीबी देश भर में फैले उन 10 मंदिर बोर्ड्स में से था जिनके प्रतिनिधियों ने 22 अगस्त को केंद्र की सरकारी एजेंसियों के साथ इस मौद्रिक संकट से निपटने के तरीकों पर चर्चा के लिए मुलाकात की.

वायु ने कहा, ‘मीटिंग के दौरान हमें गोल्ड मॉनिटाइज़ेशन स्कीम का इस्तेमाल करने की सलाह और प्रोत्साहन दिया गया जो मोदी सरकार ने 2015 में लॉन्च की थी’.

2015 में लॉन्च की गई गोल्ड मॉनिटाइज़ेशन स्कीम में सोने को टर्म डिपॉज़िट की तरह समझा जाता है. इसमें लाभार्थियों को वार्षिक ब्याज दिया जाता है जिसे सरकार तय करती है. इससे मिला ब्याज कर मुक्त होता है.


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‘सोने की मात्रा तय होनी बाकी’

टीडीबी अधिकारियों के अनुसार, करीब 1000 किलोग्राम सोना जो मंदिर के दैनिक अनुष्ठानों में इस्तेमाल नहीं हो रहा है और जिसकी कोई एंटीक वैल्यू नहीं है उसे या तो कर्ज़ के लिए गिरवी रखा जाएगा या स्कीम में इस्तेमाल किया जाएगा.

मंदिर के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि बहुत से श्रद्धालु, देवताओं को चढ़ावे के तौर पर सोना दान करते हैं. अधिकारी ने कहा, ‘देवी-देवताओं को सुशोभित करने वाले सोने को नहीं छुआ जाएगा. सोने की छड़ें और सिक्के गिरवी रखे जाएंगे. सोने को पिघलाकर शुद्ध किया जाएगा और फिर आरबीआई में जमा किया जाएगा’.

वासु ने कहा, ‘टीडीबी के अधीन सभी मंदिर अपनी ट्रेज़री से योगदान देंगे’. उन्होंने आगे कहा, ‘फिलहाल हम आंकलन कर रहे हैं कि हमारे सभी मंदिरों में सोना और दूसरी चीज़ें कितनी मात्रा में हैं. हमने अपने अधिकारियों को मूल्यांकन रिपोर्ट्स भेजने के लिए रवाना कर दिया है. मूल्यांकन और इंडेंटिंग की प्रक्रिया सितंबर के अंत तक चलेगी’.

लेकिन इतनी बड़ी मात्रा में सोना गिरवी रखने की प्रक्रिया सरल नहीं है और इसमें कानूनी बाधाएं आती हैं. ‘देवासम’ बोर्ड्स द्वारा गैर-मंदिर उपयोग हेतु किसी भी ऊंचे मूल्य के लेन-देन के लिए केरल हाई कोर्ट की मंज़ूरी लेनी होती है.

वासु ने बताया, ‘हम पहले ही अदालतों के पास जा चुके हैं’.

लेकिन टीडीबी को इस बात से तसल्ली मिल सकती है कि देश के कुछ सबसे धनी मंदिर पहले ही गोल्ड मॉनिटाइज़ेशन स्कीम का हिस्सा हैं.

तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने जो लॉर्ड वेंकटेश्वर के दुनिया के सबसे धनी मंदिर का प्रबंधन करता है, 2017 में लॉन्ग टर्म डिपॉज़िट स्कीम के तहत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में 2,780 किलो सोना जमा कराया था. 12 साल के लिए किए गए इस डिपॉज़िट से टीटीडी को 2.5 प्रतिशत सालाना ब्याज मिलता है. शिरडी साई बाबा मंदिर ने भी इस स्कीम के तहत 2015 में 200 किलो सोना गिरवी रखा था.


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मुसीबत में केरल के मंदिर

टीडीबी के आधीन सबसे आइकॉनिक और लोकप्रिय मंदिर है सबरीमला मंदिर, जहां हर साल लगभग 3 करोड़ श्रद्धालु आते हैं. सितंबर से जनवरी के पीक सीज़न में यहां 100 करोड़ रुपए से अधिक दान प्राप्त होता है.

ये मंदिर जो पिछले पांच महीने से बंद है और जिसके फिर से खुलने के आसार भी नहीं हैं, एक बड़े नकदी संकट का सामना कर रहा है.

देवासम बोर्ड के अधिकारियों ने दिप्रिंट से कहा कि सबरीमला मंदिर को चलाने का औसत खर्च जिसमें वेतन भी शामिल हैं, लगभग 50 करोड रुपए मासिक है.

केरल स्थित मंदिर कार्यकर्ता राहुल ईश्वर ने कहा कि 2019 में जब से सबरीमला में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए, इस आइकॉनिक मंदिर की कमाई काफी घट गई है.

ईश्वर ने दिप्रिंट से कहा, ‘ये एक गंभीर मामला है’. उन्होंने आगे कहा, ‘पिनरई सरकार ने सबरीमला मंदिर को 100 करोड़ रुपए देने का वादा किया था. अभी तक केवल 30 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं. हो सकता है कि महामारी के कारण बाकी के 70 करोड़ न दिए गए हों’.

ईश्वर ने ये भी कहा कि, ‘उसी तरह बाकी 1200 के करीब मंदिरों की भी कोई आय नहीं है और उनके कर्मचारियों को वेतन दिया जाना है’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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