नई दिल्ली: रक्षा विभाग से रिटायर हुए अधिकारी और यूनिवर्सिटी के सेवानिवृत्त शिक्षकों को जल्द ही विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में स्वैच्छिक तौर पर पढ़ाने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय नेशनल ट्यूटर प्रोग्राम पर काम कर रहा है. जो कि रिटायर फैकल्टी और अन्य प्रोफेशनल को शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाने के लिए कहेगा. सरकारी सूत्रों के मुताबिक यह योजना मंत्रालय की पंचवर्षीय योजनाओं में से एक है, जो कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा गया था.
इस साल की शुरुआत में, मंत्रालय ने बीस हज़ार स्वैच्छिक शिक्षकों की भर्ती की योजना बनाई है. उनके चयन की प्रक्रिया कुछ मापदंडों पर निर्भर करेगी, जिस पर मंत्रालय विचार कर रहा है.
योजना क्या है?
इस प्लान के मुताबिक मंत्रालय ‘एमेरिटस फैकल्टी’ के एक डोजियर का संकलन करेगा. जिसमें अकादमिक रूप से योगदान करने के लिए तैयार वरिष्ठ शिक्षाविद, वैज्ञानिक, और सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी शामिल होंगे.
कॉलेजों में वे जो शिक्षा प्रदान करते हैं, वह छात्रों के नियमित कक्षा समय के अतिरिक्त होगा.
मंत्रालय ने नीति योजना पर लिखा है, ‘विभिन्न क्षेत्रों और सेवानिवृत्त संकाय के पेशेवर, जो भौगोलिक क्षेत्र में उच्च शिक्षा संस्थानों को स्वेच्छा से अपनी शैक्षणिक सेवाएं प्रदान करने के इच्छुक हैं और जो कुछ निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं. उन्हें राष्ट्रीय अध्यापकों के रूप में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.’
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया, ‘यह विचार सरकार द्वारा चुने गए ट्यूटर्स द्वारा उच्च शिक्षा स्तर पर एक प्रकार की शिक्षण व्यवस्था विकसित करना है. शिक्षण प्रणाली में सेवानिवृत्त रक्षा कर्मियों को शामिल करने के लिए कुछ निश्चित योग्यता मानदंडों के अधीन काम किया जाएगा.’
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बिना सोचा समझा विचार
सेवानिवृत्त रक्षा कर्मियों का मानना है कि उनके शिक्षण संस्थानों की तुलना में संस्थानों को प्रशासनिक भूमिकाओं के लिए अधिक अनुकूल होगा.
रिटायर लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग ने दिप्रिंट को बताया, ‘अगर मुझे किसी चीज़ के लिए स्वैच्छा से काम करना है तो मैं एक शिक्षा संस्थान में प्रशासनिक भूमिका निभाना चाहूंगा. जब शिक्षण की बात आती है, तो रक्षा कर्मियों के पास सीमित क्षमताएं होंगी. वे या तो शारीरिक प्रशिक्षण पक्ष या नेतृत्व का ध्यान रख सकते हैं.’
स्वैच्छिक सेवा में काम करने के सार्वजनिक विचार पर टिप्पणी करते हुए पनाग ने कहा, ‘विचार अच्छा है, लेकिन भारत जैसे देश में इसे लागू करना मुश्किल होगा, जहां लोग परोपकार और स्वैच्छिक सेवा के विचार को अच्छा नहीं मानते हैं.’
एक सेवानिवृत्त सिविल सेवक ने नाम न बताने के शर्त पर कहा, ‘यह एक नेक विचार है, लेकिन इस पर थोड़ा और काम करना चाहिए, भारत में इसे अमल करना मुश्किल है.’
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जेएल गुप्ता ने कहा कि यदि योजना ठीक से लागू की जाए तो योजना अच्छी है, लेकिन, सेवानिवृत्त लोगों को किसी युवा की नौकरी नहीं खानी चाहिए.
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति में समान विचार
इसी तरह का एक विचार राष्ट्रीय शिक्षा नीति दस्तावेज़ में पहले ही स्कूल स्तर पर प्रस्तावित किया जा चुका है.
इस दस्तावेज़ में कहा गया है, ‘एक राष्ट्रीय ट्यूटर्स कार्यक्रम (एनटीपी) स्थापित किया जाएगा, जहां प्रत्येक स्कूल में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्रों को स्कूल के दौरान ट्यूटर्स के रूप में सप्ताह में पांच घंटे तक अपने उन साथी छात्रों को पढ़ाना होगा जिन्हें इसकी जरूरत है.’
‘पीयर ट्यूटर के रूप में चुने जाने से प्रतिष्ठा बढ़ेगी, प्रत्येक वर्ष राज्य से एक प्रमाण पत्र मिलेगा जो सेवा के समय को दर्शाता है.’
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